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होटल की टॉयलेट की गाथा: जब एक मेहमान ने सब्र का बांध तोड़ दिया

होटल में काम करना जितना आसान दिखता है, असलियत में उतना ही रोमांचक और कभी-कभी सिर पकड़ने वाला होता है। टेबल के पीछे बैठा रिसेप्शनिस्ट कभी-कभी खुद को ऐसे हालात में फंसा हुआ पाता है, जो न तो ट्रेनिंग में सिखाए जाते हैं और न ही जॉब डिस्क्रिप्शन में लिखे होते हैं। आज की कहानी भी ऐसी ही एक 'शौचालयीय' आपदा के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसने होटल स्टाफ का चैन छीन लिया।

आधी रात की कॉल: "भैया, टॉयलेट जाम है!"

सोचिए, रात के 12 बजे हर कोई चैन की नींद सो रहा है, तभी रिसेप्शन की घंटी बजती है। फोन उठाते ही दूसरी तरफ से आवाज़ आती है, "भैया, मेरे कमरे का टॉयलेट जाम हो गया है।" अब रिसेप्शनिस्ट साहब बड़ी विनम्रता से पूछते हैं, "अभी आप कमरे में हैं या बाहर?" पता चलता है कि साहब तो खुद नाइट ड्यूटी पर काम करते हैं, होटल में हैं ही नहीं! रिसेप्शनिस्ट ने फौरन प्लंजर देने की पेशकश की, लेकिन जनाब बोले, "मैं होटल में नहीं हूं, जब आऊँगा तब दूंगा।"

यहाँ से गाथा शुरू होती है असली परेशानी की। रिसेप्शनिस्ट न तो मेंटेनेंस मैन हैं, न ही उनकी ड्यूटी में टॉयलेट का जाम खोलना लिखा है। ऊपर से होटल की नीति है कि रिसेप्शनिस्ट लंबे समय के लिए डेस्क छोड़कर कहीं नहीं जा सकते। ऐसे में उन्होंने बड़े ही सौम्य तरीके से कहा, "हमारा मेंटेनेंस टेक्नीशियन सुबह 8:30 बजे आएगा, उसी समय ठीक हो पाएगा।" पर साहब को तो नींद प्यारी थी — बोले, "8:30 बजे तो मैं सोऊँगा!"

विकल्पों की बारिश, मगर समाधान नहीं

अब रिसेप्शनिस्ट ने जितने विकल्प दे सकते थे, दे डाले। "आप चाहें तो प्लंजर ले लें, या फिर हम आपको दूसरा कमरा दे सकते हैं, या फिर मेंटेनेंस को अंदर जाने दें।" लेकिन साहब को हर विकल्प में कोई न कोई परेशानी दिखी। इसे पढ़कर एक कमेंट करने वाले भाई ने बड़ा मज़ेदार तंज कसा, "इतनी रात में रिसेप्शनिस्ट को कमरे में बुलाना खतरे से खाली नहीं। कहीं कोई चाल तो नहीं?"

कई और लोगों ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किए। एक मेंटेनेंस वर्कर ने लिखा, "हमारे यहाँ तो रात में अगर रिसेप्शनिस्ट को कॉल आती है, तो वो बस बाहर प्लंजर रख देता है, मेहमान खुद इस्तेमाल कर लेता है। किसी और की 'मुसीबत' से निपटना कोई पसंद नहीं करता!"

जब पानी सिर से ऊपर चला गया

कहानी में ट्विस्ट तब आया जब हाउसकीपिंग स्टाफ सुबह कमरे में टॉयलेट ठीक करने पहुँची, लेकिन गेस्ट गहरी नींद में थे। ऐसे में उन्होंने कमरे में घुसना ठीक नहीं समझा। बाद में जब जनाब उठे तो टॉयलेट को बार-बार फ्लश करते गए, जब तक कि पानी ओवरफ्लो होकर नीचे लॉबी तक नहीं आ गया! अब होटल वालों की तो शामत आ गई — लॉबी की छत से पानी टपकने लगा, सफाई और मरम्मत का झंझट अलग।

एक कमेंट में किसी ने लिखा, "ऐसे मेहमान के लिए तो अतिरिक्त चार्ज लगना चाहिए, आखिरकार नुकसान उसी की लापरवाही से हुआ।" दूसरे ने कहा, "भैया, आपको टॉयलेट खोलने के पैसे नहीं मिलते, आपसे जितना बन पड़ा, आपने किया। अब अगर कोई खुद ही समस्या को बड़ा बना दे, तो क्या करें?"

सीख और हास्य: होटल स्टाफ के लिए सबक

इस पूरे किस्से में सबसे बड़ी सीख यही है कि अपनी ड्यूटी और सुरक्षा दोनों का ख्याल रखना जरूरी है। रिसेप्शनिस्ट ने जितने विकल्प दे सकते थे, सब दिए — न किसी की सुरक्षा को खतरे में डाला, न ही अपने रोल से बाहर गए। एक मज़ेदार कमेंट में किसी ने यहां तक कह दिया, "हमारे यहाँ तो प्लंबर भी इतना सिरदर्द नहीं उठाता, जितना होटल स्टाफ उठा लेता है!"

कई लोगों ने सलाह दी कि ऐसे मामलों में साफ-साफ नियम होने चाहिए — "या तो मेहमान खुद प्लंजर ले, या फिर मेंटेनेंस के समय जागे। बेवजह रिसेप्शनिस्ट को परेशान करना किसी भी लिहाज से जायज नहीं।"

निष्कर्ष: आपका क्या कहना है?

होटल में काम करने वालों को अक्सर ऐसे मज़ेदार और कभी-कभी परेशान करने वाले अनुभव होते रहते हैं। इस किस्से को पढ़कर आपके मन में क्या आया? क्या आपको भी कभी ऐसी अजीबो-गरीब स्थिति का सामना करना पड़ा है? क्या आपको लगता है कि रिसेप्शनिस्ट को मेहमानों के टॉयलेट खोलने चाहिए, या यह काम सिर्फ मेंटेनेंस का है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए। और हाँ, अगली बार होटल जाएँ, तो अपने कमरे का टॉयलेट सही इस्तेमाल करें — वरना अगली कहानी आपके नाम भी हो सकती है!


मूल रेडिट पोस्ट: the clogged toilet saga