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होटल के कमरे में सिगरेट की गंध: किसकी गलती, किसका नुक़सान?

खिड़की की खिड़की पर राख के साथ एक कमरे की एनिमे चित्रण, अंदर धूम्रपान के संकेत दिखा रहा है।
इस जीवंत एनिमे-शैली की छवि में, एक कमरे में धूम्रपान के स्पष्ट सबूत हैं, खिड़की पर राख बिखरी हुई है और एक हल्की गंध बनी हुई है। आइए इस धूम्रपान भरे रहस्य में गहरे उतरें!

भैया, होटलवाले और मेहमानों की खटपट तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन आज जो किस्सा सुनाने जा रहे हैं, वो थोड़ा अलग है। सोचिए, आप होटल के फ्रंट डेस्क पर बैठे हैं, अचानक हाउसकीपिंग से फोन आता है—"साब, कमरा नंबर 207 में किसी ने सिगरेट पी ली है!" अब होटल का नियम तो साफ है—कमरे में धूम्रपान सख्त मना है। लेकिन असली मसाला तो इसके बाद शुरू होता है!

कमरे में धुआँ, गंध और सबूतों की तलाश

अब जैसे ही ये खबर मिली, फ्रंट डेस्कवाले (जिन्हें हम आगे 'मनोज जी' बोलेंगे) खुद जा पहुंचे कमरे में, साथ में मेंटेनेंस वाले भी। देखते हैं, खिड़की की सिल पर राख पड़ी है, और हल्की-सी सिगरेट की खुशबू भी है। वैसे तो कमरा धुआँ-धुआँ नहीं था, लेकिन हाउसकीपिंग और मेंटेनेंस दोनों ने कहा—"सर, लगता है यहाँ पक्का किसी ने फूँक मार दी है!"

मनोज जी को भी हल्की सी 'कोल्ट सिगरेट' जैसी खुशबू आई, पर मामला पक्का नहीं लग रहा था। लेकिन जब तीन-तीन बंदे एक ही बात बोल रहे हों, और फोटो में राख भी दिख रही हो, तो शक की गुंजाइश कम ही बचती है।

मेहमान की कसम और होटल का नियम

अब असली मज़ा आया जब मेहमान (मान लीजिए नाम है 'शिवम बाबू') को बुलाया गया। बोले, "भईया, मैंने तो बिलकुल नहीं पी!" मनोज जी ने सबूत दिखाए तो भी शिवम बाबू अपनी कसम पर अड़े रहे। मजेदार बात ये कि मनोज जी ने सुबह इन्हें बाहर सिगरेट पीते देखा था, लेकिन वो बोले—"मैंने कमरे में नहीं पी, बाहर पी थी।"

यहीं पर कम्युनिटी के एक सज्जन की बात याद आ गई—"अगर बत्तख की तरह दिखता है, बत्तख की तरह चलता है, तो बत्तख ही होगा!" यानी सबूत और हालात साफ दिखा रहे थे कि कमरे में धुआँ हुआ है।

दूसरी तरफ, कुछ अनुभवी लोगों ने कहा—"भई, मैं भी सालों तक सिगरेट पीता रहा, लेकिन होटल के कमरे में कभी नहीं पी। पर हाँ, कभी-कभी कपड़े वगैरह में गंध रह जाती है, जिससे गलतफहमी हो सकती है।" एक ने तो मज़ेदार किस्सा सुनाया—"एक बार एक गेस्ट खिड़की से बाहर झुककर 'तकनीकी तौर पर' कमरे के बाहर सिगरेट पी रहा था!"

होटलवालों की दुविधा: चार्ज करें या छोड़ दें?

अब मनोज जी के सामने सवाल खड़ा हो गया—क्या शिवम बाबू से कमरे का जुर्माना वसूला जाए? होटल का नियम तो साफ था—अगर कमरे में सिगरेट का धुआँ मिला, तो सिक्योरिटी डिपॉजिट से मोटी रकम काटी जाएगी।

कम्युनिटी में कई लोगों ने कहा—"भाई, जब राख, गंध और तीन-तीन लोगों की गवाही है, तो पैसे काटो।" किसी ने तो यहाँ तक लिख दिया—"अगर होटल में धूम्रपान मना है, तो ये बहस ही क्यों?" वहीं कुछ ने ये भी कहा कि कभी-कभी गंध कपड़ों से भी आती है, और निर्दोष को भी फँसाया जा सकता है।

पर एक और पहलू भी था—कई होटल वाले खुद मानते हैं कि सिगरेट की गंध हटाना आसान नहीं, और अगला गेस्ट अगर एलर्जिक है तो दिक्कत हो सकती है। एक पाठक ने तो सलाह दी—"कमरे को ओज़ोन मशीन से बारह घंटे तक चलाओ, ताकि गंध साफ हो जाए।"

आखिरी चाल: नियम का डंडा या इंसानियत का तकाज़ा?

आखिरकार मनोज जी ने वही किया जो अक्सर होता है—कहा, "सर, जब तक हमारे जनरल मैनेजर (GM) वापस नहीं आते, मैं रिफंड नहीं दे सकता। GM साहब एक हफ्ते के लिए बाहर हैं, वापस आकर देखेंगे।" असल में GM साहब वहीं थे या नहीं, ये तो मनोज जी और उनकी किस्मत जानते हैं!

शिवम बाबू को समझा-बुझाकर विदा किया गया, और हाउसकीपिंग को कमरा साफ करने कह दिया गया। आगे क्या हुआ, वो तो GM साहब ही जानें। लेकिन होटल वालों का अनुभव यही कहता है—"अगर होटल का नियम है, तो उसे निभाना ही चाहिए, वरना कल हर कोई बहाना बनाएगा।"

एक पाठक ने बड़ा सटीक लिखा—"अगर आप नियम तोड़ते हैं, तो जिम्मेदारी भी आपकी ही बनती है, चाहे गलती से हो या जानबूझकर।"

निष्कर्ष: होटल में नियम तोड़ना—मज़ाक नहीं

इस पूरे किस्से से हमें यही सीख मिलती है कि होटल में रहना हो तो उसके नियमों का पालन जरूर करें। वरना छोटे से 'धुएँ' के चक्कर में जेब हल्की हो सकती है, और आपकी साख पर भी दाग लग सकता है। कभी-कभी गंध कपड़ों या बालों में रह जाती है, पर राख, धुआँ और गवाही झूठ नहीं बोलती!

अब आप बताइए—अगर आप होटल मैनेजर होते, तो क्या करते? क्या शिवम बाबू को माफ कर देते या डिपॉजिट से पैसे काट लेते? अपनी राय कमेंट में जरूर बताइए, और ऐसे ही मजेदार किस्सों के लिए बने रहिए हमारे साथ!


मूल रेडिट पोस्ट: Smoked in room....maybe??