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होटल का खेल: जल्दीबाजी में उठाया कदम, खुद ही फँस गया जाल में!

निर्माण उपकरण पकड़े एक व्यक्ति का मजेदार 3D कार्टून चित्र, जो मिश्रित रूपकों का प्रतीक है।
इस मजेदार 3D कार्टून चित्रण में हम समय से पहले कूदने के हास्य पक्ष को देख रहे हैं—शाब्दिक रूप में! जैसे-जैसे गर्मियों की भीड़ कम होती है, निर्माण ठेकेदार दृश्य में अपनी अनोखी अनुभवों के साथ दर्शाते हैं।

होटल में काम करना यानी रोज़ नए किस्सों का अड्डा! कभी बारातियों की फौज तो कभी छुट्टियों में घूमने वालों की भीड़—हर मौसम की अपनी अलग कहानी होती है। पर जैसे ही गर्मी की भीड़ छंटती है, तो होटल में आ जाते हैं—हमारे अपने देसी ठेकेदार, निर्माण मजदूर और इंजीनियर साहब लोग! ये लोग हर हफ्ते आते-जाते हैं, और होटल वालों के लिए किसी सोने की खान से कम नहीं होते।

जल्दीबाजी में उठाया गया कदम: "खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली!"

अब ज़रा सोचिए, अगर आप होटल रिसेप्शन पर हैं और कोई ठेकेदार साहब आते हैं, मुस्कुराकर कहते हैं, "भाईसाहब, कई हफ्तों तक यहीं रुकना है।" आप तुरंत मौके का फायदा उठाना चाहेंगे, है न? यही किया हमारे किस्से के हीरो ने। उन्होंने ठेकेदार को बढ़िया रेट और पक्की बुकिंग का ऑफर दे डाला—वो भी उन मैचों के समय जब शहर में होटल का कमरा मिलना सपना होता है! ठेकेदार पहले थोड़ा झिझका, बोला, "भैया, कंपनी से ओके करवाना है, इसमें टाइम लगेगा।" रिसेप्शनिस्ट ने सोचा—कोई बात नहीं, मैं बुकिंग कर ही देता हूँ, बाद में कन्फर्म हो जाएगा।

पर होटल की दुनिया में सब कुछ इतना सीधा कहाँ होता है! तीन हफ्ते बीत गए, ठेकेदार की तरफ से कोई खबर नहीं। रिसेप्शनिस्ट ने सोचा—लगता है जलेबी बनाने गए थे, अब शायद लौटेंगे नहीं! उन्होंने बीती रात एक-एक कर के सारी बुकिंग कैंसिल कर दी। और जैसे ही दीवार पर घड़ी ने रात का एक बजाया, ठेकेदार साहब का फोन आ गया—"भैया, सब ओके है, अगले साल भर के लिए वही बुकिंग चाहिए!"

अब बेचारे रिसेप्शनिस्ट का हाल वही हुआ, जैसा हमारे यहाँ 'मुर्गी पहले आए या अंडा' वाले सवाल में होता है—अगर एक हफ्ता और रुक जाते, तो सब सेट था!

ऑनलाइन कम्युनिटी की चटपटी टिप्पणियाँ: हमारी-आपकी भाषा में

रेडिट पर इस किस्से ने खूब रंग जमाया! एक यूजर ने मजेदार अंदाज में कहा, "भैया, कभी-कभी गोली काट लेनी चाहिए, बारूद गीला ही रखना बेहतर है।" (मतलब, धैर्य रखो, जल्दीबाजी मत करो!) किसी ने अंग्रेज़ी मुहावरे की मिक्सिंग पर चुटकी ली—"अब तो डर है कि कहीं मिस्टर बीन या मोंटी पाइथन जैसा कुछ न देखने को मिले!" (यानि, मुहावरे इतने उलझ गए कि समझ ही नहीं आ रहा था, असली माजरा है क्या!)

एक और कमेंट था, "अगली बार साफ-साफ बोलो—भैया, शुक्रवार तक बताना, वरना बुकिंग फिस्स!" ये टिप हमारे देसी ऑफिस कल्चर में भी काम आती है। यहाँ भी जब कोई बॉस या कस्टमर झूलाता है, तो हम कहते हैं—"आखिरी तारीख बता दो, नहीं तो फाइल बंद समझो!"

होटल की दुनिया—हर रोज़ नई पहेली!

होटल इंडस्ट्री में काम करने वाले अक्सर कहते हैं—यहाँ हर रात, हर ग्राहक और हर बुकिंग नई कहानी होती है! किसी ने कमेंट किया, "अभी-अभी एक ग्राहक आया, आधी रात के बाद, शायद नशे में था, रूम चाहिए था।" जब दस्तावेज़ नहीं मिले, तो ग्राहक रिसेप्शन पर सोने की जिद करने लगा, पुलिस बुलानी पड़ी, और अंत में पुलिसवाले उसे शेल्टर ले गए—जो कीड़े-मकोड़ों से भरा था! हमारे यहाँ भी ऐसे किस्से आम हैं—कभी कोई बाराती बिन बुलाए आ जाता है, कभी कोई मेहमान शादी में पंडित बनकर घुस जाता है!

यहाँ सीख यही है—हर ग्राहक की अलग कहानी, और हर रिसेप्शनिस्ट की अलग चुनौती! कभी जल्दीबाजी में काम बन जाता है, तो कभी वही जल्दीबाजी सिर पकड़ने का कारण बन जाती है।

सीख और मुस्कान: होटल और ज़िंदगी दोनों की

इस पूरे किस्से में जो बात सबसे प्यारी लगी, वो यह कि हमारे होटलवाले ने दिल से कोशिश की, ग्राहक का फायदा सोचा, पर थोड़ी जल्दी में खुद ही उलझ गया। जैसे हमारे यहाँ कहते हैं—"जल्दबाजी शैतान का काम!" तो अगली बार ऐसे मौके आएं, तो थोड़ा सब्र रखना बेहतर है। एक कमेंट में लिखा—"कभी-कभी तो काम करने का मन होता है, पर वही गलत काम का चुनाव कर लेते हैं!" (ऐसा हम सबके साथ होता है, ऑफिस में भी!)

इसलिए, अगर आप भी कभी होटल बुक करें या ऑफिस में किसी क्लाइंट से डील करें, तो साफ तारीख और शर्तें तय कर लें—वरना बाद में पछताना पड़ सकता है!

अंत में—आपकी बारी!

क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है, जब आपने जल्दीबाजी में कोई फैसला लिया और बाद में लगा—अरे, अभी तो रुकना चाहिए था? या होटल, दफ्तर, दुकान या घर में ऐसा कोई किस्सा? हमें कमेंट में जरूर बताइए! और हाँ, अगर होटल की दुनिया के और मजेदार किस्से पढ़ना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग को फॉलो करना न भूलें।

ज़िंदगी है, गलती होगी, तो सीख भी मिलेगी—पर हँसी-मज़ाक के साथ!


मूल रेडिट पोस्ट: I Jumped the Gun and Shot Myself in the Foot