सामने मुस्कराहट, पीछे शिकायत – होटल के रिसेप्शन की दोहरी दुनिया
हमारे देश में मेहमानों को भगवान मानने की परंपरा है, लेकिन जब बात होटल या गेस्ट हाउस की आती है, तो यही मेहमान कभी-कभी भगवान कम और ‘किरदार’ ज़्यादा लगने लगते हैं। सोचिए, सामने से मुस्कराकर “धन्यवाद” बोलने वाले वही लोग, अगले ही पल आपकी शिकायत करने लगें! होटल रिसेप्शन पर काम करने वालों के लिए ये कोई नई बात नहीं है – असली ड्रामा तो यहीं शुरू होता है!
रात के तीसरे पहर रिसेप्शन पर – जब कहानी बनती है
अक्सर फिल्मों या टीवी सीरियल्स में दिखाया जाता है कि होटल के रिसेप्शन पर बड़ी शांति और सलीका होता है। असल ज़िंदगी में, ये जगह तो मानो ‘रियलिटी शो’ से कम नहीं। हाल ही में एक ऐसी ही घटना Reddit पर पढ़ने को मिली, जिसने हर होटल कर्मचारी की भावनाओं को छू लिया।
कहानी कुछ यूँ है – एक मेहमान रात को स्नैक्स लेने रिसेप्शन पर आए। रिसेप्शनिस्ट ने बड़ी विनम्रता से पूछा, “रूम पर जोड़ना है या कार्ड/कैश से भुगतान करेंगे?” मेहमान बोले – “रूम पर जोड़ दो।” अब हमारे यहाँ नियम है कि रूम पर कोई भी खर्चा जोड़ने के लिए सुरक्षा के तौर पर कार्ड जरूरी है। जब देखा, तो मेहमान के खाते में कोई कार्ड नहीं। विनम्रता से बताया, “हमें कार्ड की ज़रूरत है, अन्यथा आपको रूम लॉक करना पड़ेगा।”
बस, फिर क्या! मेहमान का चेहरा उतर गया, बोले – “मुझे आना ही नहीं चाहिए था, रहने दो।” और बिना सुने वहाँ से चलते बने। जब रिसेप्शनिस्ट ने नियम की बात दोहराई, तो गुस्से में आकर और भी बातें सुनाईं, पुलिस बुलाने की धमकी देने पर मामला और बिगड़ गया। लेकिन हैरानी की बात ये – थोड़ी देर बाद वही मेहमान दोबारा आए, अजीब-सी शालीनता दिखाते हुए हल्की-फुल्की माफी भी मांग ली। रिसेप्शनिस्ट ने भी माहौल शांत रखने के लिए माफी मांगी।
पर असली ट्विस्ट तो बाद में आया! पता चला, उन सज्जन ने होटल मैनेजमेंट को शिकायत कर दी कि रिसेप्शनिस्ट बेहद बद्तमीज़ था! यानी सामने हँसी-मज़ाक, पीछे शिकायतों की बरसात।
“दो चेहरे” – सिर्फ फिल्मी नहीं, असल ज़िंदगी में भी
हमारे समाज में अक्सर कहा जाता है – “मुंह पर मक्खन, पीठ पीछे छुरी।” होटल इंडस्ट्री में ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। Reddit की इसी पोस्ट पर एक यूज़र ने लिखा – “लोग हमेशा नियमों का फायदा उठाना चाहते हैं, जो मुफ्त में मिल जाए वही अच्छा!”
दूसरे ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा – “शायद वे सोचते हैं, होटल का किराया दिया है तो अब शक्कर के पाउच, तौलिये और दही सब उनके हो गए!” क्या हमारे देश में भी नहीं देखा कि शादी-ब्याह में लोग घर के टिशू पेपर और साबुन तक बैग में भर लेते हैं?
“समझदारी” की कमी या “सिस्टम का खेल”?
कई कमेंट्स में होटल कर्मचारियों ने साझा किया कि ऐसे मेहमान अक्सर अपनी गलती मानने को तैयार ही नहीं होते। एक ने तो यहां तक लिखा – “कुछ लोग मानते हैं कि उन्हें जो चाहिए वो ना मिले तो सामने वाला बद्तमीज है। वयस्क होने का असली मतलब यही है कि हर बार मनमर्जी नहीं चलती, पर यह सीखना सबके बस की बात कहाँ!”
एक और किस्सा सुनाते हुए एक होटल कर्मचारी ने लिखा – “कई बार हफ्तों तक कोई मेहमान बड़े प्यार से रहता है, रोज बातचीत भी होती है। लेकिन जाते-जाते रिव्यू में लिख देता है – ‘स्टाफ का व्यवहार अच्छा नहीं था।’ अरे भाई, जब बात करनी थी तो सामने करते, पीठ पीछे क्यों?”
“पीठ पीछे बातें” – क्यों करते हैं लोग ऐसा?
यह सवाल हर किसी के मन में आता है – सामने क्यों नहीं बोलते? एक कमेंट का जवाब था – “बहुत कम लोग होते हैं जो आंखों में आंख डालकर सच बोल पाते हैं, बाकी बस पीठ पीछे बातें बनाते हैं।”
साइकोलॉजी के हिसाब से जब लोग खुद को बेबस या असहाय महसूस करते हैं, तो अपनी नाखुशी बाहर निकालने के लिए शिकायत करना आसान लगता है। और आजकल तो ऑनलाइन रिव्यू का जमाना है – दो मिनट में गूगल या ट्रिपऐडवाइजर पर किसी की इमेज खराब कर सकते हैं।
एक यूज़र ने बड़ा अच्छा लिखा – “जैसे ऑनलाइन ट्रोलिंग में लोग नाम छुपा लेते हैं, वैसे ही होटल में भी असली चेहरा छुपा लेते हैं।” हमारे यहाँ भी तो कहावत है – “डरपोक कुत्ता दूर से भौंकता है।”
“मेहमानों को भगवान मानो” – लेकिन खुद को भी मत भूलो
कई अनुभवी रिसेप्शनिस्ट्स का कहना है – “सबको खुश करना नामुमकिन है। कोई चाहे कितना भी अच्छा व्यवहार करे, फिर भी शिकायतें होंगी ही। जरूरी ये है कि आप अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करें और दिल पर न लें।”
एक यूज़र ने कहा – “बिल्ली की पीठ पीछे चूहे जो चाहे बोलें, बिल्लियों को फर्क नहीं पड़ता।” कहने का मतलब, हर किसी की सुनना जरूरी नहीं, खुद की आत्मसम्मान भी बचाए रखना उतना ही ज़रूरी है।
निष्कर्ष – क्या आप भी कभी ऐसे दोहरे व्यवहार के शिकार हुए हैं?
दोस्तों, होटल इंडस्ट्री की ये कहानी सिर्फ एक रिसेप्शनिस्ट की नहीं, हर उस इंसान की है जो रोजाना लोगों से डील करता है – चाहे वो डॉक्टर हो, टीचर हो या दुकानदार। नियमों पर चलना आसान नहीं, पर ज़रूरी है। अगली बार जब आप किसी होटल या ऑफिस में जाएं, तो याद रखें – सामने वाले की भी एक कहानी है।
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि किसी ने सामने से तो मुस्करा कर बात की, लेकिन बाद में बुराई कर दी? नीचे कमेंट में अपने अनुभव ज़रूर साझा करें! होटल रिसेप्शन की इस दोहरी दुनिया पर आपकी क्या राय है?
मूल रेडिट पोस्ट: Why Do Guests Love to be Nice to Your Face and then Say You're Rude Behind You're Back?