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सांप वाली चर्च की कहानी: जब रूममेट केविन ने आस्था का अनोखा इम्तिहान दिया

केविन का कार्टून-3D चित्र, सांप संभालने वाले चर्च में कॉलेज के दिनों का मजेदार दृश्य।
इस जीवंत कार्टून-3D चित्र में, हम रूममेट केविन को सांप संभालने वाले चर्च के अनोखे माहौल में खोया हुआ देखते हैं, जो न्यू इंग्लैंड क्रिश्चियन कॉलेज में मेरे कॉलेज के दिनों का एक यादगार अध्याय है। आइए, मैं आपको केविन के साथ रहने के मजेदार और अप्रत्याशित रोमांच में ले चलता हूँ!

कहते हैं न, "जहाँ ना पहुंचे रवि, वहाँ पहुंचे कवि", लेकिन कभी-कभी कुछ लोग ऐसे-ऐसे कारनामे कर जाते हैं कि खुद भगवान भी माथा पकड़ लें। आज की कहानी है मेरे कॉलेज के रूममेट केविन की, जिसने आस्था के नाम पर ऐसा तमाशा किया कि मैं तो बस देखता ही रह गया। पहली बार अमेरिका के न्यू इंग्लैंड क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया था, दिल में नए अनुभवों की उम्मीद थी, लेकिन केविन के साथ जो हुआ, वो किसी सीरियल से कम नहीं था।

अब आप सोच रहे होंगे कि भाई, चर्च जाना तो आम बात है, इसमें क्या खास? लेकिन जनाब, ये चर्च कोई आम चर्च नहीं था – ये थी "सांप पकड़ने वाली चर्च"! जी हाँ, जहाँ लोगों की आस्था का इम्तिहान जहर वाले सांपों से लिया जाता है। सुनकर आपको भी झटका लगा ना? मुझे भी लगा था!

सांप और आस्था: ये कैसा इम्तिहान है भाई?

तो हुआ यूँ कि कॉलेज में रहते हुए मैं एक अच्छा चर्च ढूँढ रहा था। मैं शुरू से ही एक आस्थावान क्रिश्चियन हूँ, लेकिन केविन... उसका तो कहना ही क्या! केविन का धर्म-ज्ञान उतना ही गहरा था जितना किसी बच्चे का गणित में। उसे सिर्फ ‘क्रिश्चियन’ कहलाना अच्छा लगता था, असल में क्या करना है, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।

एक दिन वह मुझसे बोला, "चलो एक चर्च दिखाता हूँ, असली आस्था वहीं है!" मुझे क्या पता था कि वह मुझे सीधे सांपों की मांद में ले जाएगा। चर्च में घुसते ही माहौल अजीब-सा था – एक बूढ़े, गुस्सैल पादरी ने जैसे ही प्रवचन शुरू किया, पहला वाक्य सुनकर ही मेरे तो कान खड़े हो गए – "सारे बच्चे नरक में जाते हैं!" अब भला बताइए, भारत में तो बच्चे भगवान का रूप माने जाते हैं, और यहाँ...! पूरा चर्च आग और गंधक की बारिश वाले प्रवचन से गूंज रहा था।

सांप पकड़ना – आस्था या पागलपन?

अब असली कमाल तो तब हुआ जब पादरी ने ऐलान किया – "अब आस्था की परीक्षा होगी, ये लो ज़हर वाले सांप, पकड़ो और अगर तुम्हें काटा नहीं, तो समझो भगवान खुश है।" मन में आया, "भइया, ये कौन-सी आस्था है?" हमारे यहाँ तो सर्प-दोष की पूजा होती है, लेकिन कोई साँप को गले में लटकाकर अपनी जान दाँव पर नहीं लगाता!

यहाँ पर एक Reddit यूज़र ने बड़ा मजेदार कमेंट किया – "इन सांपों के मुँह कहीं सिले तो नहीं थे?" दूसरे ने जवाब दिया, "अगर वाकई विश्वास की परीक्षा है तो साँप असली ही होंगे, ये लोग तो सांपों से भी ज्यादा डरावने हैं!" सच कहा, सांप बेचारे तो भागना चाहेंगे, और ये लोग पकड़-पकड़कर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

एक और यूज़र ने बताया, "मैंने कई बार ज़हरीले सांपों को पकड़ा है, लेकिन वो केवल उन्हें सुरक्षित जगह भेजने के लिए, आस्था की परीक्षा देने के लिए नहीं।" उनकी किस्मत अच्छी थी कि काटा नहीं, लेकिन ये सब करना समझदारी नहीं है। वैसे भी, भारत में तो लोग सांप को दूर से ही नमस्कार कर लेते हैं, कौन बेवजह जहर से खेलता है!

चर्च की विचित्र मान्यताएँ और केविन की ‘मूर्खता’

अब आपको लगेगा कि चर्च में बस सांप और बच्चे ही मुद्दा थे, तो ठहरिए। पादरी ने महिलाओं के अधिकारों पर भी लंबा भाषण झाड़ दिया – "महिलाओं के अधिकार पवित्रता बिगाड़ते हैं, पाप बढ़ाते हैं!" सुनकर लगा, जैसे किसी पुरानी हिंदी फिल्म का खलनायक बोले जा रहा हो।

केविन तो इस सब में पूरी तरह डूबा था। उसे लगा यही असली क्रिश्चियनिटी है – "यही अमेरिका को फिर से महान बनाएगा!" उसने तो MAGA (Make America Great Again) की तर्ज़ पर धर्म और राजनीति को एक कर डाला। मुझे तो अपना होश ही उड़ गया – या तो मैं उसे छोड़ दूँ, या खुद सांपों से कटवाने का जोखिम लूँ! आखिरकार मैंने उसे घसीटकर बाहर निकाला और उस दिन से ठान लिया – अब केविन से दूरी ही भली।

कम्युनिटी की राय: आस्था का नाम लेकर खतरा?

Reddit पर कई यूज़र्स ने इस कहानी पर अपने-अपने अंदाज में प्रतिक्रिया दी। किसी ने कहा, "ये चर्च वाले तो सांपों से भी ज्यादा खतरनाक हैं।" एक ने तो मजाक में लिखा, "अगर आस्था की असली परीक्षा चाहिए, तो सांपों को सेब खिलाओ!" एक और यूज़र ने बताया, "ऐसे चर्च के पादरी खुद सांपों से कटकर मर भी जाते हैं!" ये सब सुनकर लगता है कि कहीं भी, किसी भी धर्म में अंधविश्वास और पागलपन का मेल खतरनाक होता है।

कई लोगों ने बताया कि अमेरिका में ऐसे चर्च कानूनी तौर पर बैन भी हो चुके हैं, लेकिन फिर भी लोग अपनी ‘आस्था’ के नाम पर जान जोखिम में डालने से बाज नहीं आते। एक Reddit यूज़र ने तो कहा, "भाई, आस्था का मतलब जान जोखिम में डालना नहीं है, बल्कि प्यार और समुदाय में विश्वास रखना है।"

निष्कर्ष: आस्था, तर्क और भारतीय नजरिया

आस्था ज़रूरी है, लेकिन आँख बंद करके अंधविश्वास में पड़ना खतरे से खाली नहीं। भारत में भी कई जगहों पर अंधविश्वास के नाम पर जान की बाज़ी लगा दी जाती है – कभी भूत-प्रेत, कभी तंत्र-मंत्र, लेकिन हर जगह समझदारी और तर्क की ज़रूरत है। मेरे लिए तो इस अनुभव के बाद एक बात साफ हो गई – आस्था है तो अच्छी बात है, लेकिन दिमाग का इस्तेमाल करना भी उतना ही जरूरी है।

तो दोस्तों, कभी आपके आस-पास कोई केविन जैसा ‘धार्मिक’ दोस्त नजर आए, तो पहले ही पूछ लें – "भाई, कहीं सांप-वांप तो नहीं पकड़वाएगा?" और हाँ, नीचे कमेंट में जरूर बताइए – आपके शहर या गाँव में आपने ऐसा कोई अजीबो-गरीब धार्मिक अनुभव देखा है क्या? या फिर कोई किस्सा जो सबको चौंका दे सके!

आस्था रहे, पर समझदारी भी बनी रहे – यही असली बात है!


मूल रेडिट पोस्ट: Roommate kevin attends the snake handlers church