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स्कूल के दिनों की छोटी बदला, जो 50 साल बाद भी याद है!

एनीमे शैली में हाई स्कूल का दृश्य, जहाँ एक छात्र को अंग्रेजी कक्षा में पानी के पिस्तौल से भिगोया जा रहा है।
इस जीवंत एनीमे चित्रण में, उस अविस्मरणीय पल को फिर से जीएँ जब चार सहपाठियों ने मुझे अंग्रेजी कक्षा में पानी के पिस्तौल से भिगो दिया था, एक शरारत जो आज भी 50 साल बाद मुझे मुस्कुराने पर मजबूर करती है!

स्कूल के दिन... अरे भई, वो भी क्या दिन थे! शरारतों की भरमार, दोस्तों के साथ मस्ती और कभी-कभी मासूम बदले की कहानियाँ, जिनकी यादें उम्र भर दिल में बसी रह जाती हैं। आज मैं आपके लिए लाया हूँ एक ऐसी ही कहानी – जिसमें पानी की पिस्तौल, मासूम बदला और वो चौंकाने वाला पल, जिसे सुनकर आप भी मुस्कुरा उठेंगे।

स्कूल की मस्ती: पानी की पिस्तौल और अनोखा लंच ब्रेक

हमारे यहाँ गर्मियों में जब स्कूल की छुट्टियाँ पास आती हैं, तो बच्चों की शरारतों का भी लेवल हाई हो जाता है। वैसे ही, अमेरिका के एक स्कूल में भी वसंत ऋतु के दौरान बच्चों के बीच पानी की पिस्तौल का ट्रेंड चल पड़ा। Reddit पर u/Alaskan_Apostrophe नाम के यूज़र ने अपनी 50 साल पुरानी याद साझा की – "हमारी इंग्लिश क्लास तीन पीरियड वाले लंच ब्रेक में बँटी थी: 25 मिनट क्लास, फिर लंच, फिर दोबारा 25 मिनट क्लास।"

सोचिए, जैसे लंच ब्रेक के बाद क्लास में वापस लौटना, वैसा ही उनके साथ हुआ। लेकिन यहाँ क्लासरूम में घुसते ही चार दोस्तों ने मिलकर उन्हें पानी की पिस्तौल से भिगो दिया – पूरी प्लानिंग के साथ, जैसे कोई फिल्मी सीन हो! टीचर साहब अपने डेस्क पर बैठे रहे, और मासूम बच्चे पानी से भीगते रहे। मज़े की बात, टीचर ने सब अनदेखा कर दिया – जैसे “देखो, सुनो, पर बोलो मत” वाली नीति!

मासूम बदला: ‘बाएँ-धाएँ’ चेयर का कमाल

अब दिल पर हाथ रखिए, अगर आपके साथ ऐसा होता – तो आप क्या करते? Reddit पर एक कमेंट था – “मुझे भी 50 साल बाद ऐसी जीत पर संतुष्टि मिलती।” (u/thisismyburnerac)

हमारे नायक ने भी चुपचाप बदला लेने की ठान ली। लंच के बाद, सब बच्चे बाहर – लेकिन ये चुपचाप दो मिनट में वापस पहुँच गए। टीचर की लकड़ी की कुर्सी, जिसमें बैठने के लिए गहरे गड्ढे बने थे – वहीं से शुरू हुआ जादू! पानी की पिस्तौल से बाएँ हिस्से में पानी डाला, फिर बाहर जाकर दोबारा पिस्तौल भरी, और दाएँ हिस्से में भी पानी डाल दिया।

क्लास शुरू हुई, और जैसे ही टीचर साहब आए, ये उनके साथ-साथ क्लासरूम में घुसे। पीछे से वही चारों दोस्त फिर पानी की पिस्तौल लेकर तैयार! फिर वही ‘चिक-चिक’ की आवाज़ें, और टीचर सब अनदेखा कर रहे।

चौंकाने वाला पल: ‘गिला’ बदला और मज़ेदार सज़ा

लेकिन असली मज़ा तो तब आया, जब टीचर ने अपनी सीट पर बैठने की कोशिश की। एकदम से उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं – “ये क्या हुआ?!” उस पल को Reddit यूज़र ने ऐसे बयान किया – "आज भी 50 साल बाद, वो चौंकती हुई आँखें और आवाज़ नहीं भूलता!" पीछे बैठे चारों दोस्त मुस्कुराते रहे, और टीचर साहब ने गुस्से में उन चारों को पकड़ा और सीधे प्रिंसिपल ऑफिस ले गए। सज़ा – एक महीने की डिटेंशन!

यहाँ एक कमेंट पढ़कर मुझे लगा, जैसे हमारे गाँव के मास्टर जी की याद आ गई, "पहले के जमाने में मास्टर साब की सजा इतनी हल्की नहीं होती थी, वरना तो बेंत पड़ जाती थी!" (u/BothTreacle7534) और एक और मज़ेदार कमेंट – “पानी से बदला लेना मतलब असली 'हथियार' का इस्तेमाल!” (u/phosefield)

क्या बदला सही था? पाठकों की राय और हमारी संस्कृति

अब सवाल उठता है – क्या ये बदला सही था? कई लोगों ने लिखा – "मास्टर साहब ने कुछ गलत नहीं किया, बच्चों की मस्ती में दखल देना जरूरी नहीं था।" (u/Igoos99) लेकिन एक पाठक ने बड़ी समझदारी से जवाब दिया, “गाँव में जब मास्टर जी बच्चों को माँ-बाप की तरह मानते हैं, तो अनुशासन भी जरूरी है। अगर शरारत दिखे, तो डाँटना भी बनता है – नहीं तो बच्चे सिर पर चढ़ जाते हैं।” (u/Bakkie)

हमारे यहाँ भी तो अक्सर स्कूलों में मास्टर जी की डाँट, बच्चों की शरारतें और उनके बीच का प्यार-तकरार चलता रहता है। अगर कभी क्लास में पानी छिड़ककर कोई मास्टर जी को गीला कर दे, तो गाँव भर में चर्चा हो जाती – "अरे, फलाने के बेटे ने मास्टर जी की धोती गीली कर दी!" वैसे भी, बदला लेना हो तो भी हमारे यहाँ उसे ‘मासूम मस्ती’ की तरह ही लिया जाता है, जब तक हद पार न हो।

सिखने लायक क्या है? हंसी, दोस्ती और यादें

इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि स्कूल के दिन सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं होते, बल्कि दोस्ती, मस्ती और कभी-कभी चतुराई भरी शरारतों के लिए भी याद किए जाते हैं। Reddit के कई यूज़र्स ने भी यही लिखा – “ऐसी जीतें ज़िंदगी भर याद रहती हैं!” (u/PaintedCatDaddy)

तो अगली बार जब आपके बच्चों की शरारतें सुनें, तो मुस्कुरा कर याद कीजिए – शायद आपके भी स्कूल के दिन ऐसे ही रहे होंगे!

निष्कर्ष: आपकी सबसे यादगार शरारत कौन सी है?

अब आप बताइए – आपके स्कूल के दिनों की सबसे यादगार शरारत या बदला कौन सा था? क्या कभी मास्टर जी को आपने या आपके दोस्त ने चौंका दिया? नीचे कमेंट में जरूर लिखें, और अगर मज़ा आया हो तो दोस्तों के साथ शेयर करें। आखिरकार, बचपन की कहानियाँ सबको हँसाती हैं – और शायद कुछ पुराने दोस्तों को फिर से जोड़ भी देती हैं!


मूल रेडिट पोस्ट: High School revenge I still remember 50 years later!