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स्कूल के पुराने ‘स्मार्ट’ की मीठी बदला: “माफ कीजिए, आप कौन हैं?”

दोस्तों के साथ हाई स्कूल पुनर्मिलन, यादों और संबंधों की छवियां, सिनेमाई अंदाज में।
हमारे हाई स्कूल पुनर्मिलन का एक सिनेमाई क्षण, जहां 25 साल बाद फिर से मिलकर हंसी और यादों का बाढ़ आ गया। यह एक रात थी जो nostalgia, आश्चर्य और यह एहसास लेकर आई कि इतने समय बाद भी, हमारे बनाए हुए बंधन हमारे दिलों में एक खास जगह रखते हैं।

कहते हैं, वक्त सबसे बड़ा गुरु है — और स्कूल के पुराने ज़माने के दोस्त जब सालों बाद मिलते हैं, तो कई किस्से-कहानियाँ फिर से ताज़ा हो जाती हैं। लेकिन जब पुरानी दुश्मनी, नया रंग ले ले तो क्या होता है? आज की कहानी है एक ऐसे हाई स्कूल री-यूनियन की, जहाँ ‘बदमाश’ को उसकी असली औकात दिखा दी एक ‘सीधे-सादे’ लड़के ने, और वो भी बहुत ही शालीन अंदाज़ में।

री-यूनियन की महफिल और पुरानी यादें

25 साल बाद स्कूल के दोस्तों का मिलन, यानी री-यूनियन, अपने आप में एक अलग ही अनुभव है। हमारे देश में भी पुराने स्कूल के दोस्त या कॉलेज के बैचमेट्स जब इकट्ठा होते हैं, तो कोई शादी-ब्याह जैसा माहौल बन जाता है। वहीं विदेशों में ‘री-यूनियन’ का क्रेज़ अलग लेवल पर है — हर कोई अपने पुराने दोस्तों से मिलने का बेसब्री से इंतजार करता है, और साथ में थोड़ी-बहुत शान दिखाने का मौका भी ढूंढता है!

ऐसा ही कुछ हुआ एक छोटे से स्कूल के 72 बच्चों के बैच में, जहाँ हाई स्कूल में कोई खास ग्रुपबाज़ी नहीं थी, सब एक-दूसरे को जानते थे। लेकिन हर क्लास में एक ऐसा लड़का जरूर होता है, जिसे ‘सिर्फ़ शरारती’ नहीं, बल्कि ‘दूसरों की टाँग खींचने’ में मजा आता है। इस कहानी में वो किरदार है ‘टॉम’ (नाम बदला हुआ)। टॉम का काम था क्लास के होशियार बच्चों का मज़ाक उड़ाना, फर्जी अफवाहें फैलाना, और बेवजह परेशान करना। स्कूल के दिनों में कई बार हमें लगता है कि ऐसे लोग हमेशा लाइफ में आगे निकल जाते हैं, लेकिन असली खेल तो आगे चलकर शुरू होता है!

‘सीधा’ बना सुपरस्टार, ‘दादा’ बना सेल्समैन!

जैसे-जैसे समय बीता, वही होशियार लड़का ‘जॉन’ (नाम बदला हुआ) — जिसने टॉम से खूब झेला था — अपनी मेहनत और समझदारी से इतना आगे बढ़ गया कि उसका नाम स्कूल के नए STEM सेंटर की इमारत पर लिखा गया! उसने समाज के लिए कई काम किए, चैरिटी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, और इतना नाम कमा लिया कि अब उसके पास अपने सोशल मीडिया मैनेजर भी हैं।

दूसरी ओर, टॉम अब भी अपनी ‘जुगाड़’ वाली जिंदगी में उलझा हुआ था — कभी ‘रैपर’, कभी कार डीलर, कभी रियल एस्टेट का दलाल, अब क्रिप्टो ‘गुरु’ बनने की कोशिश! सोशल मीडिया पर खुद की खूब तारीफें, लोगों को ‘इंवेस्टमेंट’ के झाँसे, और वही पुरानी आदत — दिखावे की दुनिया में खुद को बड़ा दिखाने की कोशिश।

असली ‘पेटी रिवेंज’ – “माफ कीजिए, आप कौन?”

री-यूनियन की पार्टी में जॉन अपने पुराने दोस्तों के साथ आराम से बैठा था, जब टॉम अपने पुराने ‘भाईचारे’ का फायदा उठाते हुए, जॉन को क्रिप्टो में पैसा लगाने की सलाह देने लगा। तभी जॉन ने बड़ी मासूमियत से पूछा, “माफ कीजिए, आप किसके साथ आए हैं? क्या आपकी पत्नी भी हमारी क्लासमेट हैं?” टॉम हैरान! “अरे भाई, मैं टॉम हूँ! स्कूल में तुम्हें खूब छेड़ा था!” जॉन ने सिर खुजाते हुए जवाब दिया, “माफ करो, मुझे याद नहीं आ रहा। शायद ज्यादा बात नहीं हुई होगी।”

फिर जॉन ने इवेंट प्लानर को इशारा किया — “देखिए, यहाँ कई लोग मिलते हैं, लेकिन ये मेरा घर है, तो गेस्ट लिस्ट चेक कर लीजिए।” टॉम को बाहर ले जाया गया, और पार्टी में एक ठंडी सी मुस्कान फैल गई।

कुछ देर बाद, जब टॉम एक परिचित के साथ लौटा, जॉन फिर भी बड़ी शालीनता से बोला, “कभी-कभी कुछ लोग याद नहीं रहते। आप एन्जॉय कीजिए, मैं बच्चों का ख्याल देख लेता हूँ — वही तो असली मेहमान हैं!” और सबकी हँसी छूट गई।

कम्युनिटी की प्रतिक्रियाएँ: ‘कड़वी गोलियाँ, मीठा बदला’

इस किस्से पर Reddit कम्युनिटी ने भी खूब मजेदार टिप्पणियाँ कीं। एक यूज़र ने लिखा, “सोचिए, जिसने कभी आपको तंग किया, वो अब आपसे क्रिप्टो में पैसा लगाने की सलाह ले रहा है — यही तो असली बदला है!” एक और कमेंट था, “टॉम ने कभी अच्छे इंसान बनने में निवेश नहीं किया, इसलिए अब पहचान के लायक ही नहीं रहा।” किसी ने तो यह भी कहा, “सबसे बढ़िया बदला है — खुद की लाइफ शानदार बना लो!”

कुछ लोगों ने इसे ‘पेटी रिवेंज’ की मिसाल बताया, यानी बिना कोई बड़ा तमाशा किए, सामने वाले को उसकी असली जगह दिखा देना। जैसे हमारे यहाँ कहावत है — “घाव पर नमक छिड़कना”, वैसा ही यहाँ हुआ, लेकिन बड़ी नफासत के साथ।

हम सबके अपने ‘टॉम’ – और ऐसी मीठी जीत

सोचिए, हमारे स्कूल या कॉलेज में भी ऐसे कई टॉम रहे होंगे — जो अपनी चालाकियों में मस्त रहते थे, मगर असली पहचान तो मेहनत, अच्छाई और इज्ज़त से बनती है। आज के सोशल मीडिया के ज़माने में, अक्सर पुराने संपर्क फिर से जुड़ जाते हैं — कभी दोस्ती के लिए, तो कभी किसी ‘फायदे’ के लिए। ऐसे में, जॉन जैसी शालीनता और स्मार्टनेस से काम लेना ही असली जीत है।

एक कमेंट में किसी ने लिखा, “बचपन के बुलीज़ को आज पहचानना भी जरूरी नहीं — जब वो खुद ही भूल चुके हैं कैसे इज्ज़त कमाई जाती है!” यही बात हमारे समाज में भी लागू होती है — हर किसी को, उसकी करनी का फल कभी न कभी जरूर मिलता है।

निष्कर्ष: आपकी सबसे बड़ी जीत – आपकी खुशहाल जिंदगी

तो दोस्तों, अगली बार जब कोई पुराना ‘दादा’ या जलने वाला दोस्त अचानक आपके आगे आ जाए और दिखावे का खेल शुरू करे, तो मुस्कराकर पूछिए — “माफ कीजिए, आप कौन हैं?” असली बदला ना चीख-चिल्लाहट में है, ना लड़ाई-झगड़े में। असली बदला है, अपनी ज़िंदगी इतनी शानदार बना लो कि पुराने ‘टॉम’ खुद-ब-खुद आपके सामने बौने नज़र आएं।

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कुछ हुआ है? अपने स्कूल या कॉलेज के किसी ‘टॉम’ को आपने कैसे जवाब दिया? कमेंट्स में जरूर बताएं — क्योंकि आपकी कहानी भी किसी की मुस्कान बन सकती है!


मूल रेडिट पोस्ट: “I have no idea who you are.” At class reunion