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होटल की दुनिया के झूठे वादे: थर्ड पार्टी एजेंट्स की चालाकियाँ और मेहमानों की मुश्किलें

भाई साहब, अगर आपने कभी होटल में चेक-इन किया है तो ये कहानी आपके दिल को छू जाएगी! सोचिए, आपने अपने प्यारे पालतू कुत्ते के साथ बढ़िया सा होटल बुक किया, लेकिन होटल पहुँचते ही सारा गणित गड़बड़ हो जाए! जी हाँ, होटल बुकिंग साइट्स और एजेंट्स की मीठी-मीठी बातों में फँसकर हमारे जैसे कितने ही भारतीय परिवार परेशान हो जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही सच्ची घटना सुना रहे हैं, जिसमें होटल के रिसेप्शन पर बैठा कर्मचारी और एक मेहमान, दोनों तीसरे पक्ष यानी 'थर्ड पार्टी' की चालाकियों के शिकार हुए।

होटल बुकिंग में थर्ड पार्टी की लीला – वादे में दम, हकीकत में गड्ढा

आपने IRCTC, MakeMyTrip, या Booking.com जैसी साइट्स पर होटल बुकिंग जरूर देखी होगी। वहाँ सब कुछ शानदार दिखता है – 'पेट फ्रेंडली', 'फ्री ब्रेकफास्ट', 'फुल रिफंड' वगैरह वगैरह! लेकिन असली कहानी होटल पहुँचने के बाद शुरू होती है। Reddit पर एक होटल कर्मचारी ने जो किस्सा सुनाया, वह तो गजब का है।

एक सज्जन अपने परिवार और प्यारे कुत्ते के साथ होटल पहुंचे। होटल की पॉलिसी थी – सिर्फ़ सर्विस एनिमल्स (यानी दिव्यांगों के लिए प्रशिक्षित जानवर) ही कमरे में रह सकते हैं, आम पालतू जानवर नहीं। हमारे मेहमान ने पहले तो साफ-साफ कहा कि उनका कुत्ता सिर्फ़ फैमिली पेट है, सर्विस एनिमल नहीं। जब रिसेप्शनिस्ट ने उन्हें नियम बताया, तो साहब का पारा सातवें आसमान पर!

अब शुरू हुई असली जुगलबंदी – मेहमान बोले, "जिस एजेंट से बुकिंग की थी, उसी ने कहा था पेट फीस देकर कुत्ता ला सकते हैं!" रिसेप्शनिस्ट ने भी बड़ा धैर्य दिखाते हुए समझाया, "भैया, आपने होटल से नहीं, थर्ड पार्टी से बात की थी। वो अक्सर झूठ बोलते हैं ताकि बुकिंग हो जाए।"

हंसी के ठहाकों के बीच – लॉबी में कुत्ता छुपाना और 'इमोशनल ब्लैकमेल'

इस किस्से में Reddit कम्युनिटी ने भी खूब मज़ेदार कमेंट्स किए। एक पाठक ने मजाकिया अंदाज में लिखा, "दस रुपये और एक फिग न्यूटन की शर्त है, ये साहब रात में कुत्ते को चुपचाप कमरे में ले जाने की कोशिश करेंगे!" एक और ने तो यहाँ तक कहा, "पिछली बार किसी ने कोट के नीचे पूरा स्टैंडर्ड पूडल छुपाकर ले जाने की कोशिश की थी – सोचो, इतना बड़ा कुत्ता!"

हमारे भारतीय होटल्स में भी कई बार लोग बच्चों को या पालतू जानवरों को छुपाकर कमरे में ले जाते हैं, पर होटल स्टाफ़ की नजर बड़ी तेज़ होती है। इस घटना में भी रिसेप्शनिस्ट ने क्रेडिट कार्ड पर 300 डॉलर का होल्ड रख दिया – ताकि अगर कुत्ते को कमरे में पाया जाए तो जुर्माना पक्का लगे। मेहमान को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया। जब उनसे कहा गया कि कुत्ता लॉबी में भी नहीं रह सकता, तो साहब की हालत और खराब हो गई। उन्हें बस इतना ऑफर मिला कि वे दो दरवाजों के बीच खड़े होकर इंतजार कर सकते हैं – तेज ठंड में!

थर्ड पार्टी एजेंट्स: बिचौलियों की झूठी गारंटी और होटल वालों की फज़ीहत

अब सवाल उठता है – ये थर्ड पार्टी एजेंट्स आखिर झूठ क्यों बोलते हैं? एक Reddit यूज़र ने बिलकुल सटीक लिखा, "इनका बस एक ही मकसद है – बुकिंग हो जाए, पैसा आ जाए। झूठ बोलने का खामियाजा होटल वालों को भुगतना पड़ता है!" यही हाल हमारे यहाँ भी है – कभी कमरा छोटा निकल जाता है, कभी 'फ्री ब्रेकफास्ट' सिर्फ़ ब्रेड-बटर तक सीमित रहता है, और ग्राहक होटल वालों पर गुस्सा निकालते हैं।

होटल कर्मचारी ने बताया कि कभी-कभी तो थर्ड पार्टी वाले रिफंड की जिम्मेदारी भी होटल के सिर मढ़ देते हैं, जबकि असल में पैसा उन्हीं के पास होता है। ग्राहक सोचता है कि होटल वाले बेईमानी कर रहे हैं, और होटल को अपने रिव्यू की चिंता सताती है। ऐसे में होटल वाले ही बीच के बिचौलियों के झूठ का शिकार हो जाते हैं।

सिख – सीधी बात, नो बकवास: बुकिंग हमेशा होटल की वेबसाइट से करें

इस पूरी कहानी से हमें क्या सीख मिलती है? Reddit पर ही एक समझदार यूज़र ने सलाह दी, "अगर आप सच में होटल की पॉलिसी और सुविधाओं को जानना चाहते हैं, तो सीधा होटल की वेबसाइट या रिसेप्शन पर फोन करें। बिचौलियों की बातों पर भरोसा मत कीजिए।" एक और यूज़र ने बताया कि कैसे सुनते सुनते कमरे की सुविधाएं बदल जाती हैं – 'व्हीलचेयर एक्सेसिबल' कमरे की जगह 'हियरिंग एक्सेसिबल' दे दिया जाता है, और ग्राहक परेशान होकर होटल तक पहुँचता है।

हमारे देश में भी कई लोग ट्रैवल एजेंट्स या ऑनलाइन बुकिंग साइट्स के चक्कर में फँस जाते हैं। इसलिए अगली बार जब भी आप कहीं घूमने जाएं, सीधा होटल से संपर्क करें, पॉलिसी पढ़ें, और तभी बुकिंग करें।

निष्कर्ष: होटल की दुनिया में चतुराई और धैर्य दोनों चाहिए!

कहानी का अंत बड़ा रोचक रहा – आखिरकार मेहमान ने अपने दोस्त को फोन लगाया, कुत्ते को वहीं रखने का इंतजाम किया, और खुद चुपचाप चेक-इन कर लिया। लेकिन रिसेप्शनिस्ट की सतर्कता और धैर्य काबिल-ए-तारीफ थी। जैसा कि एक यूज़र ने लिखा, "कई बार अच्छाई खुद अपने लिए सज़ा बन जाती है – अब एक हफ्ते तक ये गुस्सैल मेहमान होटल वालों की नाक में दम करेगा!"

आपका क्या अनुभव है होटल बुकिंग में? कभी थर्ड पार्टी की वजह से फँसे हैं या कोई मजेदार किस्सा है? नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए, और अगली बार बुकिंग से पहले इस कहानी को याद रखिए – सीधी बात, नो बकवास!


मूल रेडिट पोस्ट: Third Parties and their need to lie.