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सास को सबक सिखाने का अद्भुत बदला: ट्रैक्टर, ट्रेलर और पेटी रिवेंज

सास के दबाव से अभिभूत एक महिला, भावनात्मक संघर्ष को सिनेमाई शैली में दर्शाती हुई।
इस सिनेमाई चित्रण में, एक महिला अपनी सास के आत्मकेंद्रित व्यवहार के बोझ से जूझती है, जो पारिवारिक मिलनों के दौरान होने वाली चिंता और भय को दर्शाता है। यह नाटकीय चित्रण भावनात्मक उथल-पुथल के बीच शांति बनाए रखने के संघर्ष को encapsulate करता है।

कहते हैं, सास–दामाद का रिश्ता अगर फिल्मी तड़का पकड़ ले तो उसमें ड्रामा, कॉमेडी और थोड़ी-सी बदले की भावना मिल जाए तो मज़ा ही कुछ और है। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें एक दामाद ने अपनी सासू माँ को ज़िंदगी भर याद रहने वाला सबक सिखाया। अगर आपके परिवार में भी कोई ऐसा ‘काला छिद्र’ (Black Hole) है, जो हर खुशी सोख लेता है—तो यह किस्सा दिल को तसल्ली देने वाला है!

सासू माँ की अनोखी फरमाइश

अब कल्पना कीजिए, आपकी सासू माँ ऐसी हों जो हर बात में अपनी चलाएँ, खुदगर्जी की हद तक स्वार्थी हों और हर मुलाकात में आपको तनाव और खीझ के झूले पर बैठा दें। ऊपर से वो आपके बच्चों के जन्मदिन पर भी न आएं, लेकिन 30 मिनट दूर एक महंगे लैम्प के लिए पूरा सफर कर लें! Reddit यूज़र u/All_fowl के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।

उनकी बीवी के चाचा का केबिन था, जो इन्होंने खरीद लिया। जमीन के साथ कुछ पुरानी चीजें और दो फार्म ट्रैक्टर भी मिले। सब तय था कि जो कुछ भी है, वही मिलेगा। लेकिन तभी सासू माँ का फोन आया—"वो ट्रैक्टर मेरा है! और वो चेनसॉ, शॉप वैक्यूम, औजार…सब मेरा।" अब बताइए, जो औजार खुद इस्तेमाल भी न करे, वो भी चाहिए!

दामाद की चालाकी: "जो चाहिए, ले लो"

परिवार में अक्सर रिश्तेदार संपत्ति पर हक जताते हैं। एक कमेंट करने वाले ने लिखा—"मेरी सहकर्मी ने भी ऐसा किया था, बस उसे लगता था वो घर पर हक जमा सकती है।" कई बार लोग 'समान' के बहाने 'जगह' पर भी दावा ठोकना चाहते हैं।

u/All_fowl ने साफ कह दिया, "शेड तोड़ना है, सामान ले जाओ, या हम पैसे दे देंगे।" लेकिन सासू माँ–"नहीं, मुझे ट्रैक्टर चाहिए, ले जाऊँगी जब मन होगा।" और धमकी दी–"अगर मेरे सामान को हाथ लगाया तो कोर्ट पहुँच जाऊँगी!" दामाद ने ठान लिया—अब तो मामला निबटाकर ही दम लूंगा।

रिवर्स हीस्ट: आधी रात का मिशन

अब शुरू हुआ असली 'पेटी रिवेंज'—यानि बचकाना मगर कड़क बदला! एक यूज़र ने तो इसे 'रिवर्स हीस्ट' कहा, मतलब चोरी नहीं, उल्टा सामान ठेलने की योजना! आधी रात को दामाद ने ट्रेलर निकाला, न चलने वाला ट्रैक्टर, भारी-भरकम पेटी में बाकी औजार सब लादे और 2.5 घंटे दूर सासू माँ के घर पहुँचे। चुपचाप गाड़ी बैक की, रैंप लगाए, ट्रैक्टर उतारा, पेटी घसीटी और सब कुछ उनके घर के सामने सजा दिया।

सोचिए ज़रा—सुबह जब सासू माँ बाहर आयीं, तो उनके आलीशान मोहल्ले में एक जंग खाया ट्रैक्टर और भारी पेटी देख पड़ोसियों की क्या प्रतिक्रिया रही होगी! एक कमेंट में कहा गया—"उनके मोहल्ले के सफेदपोश लोग उस दिन खूब गपशप कर रहे होंगे!" किसी ने मज़ाक में लिखा—"अब हर साल सास को ट्रैक्टर थीम वाला गिफ्ट देना चाहिए!"

अंजाम: छह महीने की शांति और सासू माँ की फजीहत

सुबह 9:15 बजे जैसे ही सासू माँ का फोन बजा, दामाद ने मुस्कुराते हुए बीवी को फोन स्पीकर पर करने को कहा—"आपको ट्रैक्टर चाहिए था, लो मिल गया!" और फोन काट दिया। बीवी तो हँसी से लोटपोट! फिर धमकी मिली—"पुलिस बुला लूंगी!" लेकिन पुलिस वाले ने भी समझ लिया—"मैडम, सामान आपका था, ले जाइए, अब क्या कर सकते हैं!"

बाद में, Reddit पर जब लोगों ने पूछा—"अब ट्रैक्टर का क्या हुआ?" तो u/All_fowl ने जवाब दिया—"पिछले कई सालों से वो ट्रैक्टर सासू माँ के गैराज में धूल खा रहा है। हर बार जब वो गैराज खोलती हैं, मुझे हँसी आ जाती है।"

एक कमेंट ने तो इसे "पेटी रिवेंज का GOAT (Greatest Of All Time)" बताया। किसी ने कहा—"वैसे भी, छह महीने तक अगर सासू माँ ने बात नहीं की, तो सफर, पेट्रोल और मेहनत सब वसूल!"

रिश्तों का मज़ा और सुकून

इस कहानी से एक बात तो साफ है—कभी-कभी रिश्तों में भी 'जैसा करो, वैसा भरो' का फंडा चलता है। जब कोई हद से ज़्यादा तंग करे, तो थोड़ा सा ह्यूमर और चालाकी रिश्तों में मिठास ला सकती है। Reddit कम्युनिटी के कई लोगों ने इस दामाद की हिम्मत को सलाम किया—"हर बार जब आप किसी नार्सिसिस्ट को उसकी औकात दिखा देते हैं, तो असली जीत वहीं है!"

और अंत में, किसी ने सही कहा—"सावधान रहो, जो चाहो, वो कभी-कभी सच में मिल भी जाता है!"

निष्कर्ष: आपकी सासू माँ कैसी हैं?

तो दोस्तों, आपको यह कहानी कैसी लगी? क्या आपके परिवार या आसपास भी कोई ऐसा किरदार है, जिसे ‘ब्लैक होल’ कहा जा सके? क्या आपने भी कभी ऐसा कोई बदला लिया है? कमेंट में जरूर बताइए, और इस कहानी को शेयर करना न भूलें—शायद किसी और को भी थोड़ी राहत और हँसी मिल जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: You want it? No problem