होटल के नकचढ़े मेहमान और उनका ‘शिकायत प्रेम’ – एक मज़ेदार किस्सा
होटल में काम करना मतलब रोज़ नए-नए रंग-बिरंगे लोगों से मिलना। लेकिन कुछ मेहमान ऐसे होते हैं, जो होटल के स्टाफ को भी हैरान कर देते हैं। भारतीय शादी-ब्याह में जैसे कोई न कोई बुआ-चाची हर चीज़ में नुक्स निकालती हैं, वैसे ही विदेशों के होटलों में भी ऐसे ‘शिकायत प्रेमी’ मेहमान मिल जाते हैं। आज की कहानी एक ऐसी ही महिला मेहमान की है, जिनकी शिकायतें सुनकर होटल के लोग भी सोच में पड़ गए कि आखिर ये चाहती क्या हैं?
शिकायतों की झड़ी – होटल स्टाफ का इम्तिहान
यह महिला मेहमान होटल में चौथी बार आई थीं। सोचिए, कोई जगह इतनी बुरी लगे कि बार-बार शिकायत करनी पड़े, फिर भी लौट-लौटकर वही आएं! पहली बार इन्होंने देर रात 1 बजे आकर लड़ाई कर दी कि अभी तो शुक्रवार शुरू हुआ ही नहीं, फिर भी इन्हें चेक-इन चाहिए था। दूसरी बार बोलीं – “मिनी फ्रिज़ बहुत शोर करता है, नींद नहीं आई।” मज़ेदार बात ये कि फ्रिज़ बंद था! फिर भी होटल ने 25 डॉलर का डिस्काउंट दे दिया। तीसरी बार इन्हें सबसे शानदार कमरा मिला, लेकिन सुबह आते ही शिकायत – “कमरे के बाहर जानबूझकर पेड़ रखा गया, उसकी टहनियाँ खिड़की से टकराती हैं, मुझे नींद नहीं आई!”
कुछ-कुछ भारतीय मोहल्लों की वो आंटी याद आ गईं, जिनका काम पड़ोसियों की हर बात पर टोकना ही है – “आज दूधवाले ने दूध पतला दिया”, “किराने वाले ने मिर्ची तीखी दी”, “बच्चे की साइकिल की घंटी बहुत बजती है”!
होटल कर्मचारियों की मजबूरी – “जो चाहे वो मांगो!”
इस तरह के मेहमानों पर Reddit पर भी चर्चा छिड़ गई। एक यूज़र ने लिखा – “भगवान का शुक्र है कि तुम्हारे GM ने तुम्हारा साथ दिया! वरना कई बार तो उल्टा स्टाफ को ही डांट पड़ जाती है।” हमारे यहाँ भी कितनी बार हो जाता है कि ग्राहक की शिकायत पर दुकानदार या मैनेजर ‘कस्टमर भगवान है’ वाला मंत्र फॉलो करते-करते परेशान हो जाता है।
एक और यूज़र ने चुटकी ली – “ऐसे लोग हर बार शिकायत करते हैं, लेकिन हर बार लौटकर वहीँ आते हैं। अगर होटल इतना खराब है, तो फिर लौटते क्यों हैं?” जवाब भी बड़ा मज़ेदार आया – “क्योंकि ज़्यादातर जगहों पर इन्हें इसी तरह फ्री में कुछ मिल जाता है, और जब तक होटल इन्हें झेलता रहेगा, ये आते रहेंगे!”
किसी ने तो हद ही कर दी – “मुझे याद है, एक बार एक महिला ने शिकायत की कि बाथरूम में बाल हैं, हर बार उन्हें डिस्काउंट चाहिए। एक दिन हमने खुद सफाई करके चेक किया, कोई बाल नहीं था। फिर भी आते ही बोलीं – ‘देखो, बाल है!’… उस दिन हमने साफ कह दिया – अब और छूट नहीं मिलेगी, एक रात रहो, फिर अलविदा!”
GM का करारा जवाब – “अब बस!”
लेकिन इस बार होटल के जनरल मैनेजर (GM) ने कमाल कर दिया। महिला की शिकायत सुनकर GM ने हँसते हुए कहा – “मैडम, आपकी शिकायतों की लिस्ट जितनी दिलचस्प है, उतनी ही साफ भी… अब आपको आगे से हमारे होटल में रुकने की ज़रूरत नहीं।” यानी, अब ‘शिकायत प्रेमी’ को होटल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। होटल स्टाफ की जान में जान आई।
जैसे हमारे यहाँ कोई बार-बार शादी ब्याह में आकर ‘फ्री के खाने’ और हर चीज़ की बुराई करता रहे, तो एक दिन कह ही दिया जाता है – “अब अगली बार निमंत्रण मत भेजना!” GM ने भी वही किया – ‘अब और नहीं!’
और भी मज़ेदार किस्से – “शिकायतों की दुनिया में स्वागत है!”
Reddit के बाकी यूज़र्स ने भी अपने-अपने अनुभव बांटे। किसी ने लिखा – “मेरी एक मेहमान हर बार कहती हैं – टॉयलेट पेपर कम है, फल में वैरायटी नहीं, बिस्तर छोटा है, टॉयलेट कम ऊँचा है…” जैसे हमारे यहाँ कोई बोले – “रसमलाई में दूध कम है, आलू की सब्ज़ी में आलू कम है, डीजे कम बजा!” मज़ेदार बात, किसी ने तो फल में विविधता (diversity) पर तंज कसते हुए यहाँ तक कह दिया – “क्या महिला चाहती थी कि फल LGBT हो जाएँ – समलैंगिक लीची, गे अंगूर, ट्रांसजेंडर संतरा!”
किसी ने होटल के नियमों के बावजूद शिकायत कर दी – “होटल में एंटरटेनमेंट क्यों नहीं है?” जब GM ने बताया – “हमारे होटल की वेबसाइट पर लिखा है, कोई मनोरंजन नहीं है”, तो ग्राहक बोले – “हमें पता है, पर इस होटल की कीमत के हिसाब से होना चाहिए!” आखिर में GM ने हँसते हुए कह दिया – “फिर कहीं और जाइए!”
निष्कर्ष – “शिकायत करो, लेकिन हद में रहो!”
होटल, रेस्टोरेंट या किसी भी सेवा क्षेत्र में ग्राहक अक्सर शिकायत करते हैं – और करनी भी चाहिए, जब वाकई कोई समस्या हो। लेकिन जब शिकायतें सिर्फ छूट या फ्री चीज़ें पाने का ज़रिया बन जाएँ, तो वो जायज़ नहीं। इस कहानी ने दिखा दिया कि कभी-कभी सख्ती से ‘ना’ कहना भी ज़रूरी है – ताकि असली ग्राहक और स्टाफ दोनों का सम्मान बना रहे।
आपका क्या अनुभव है? क्या आपने अपने ऑफिस, दुकान, या शादी-ब्याह में ऐसे ‘शिकायत प्रेमी’ लोगों से सामना किया है? नीचे कमेंट में जरूर बताएं – और अगर आपको यह किस्सा पसंद आया हो, तो शेयर करें… ताकि अगली बार कोई नकचढ़ा मेहमान आए, तो सबको ये किस्सा याद आ जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: Some people.. good lord