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सुरक्षा का नाटक: जब ज्यादा 'सुरक्षित' होना नुकसानदेह हो गया

जलती हुई टेक्सास धूप में सुरक्षा उपकरण पहने एक तेल क्षेत्र श्रमिक, अत्यधिक गर्मी में सुरक्षा चुनौतियों को उजागर करता है।
दक्षिण टेक्सास की भयंकर गर्मी में, एक तेल क्षेत्र श्रमिक सुरक्षा उपकरण पहनता है, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल और चरम मौसम की स्थिति के बीच तनाव को दर्शाता है। यह दृश्यात्मक चित्र उन वास्तविक जीवन की चुनौतियों को प्रतिबिंबित करता है जो कठिन परिस्थितियों में सुरक्षा और आराम के बीच संतुलन बनाने वाले लोगों का सामना करते हैं।

हमारे देश में अक्सर कहा जाता है – "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।" लेकिन कभी-कभी कुछ लोग इतनी ज्यादा सावधानी बरतते हैं कि दुर्घटना तो दूर, काम ही बंद हो जाता है! आज की कहानी है अमेरिका के तेल क्षेत्र (oilfield) की, लेकिन यकीन मानिए, जो किस्सा वहां हुआ, वैसा ही कुछ हमारे देश के सरकारी दफ्तरों, फैक्ट्रियों या निर्माण स्थलों पर भी आसानी से देखने को मिल सकता है।

सोचिए – 45 डिग्री की झुलसाती गर्मी, चारों तरफ वीरान ज़मीन, न कोई मशीन, न कोई कुआँ, न कोई तेल। बस, कुछ मज़दूर अपने आम कपड़ों में साइट की तैयारी कर रहे हैं। तभी कंपनी की 'सुरक्षा मैनेजर' की गाड़ी धूल उड़ाती हुई पहुँचती है और फरमान जारी होता है – "सब लोग फ्लेम रेसिस्टेंट (FR) कपड़े पहनिए।" अब भैया, इतना मोटा और भारी कपड़ा, उस तपती दोपहर में पहनना मतलब खुद को तंदूर में झोंकना!

जब सुरक्षा नियम बन गए सिरदर्द – 'सुरक्षा थिएटर' का तमाशा

इस घटना के नायक (Reddit पर u/MountainTwo3845) ने समझाने की कोशिश की – "साहब, यहाँ अभी तो कुआँ भी नहीं खुदा, कोई ज्वलनशील चीज़ आसपास नहीं है, इतनी गर्मी में ये भारी-भरकम कपड़े पहनना वाजिब नहीं।" लेकिन सुरक्षा अधिकारी कहाँ मानने वाले! नियम तो नियम है, चाहे दिमाग लगे या नहीं।

अब मजदूरों ने भी ठान लिया – "ठीक है, जितना कहोगे उतना करेंगे।" पर साथ में हर 5 मिनट के काम के बाद 15 मिनट की 'हीट ब्रेक' यानी गर्मी से बचाव के लिए आराम। नतीजा? जो काम दो घंटे में निपट जाता, उसमें दो दिन लग गए! मज़ा तब आया जब सुरक्षा अफसर खुद परेशान होकर पूछने लगे – "इतना समय क्यों लग रहा है?" जवाब मिला – "सुरक्षा सबसे पहले है, साहब! और अगर आपको लगता है कि हम डिहाइड्रेट न हो जाएं, तो आप हमारे पेशाब की भी जांच कर लीजिए!" अब सुरक्षा मैनेजर के पसीने छूट गए!

दिमाग की जगह सिर्फ नियम – क्यों होती है ऐसी 'सुरक्षा की नौटंकी'?

एक पाठक ने बड़े मज़ेदार अंदाज में इसे 'सुरक्षा थिएटर' (Safety Theatre) कहा – यानी ऐसा नाटक, जिसमें असली सुरक्षा के बजाय सिर्फ दिखावा होता है। ऑफिस में बैठे-कुर्सी पर बैठे 'सुरक्षा अधिकारी' बिना जमीनी हकीकत समझे ऐसे नियम बनाते हैं, जो असलियत में उलटा नुकसान कर देते हैं।

एक और उदाहरण आया – किसी फैक्ट्री में नए 'सेफ्टी डायरेक्टर' ने हर महीने 5 मिनट की ट्रेनिंग शुरू कर दी: "सर्दी में बर्फ पर संभल कर चलो, गर्मी में पानी पियो।" लेकिन न छुट्टी ज्यादा, न आराम का वक्त। यानी सलाह मुफ्त, पर असली सुविधा नदारद!

ऐसी 'सुरक्षा' का नतीजा? लोग सिर्फ कागज पर साइन कर देते हैं, पर असल जरूरत पर ध्यान नहीं देते। एक और पाठक ने मजेदार बात कही – "कॉमन सेंस नाम की चीज़ सबके बग़ीचे में नहीं उगती!"

हास्यास्पद नियम और ज़मीनी हकीकत – मज़दूरों की जुगलबंदी

तेल क्षेत्र की उस टीम ने जब अगली बार डीजल भरने के लिए 'Tyvek सूट' (जो असल में पेंटर पहनते हैं) पहनने का आदेश सुना, तो फिर से वही नाटक शुरू कर दिया – 45 डिग्री की गर्मी में 500 डॉलर प्रति घंटा का रेट, बार-बार ब्रेक, और भारी-भरकम सूट! एक मजदूर तो नाराज़ हो गया कि उसे और घंटे नहीं मिले, वरना मज़े में पैसा कमाता!

एक पाठक ने लिखा – "कई बार सुरक्षा अधिकारी सिर्फ अपनी नौकरी बचाने के लिए ऐसे हास्यास्पद नियम थोपते हैं।" दूसरा बोला – "कंपनियाँ भी तब तक नियम तोड़ने में लगी रहती हैं, जब तक खुद पर बिपदा न आ जाए।"

हद तो तब हो गई जब किसी ने बताया – उनके यहाँ रिसेप्शन पर बैठी सुंदर लड़की को 'डिस्ट्रैक्शन' (ध्यान भटकाने वाली) मानकर भी 'रिस्क रिपोर्ट' लिख दी गई! मतलब, अब सुंदरता भी खतरा बन गई।

क्या है असली सीख? – 'सुरक्षा' का मतलब सिर्फ नियम नहीं, समझदारी भी

इस पूरी घटना से यही निकलता है – 'सुरक्षा' का मतलब सिर्फ नियमों की लकीर पीटना नहीं, बल्कि दिमाग का इस्तेमाल करना है। हर जगह वही नियम थोपना, बिना हालात समझे, उलटा नुकसानदेह हो सकता है।

हमारे यहाँ भी क्या-क्या नहीं देखा – कभी हेलमेट पहनकर ऑफिस में घुसने का हुक्म, कभी फुल यूनिफार्म में खाली मैदान में घूमने का फरमान! असली सुरक्षा तो तब है, जब नियम हकीकत के मुताबिक, समझदारी से बनाए जाएं।

जैसा कि एक पाठक ने कहा – "फिजिक्स से मजाक नहीं कर सकते, सेफ्टी सिर्फ दिखावा नहीं, असल में काम की चीज़ होनी चाहिए।"

निष्कर्ष – आपके अनुभव क्या कहते हैं?

तो दोस्तो, क्या आपके साथ भी कभी ऐसी 'सुरक्षा की नौटंकी' हुई है? या किसी अधिकारी के अजीबो-गरीब आदेशों ने आपको परेशान किया हो? नीचे कमेंट में अपने किस्से जरूर साझा करें। याद रखिए, सुरक्षा जरूरी है, लेकिन समझदारी उससे भी ज्यादा!

अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो दोस्तों के साथ शेयर करें – और अगली बार जब कोई अजीब सा नियम आए, तो मुस्कुराकर सोचिए – "सुरक्षा है या सिर्फ थिएटर?"


मूल रेडिट पोस्ट: Sometimes it's not really smarr to be safe