होटल की घंटी, झूठा अलार्म और गुस्साए मेहमान: एक रिसेप्शनिस्ट की आपबीती
होटल में काम करना सुनने में जितना मजेदार लगता है, असलियत में उतना ही सर दर्द वाला हो सकता है। सोचिए, आप अपना ब्रेक खत्म करके रिसेप्शन पर पहुंचे ही हैं, और अचानक होटल की फायर अलार्म पूरे जोर-शोर से बज उठती है! ऊपर से मेहमानों का गुस्सा, और कोई आपको चुपके से वीडियो बना रहा हो—भैया, इससे बड़ा झंझट और क्या हो सकता है?
तो जनाब, यह किस्सा है एक पुराने होटल का, जहां फायर अलार्म का ऐसा हाल था कि जैसे हल्की सी छींक भी हो जाए तो पूरे इलाके को पता चल जाए! वैसे भी, हमारे यहां पुराने सरकारी दफ्तरों में या हॉस्टलों में आपने देखा होगा—कभी-कभी बिजली के तार इतने पुराने हो जाते हैं कि हल्की सी चिंगारी पर ही हंगामा मच जाता है। बस, कुछ ऐसा ही हाल इस होटल का था।
अब, कहानी की शुरुआत में ही रिसेप्शनिस्ट साहब का सामना एक हट्टे-कट्टे मेहमान से हो गया, जो बिना फिजिकल कार्ड के चेक-इन करवाना चाह रहे थे। इंडिया में तो अक्सर लोग “भैया, पेटीएम कर दूं?” टाइप जुगाड़ लगा ही लेते हैं, मगर विदेशों में फिजिकल कार्ड की मांग ऐसी होती है जैसे शादी में पंडित की! खैर, कंपनी से परमिशन वगैरह आई, मामला सुलझा, मगर तभी—फायर अलार्म ने माहौल में भूचाल ला दिया।
अब सोचिए, अलार्म बजते ही रिसेप्शनिस्ट और उनके साथी ज़ैक, बाहर बंदर जैसे उछलते-भागते लोगों को समझा रहे हैं—“भाईसाहब, सब ठीक है, कोई आग नहीं लगी, कमरे में ही रहिए!” मगर मेहमानों का क्या, उन्हें तो बस रिफंड चाहिए, या फिर दूसरा होटल! कोई चिल्ला रहा है, कोई धमका रहा है, कोई कैमरा ऑन करके वायरल वीडियो की फिराक में है। और ऐसे में अगर किसी ने होटल स्टाफ की वीडियो बना ली तो? ज़रा सोचिए, जैसे आजकल सोशल मीडिया पर हर छोटी-बड़ी बात वायरल हो जाती है, वैसे ही होटल के ये कर्मचारी भी डर रहे थे कि कहीं ‘कैंसल कल्चर’ का शिकार न हो जाएं!
इस पूरे तमाशे के बीच, एक कमेंट करने वाले ने बड़ा मजेदार तंज कसा—“भैया, मेरे साथ तो कभी पूरे होटल का अलार्म नहीं बजा, मगर कमरे का छोटा सा अलार्म भी बाथरूम की भाप से बज जाता है!” सोचिए, सर्दियों में जब बाथरूम में गर्म पानी से नहाएं और भाप उठे, तो अलार्म ऐसे बज उठे जैसे लंका में रामजी का तीर लग गया हो!
एक और कमेंट में किसी ने लिखा—“अरे, पास वाले अपार्टमेंट का एक बंदा तो बिना मतलब आकर पूछने लगा ‘क्या हो रहा है?’। भैया, जब होटल में आग लग रही हो (या कम से कम ऐसा लगे), तो बाहर वाले को क्या लेना-देना! हमारे यहां तो मोहल्ले में अगर किसी के घर से धुंआ निकले, तो पूरा बाज़ार इकट्ठा हो जाता है—‘क्या हुआ, कहां से आया?’। मगर यहां मामला उल्टा था—आदमी खुद ही परेशान करने चला आया!”
रिसेप्शनिस्ट का दर्द भी समझिए—इतनी भागदौड़, गालियां, और ऊपर से स्किन की एलर्जी! जैसे हमारे यहां गर्मी में पसीने से चिढ़ होती है, वैसे ही इनका चेहरा जलने लगा। और ज़ैक की हालत ऐसी जैसे उसे कोई एलर्जिक रिएक्शन हो गया हो!
एक कमेंट में किसी ने कहा, “भैया, आजकल हर कोई वीडियो बनाना चाहता है। लोग दूसरों के सबसे बुरे वक्त को कैमरे में कैद करके वायरल करना चाहते हैं, ताकि खुद मशहूर हो जाएं।” ये बात सच भी है—सोशल मीडिया पर तो जैसे ‘किसी की मुश्किल, मेरी टीआरपी’ का दौर चल रहा है!
यहां तक कि होटल के पुराने कर्मचारी (OP) ने भी अपना दर्द साझा किया—“भैया, कोई फालतू में वीडियो बनाकर मेरी बॉडी पर कमेंट कर दे, तो मैं तो डिप्रेशन में चला जाऊं! और वैसे भी, वीडियो बनाकर क्या मिलेगा? 90% बार तो पता चलता है कि जो वीडियो बना रहा था, वही गलत था!”
अब सोचिए, होटल वाले बेचारे क्या करें? फायर अलार्म कब बजेगा, कब बंद होगा, किसी को नहीं पता। मेहमानों को संतुष्ट करना अपने आप में एक कला है—जैसे शादी-ब्याह में दूल्हे के रिश्तेदारों को खुश करना!
कुल मिलाकर, ये किस्सा हमें यही सिखाता है कि होटल की नौकरी कोई हंसी-खेल नहीं। हर दिन कुछ नया, कुछ अनोखा, और कभी-कभी तो सोशल मीडिया की तलवार सिर पर लटकती रहती है।
तो अगली बार जब आप किसी होटल में रहें और फायर अलार्म बज जाए, तो जरा रिसेप्शनिस्ट की हालत भी समझिए। और हां, फोन निकालकर वीडियो बनाने से बेहतर है, थोड़ा धैर्य रखें—क्योंकि हर बार वायरल वीडियो बनाने का शौक, किसी की मुश्किल और आपकी भी शर्मिंदगी का कारण बन सकता है।
आपका क्या अनुभव रहा है ऐसे होटल या ऑफिस में, जहां टेक्नोलॉजी ने सिरदर्द बढ़ा दिया हो? कमेंट में जरूर बताइएगा!
मूल रेडिट पोस्ट: False Fire Alarm, Angry Guests, and Getting Filmed