होटल की ड्यूटी पर एक रात: पुलिस, पार्टी और पटाखा ग्राहक
अगर आपको लगता है कि होटल रिसेप्शन पर रात की ड्यूटी बोरिंग होती है, तो जनाब, आप ग़लत हैं! यहाँ हर रात एक नई फ़िल्म का सीन बन जाता है – कभी पुलिसवाले की एंट्री, कभी पार्टी की भीड़, तो कभी चालाक ग्राहक अपनी जुगाड़ लेकर हाज़िर। मेरी पिछली ड्यूटी की रात ऐसी ही कुछ अजीबों-गरीब घटनाओं से भरी रही, जिसे सुनकर आप भी कहेंगे – “भई, होटलवाला होना भी कोई आसान काम नहीं!”
जब पुलिसवाले ने टॉर्च से बजाई घंटी
शुरुआत हुई उस पुलिसवाले से, जो दरवाजे पर न दस्तक देता है, न घंटी बजाता है – बस अपनी टॉर्च को स्टोर्ब मोड पर लगाकर सीधे मेरी आँखों में चमका देता है। भाई, मानो लॉन्ग ड्राइव पर निकले हैं और सड़क पर किसी को फुल बीम मार रहे हों! मैंने दरवाज़ा खोला, बड़ा प्यार से कहा, “अगली बार दरवाज़ा खटखटा लेना, वरना कहीं मुझे मिर्गी आ गई तो आपको और मुझे दोनों को अपने-अपने अफसरों को समझाना पड़ेगा!” (वैसे मुझे मिर्गी नहीं आती, लेकिन डराने में क्या जाता है!)
पुलिसवाले के साथ एक पार्टी ड्रेस वाली महिला थी, जो क्लब से आई थी और होटल का वॉशरूम मांग रही थी। मैंने साफ़ कह दिया, “बहनजी, आप गेस्ट नहीं हैं, क्लब का वॉशरूम इस्तेमाल कर लीजिए।” उनका कहना था – “क्लब में लंबी लाइन है!” भई, लाइन तो इंडिया की शान है – चाहे रेलवे टिकट हो या शादी-ब्याह का खाना। मैंने फिर भी मना कर दिया और दोनों मुँह बनाकर चल दिए।
यहाँ एक कमेंट करने वाले का बड़ा मज़ेदार सवाल था – “अरे, पुलिसवाले को इतनी तवज्जो क्यों?” कोई बोले – “शायद पार्टी में कोई खास वजह रही होगी!” वैसे, असलियत ये थी कि क्लब वालों ने अपनी सिक्योरिटी के लिए ऑफ-ड्यूटी पुलिस को रखा था और पेट्रोलिंग करते-करते बेचारे को बाथरूम जाना था। ओपी (कहानी सुनाने वाले) भी बोले – “पुलिसवाले को अंदर आने देने में मुझे कोई ऐतराज नहीं, लेकिन पार्टी वाली को नहीं।”
बुकिंग की उलझन और ‘मैं ऑनलाइन देख रही हूँ’ ड्रामा
थोड़ी देर बाद एक महिला आई, बोली – “मैं चेक-इन करने आई हूँ।” नाम पूछा तो रिकॉर्ड से मेल ही नहीं खाया। कहती है – “मैंने अभी फोन किया था, मुझे बताया गया था कि रूम खाली है।” मैंने कहा – “बहनजी, होटल फुल है, हो सकता है आपको अगले दिन का रूम बताया गया हो।” वो तो मानने को तैयार नहीं थी, बार-बार कहती रही – “मुझे अभी चाहिए!” भाई, ये होटल है, मॉल नहीं कि ‘अभी का अभी’ ले लो।
सबसे बड़ा ट्विस्ट तब आया जब असल में जिन तीन गेस्ट्स की बुकिंग थी, वे आए और बोले – “हमें तो दो ही रूम चाहिए।” अब सोचिए, अगर पहले पता चलता तो उस महिला को रूम मिल जाता। एक कमेंट में किसी ने सही लिखा – “हमेशा आख़िरी वाले गेस्ट्स ही ऐसा करते हैं, और होटलवाले को गुस्सा इसलिए आता है क्योंकि वो रूम पचास बार बेच सकता था अगर पहले पता चलता।”
ग्राहक और उसका ‘ऑनलाइन’ दांव
जैसे ही मैंने ऑडिट पूरा किया, एक साहब रेलवे स्टेशन से आए और बोले – “रूम चाहिए।” मैंने दाम बताया – $140। बोलते हैं – “अरे, मेरे फोन पर तो $54 दिख रहा है!” मैंने कहा – “भाई, अगर सच में दिख रहा है तो वहीं से बुक कर लो, मैं तो ये रेट नहीं दे सकता।” जनाब गालियाँ बकते चले गए। अरे भई, ये जुगाड़ तो इंडिया में भी चलता है – “ऑनलाइन सस्ता दिख रहा है, वही दे दो!” एक कमेंट में किसी ने मस्त लिखा – “भाई, अगर फोन पर रेट दिख रहा है तो वहीं से बुक कर लो, दुकानदार से मोलभाव क्यों?”
वैसे, ऐसे ग्राहक हर जगह मिलेंगे – मॉल में, होटल में, या फिर आपकी लोकल किराना में – “भैया, ये ऑनलाइन 30 रुपए सस्ता मिल रहा है, आप भी दे दो!”
होटल में रूम कैंसिलेशन और बुकिंग की तिकड़म
एक और मज़ेदार चर्चा कमेंट में हुई – होटल की कैंसिलेशन पॉलिसी पर। इंडिया में तो लोग आख़िरी मिनट तक जुगाड़ लगाते रहते हैं, लेकिन यहाँ ओपी ने बताया – “अगर गेस्ट बुकिंग के बाद नहीं आता, फिर भी चार्ज करते हैं, खासकर जब होटल फुल हो।” तो समझ लीजिए, होटलवाले भी अपना गणित जानते हैं – एक रूम, दो दाम!
होटल रिसेप्शन: जहाँ हर रात ‘धमाल’ है
कुल मिलाकर, होटल की रिसेप्शन डेस्क पर रात भर ‘एंटरटेनमेंट’ रहता है – पुलिसवाले का ड्रामा, पार्टी की भीड़, चालाक ग्राहक और कभी-कभी खुद होटलवाले का भी दिमाग़ घूम जाता है।
क्या आपने कभी ऐसी अजीब होटल एक्सपीरियंस देखी है? कमेंट में जरूर बताइए, और अगर आप भी कभी होटल रिसेप्शन पर गए हों, तो वहाँ की मस्ती या उलझन जरूर शेयर करें।
अगली बार जब होटल जाएँ, रिसेप्शनिस्ट को सलाम कीजिए – वो भी रात भर आपके लिए जागता है, और कभी-कभी ऐसी कहानियाँ जीता है, जिनके आगे बॉलीवुड की फ़िल्में भी फीकी पड़ जाएँ!
मूल रेडिट पोस्ट: It Was a Weird Night