होटल के कमरे नंबर 114 की डरावनी दास्तां: जब बुरी ऊर्जा ने सबको डरा दिया
होटल में काम करना वैसे तो बड़ा मज़ेदार और रंग-बिरंगा अनुभव होता है। रोज़ नए-नए मेहमान, उनकी अजीब-ओ-गरीब फरमाइशें, और कभी-कभी तो ऐसा लगता है मानो कोई फिल्मी सीन सामने आ गया हो। लेकिन आज जो किस्सा मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो न सिर्फ़ दिल दहला देने वाला है, बल्कि होटल की उस दुनिया का भी आइना है, जो बाहर से चमचमाती दिखती है मगर अंदर से कई बार अजीब रहस्यों से भरी होती है।
क्या आपने कभी किसी ऐसे कमरे के बारे में सुना है, जिसमें घुसते ही रोंगटे खड़े हो जाएँ? होटल के कमरे नंबर 114 के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जिसने वहाँ काम करने वाले हर शख्स को हैरान-परेशान कर दिया। तो चलिए, जानते हैं इस रहस्यमयी कमरे की कहानी, जिसमें सिर्फ़ गंदगी और बदबू ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसा था जिसे महसूस तो किया जा सकता है, पर बयान करना मुश्किल है।
कमरे नंबर 114: सिर्फ़ एक कमरा या कोई शापित जगह?
साल 2023 की बात है। होटल में एक नया कर्मचारी जुड़ा, और उसी वक्त एक मेहमान भी आया – एक बेघर आदमी, जिसकी हालत देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए। उसे एक वेटरन्स ग्रुप ने कुछ दिनों के लिए रुकने का इंतजाम किया था। लेकिन जैसे हमारे यहाँ कई बार “चलो भाई, दिल बड़ा रखो” कहकर लोग नियमों की अनदेखी कर देते हैं, वैसे ही होटल के बॉस ने भी इंसानियत दिखाते हुए उसे महीनों तक रोक लिया।
अब हुआ ये कि वो आदमी अपने कमरे में किसी को घुसने नहीं देता था। हाउसकीपिंग का नाम सुनते ही उसकी त्यौरियाँ चढ़ जातीं। कमरे में कूड़ा, गंदे तौलिए, बिस्तर की चादरें – सब कुछ जमा होता गया। वो तो बस ऊपर से साफ़ तकिया-कवर चढ़ा देता था, असली गंदगी नीचे ही रहती। उसकी बड़ी सी कुतिया भी कमरे में बंद रहती, बेचारे जानवर को भी बाहर खुली हवा नसीब नहीं होती थी। जब-जब वो बाहर जाती, पूरे होटल में जैसे बवंडर आ जाता – कुतिया अपने मालिक को घसीटते हुए दरवाज़े तक ले जाती थी। ये नज़ारा देखकर हँसी भी आती और उस जानवर के लिए दुख भी होता।
बुरी ऊर्जा या कोई अलौकिक ताकत?
होटल में काम करने वाले ‘बेस्टी’ और उनके साथी हमेशा कहते, “इस कमरे में कुछ तो गड़बड़ है!” बेस्टी को तो वहाँ जाते ही अजीब सी बेचैनी होती थी, जैसे कोई छाया पीछा कर रही हो। कई लोग मज़ाक में पूछने लगे – “कहीं ये होटल ओवरलुक होटल (The Shining फिल्म वाला होटल) तो नहीं?” बेस्टी ने भी माना कि उस कमरे में कुछ तो था, जो आदमी के जाने के बाद भी छूट गया। बाद में पता चला कि वो आदमी एक और होटल में ऐसा ही झगड़ा करने के बाद होटल मालिक को गोली मारकर खुदकुशी कर बैठा। बेस्टी और उनके साथी कांप उठे – सोचिए, अगर वो हमारे होटल में ऐसा करता तो?
एक कमेंट में किसी ने लिखा, “क्या कमरे में गैस लीक तो नहीं?” लेकिन जवाब आया – “अगर ऐसा होता तो बाकी कमरों में भी असर होता, यहाँ तो सब ठीक था।” यहाँ तक कि होटल की पुरानी इमारत भी कभी असिस्टेड लिविंग फैसिलिटी और नर्सिंग होम रही थी, जहाँ पहले भी कई अजीब घटनाएँ हो चुकी थीं। लोग कहते हैं, “पुरानी इमारतें अपने राज़ खुद में समेटे रहती हैं।”
हाउसकीपिंग की बहादुरी और होटल का सच्चा हीरो
हमारे देश में भी हाउसकीपिंग स्टाफ को अक्सर हल्के में लिया जाता है, लेकिन असली जंग तो वही लड़ते हैं। कमरे नंबर 114 की सफाई करना किसी शेर का दिल चाहिए था। एक बार तो एक हाउसकीपर की उसी कमरे में हार्ट अटैक से मौत हो गई! बेस्टी ने कहा, “अब समझ आया, क्यों मैं वहाँ जाने में हिचकिचाता था – वहाँ की बुरी ऊर्जा ने शायद अपना रंग दिखा दिया।”
एक कमेंट में किसी ने हँसते हुए लिखा, “मुझे तो भूतों पर विश्वास नहीं, लेकिन एक बार रात को पुराने प्लांट में गश्त लगाते हुए बिजली चली गई तो मैंने तो ताला लगाकर भागने में ही भलाई समझी!” यही बात है – डर असली हो न हो, महसूस जरूर होता है।
होटल का सबक: इंसानियत ज़रूरी, लेकिन सावधानी भी
इस पूरे किस्से से एक बात सीखी जा सकती है – बड़े दिल के साथ-साथ नियमों की सख्ती भी ज़रूरी है। होटल के मैनेजर ने इंसानियत दिखाई, लेकिन 17,000 डॉलर (लगभग 14 लाख रुपये!) की उधारी भी लग गई, जो कभी नहीं चुकाई गई। हमारे यहाँ भी ऐसे किस्से कम नहीं, जब किसी पर दया दिखाने में मुश्किल में पड़ जाते हैं। भावनाएँ ज़रूरी हैं, पर सुरक्षा और नियम भी उतने ही अहम।
क्या कमरे की बुरी ऊर्जा सच में असर करती है?
होटल के कई कर्मचारी अब भी मानते हैं कि कमरे नंबर 114 में कुछ रहस्यमयी था। कुछ कहते हैं, “ये सब दिमाग का वहम है,” तो कुछ मानते हैं कि पुरानी घटनाओं की छाया कभी-कभी सच में महसूस होती है। वैसे भी, हमारे यहाँ कहते हैं – “जहाँ दुर्घटना हुई हो, वहाँ हवा भी सिसकती है।”
समापन: आपकी राय?
दोस्तों, होटल के कमरे नंबर 114 की ये कहानी सुनी तो आपको कैसा लगा? क्या आपने भी कभी किसी जगह ऐसा अजीब अनुभव किया है? कमेंट में ज़रूर बताइए। और हाँ, अगली बार जब होटल में रहें तो हाउसकीपिंग को धन्यवाद कहना न भूलें – कौन जाने, कौन सा कमरा क्या राज़ छुपाए बैठा हो!
मूल रेडिट पोस्ट: The horrors of 114