शोरगुल वाले पड़ोसी को मिली उसकी ही दवा: एक मज़ेदार बदला
हमारे मोहल्लों में पड़ोसी का रिश्ता बड़ा दिलचस्प होता है। कभी तो वो आपके सबसे अच्छे दोस्त बन जाते हैं, और कभी-कभी ऐसे सिरदर्द कि मन करता है चाय की प्याली छोड़कर सीधा पुलिस को बुला लें! आज की कहानी भी कुछ ऐसी है, जिसमें एक युवक ने अपने शोरगुल वाले पड़ोसी को, बिल्कुल "ईंट का जवाब पत्थर से" वाली स्टाइल में, उसकी ही दवा चखाई।
शांति की नींद में खलल: जब हथौड़े ने बिगाड़ा सुकून
सोचिए, रविवार की सुबह है। बाहर हल्की धूप, हवा में ताज़गी, और आप सोच रहे हैं कि आज थोड़ी देर तक सोऊँ। तभी पास के घर से हथौड़े की ठक-ठक, आरी की चर्र-चर्र और कील ठोकने की आवाज़ें शुरू हो जाती हैं। अब बताइए, नींद तो गई भाड़ में! यही हाल Reddit यूज़र u/clairenoiree का भी था। उनका बेडरूम पड़ोसी के आँगन से महज़ 5-6 मीटर ही दूर था, और वहाँ हर दूसरे-तीसरे दिन कोई न कोई "हथकंडा" चल रहा था।
जब उन्होंने बड़े ही शांति से, बिल्कुल भारतीय "भैया, थोड़ा धीरे कर लो" वाले अंदाज़ में, पड़ोसी से कहा कि ज़रा काम का समय बदल लो या शोर कम कर लो, तो पड़ोसी उल्टा भड़क गया। कहने लगा, "तुम कौन होते हो मुझे मेरे घर में रोकने वाले? पुलिस बुला लूंगा!"
जब पानी सर से ऊपर हो जाए: बदले की बारी
अब भला कोई भी आम भारतीय होता तो क्या करता? या तो मन मसोसकर सह लेता, या फिर "जैसा करोगे वैसा भरोगे" की तर्ज़ पर जवाब देता। u/clairenoiree ने दूसरा रास्ता चुना। कुछ दिन बाद, आधी रात को - वो भी 3 बजे! - जनाब उठे और अपने आँगन में जाकर वही हथौड़ा, वही आरी, वही शोर मचाना शुरू कर दिया।
अब जैसे हमारे यहाँ मोहल्ले में किसी के घर से रात को हल्की आवाज़ भी आ जाए तो पूरी गली में चर्चा हो जाती है, वैसे ही उनके पड़ोसी की नींद उड़ गई। अगली सुबह पड़ोसी ने गुस्से में फोन लगाया, उनके पिताजी को भी शिकायत की, और यहाँ तक धमकी दी कि "कानूनी कार्रवाई करूंगा!"
Reddit समाज की राय: मज़ेदार टिप्पणियाँ और सीख
इस कहानी पर Reddit पर भी खूब चर्चा हुई। एक सदस्य u/CoderJoe1 ने मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा, "भई, 3 बजे रात को किसका लेट ईवनिंग होता है?" तो दूसरे ने लिखा, "ये कहानी किसी बच्चे ने लिखी है क्या?" यह पढ़कर एक और सदस्य ने इंग्लिश ग्रामर में बहस छेड़ दी – जैसे हमारे यहाँ कोई 'कहानी' को 'किस्सा' बोले तो बहस छिड़ जाती है!
एक यूज़र u/Cute_Recognition_880 ने तो इसे "एक्सिलेंट पेटी रिवेंज" (बढ़िया हलका बदला) बताया। वहीं, u/MikeSchwab63 ने मज़ेदार बात कही, "3 बजे सो रहे थे? लगता है रात की शिफ्ट वाला होगा!" अब हमारे यहाँ भी ऐसे लोग मिल जाते हैं जो दिन में सोते हैं और रातभर जागते हैं – जैसे त्यौहारों में "जागरण" वाले अंकल-आंटी!
क्या यह तरीका सही था? भारतीय नजरिये से
अब सवाल उठता है – क्या ऐसा करना सही है? हमारे देश में भी कई बार मोहल्ले में शोरगुल, शादी-ब्याह के बैंड, या फिर बच्चों की क्रिकेट से लोगों की नींद खराब हो जाती है। कुछ लोग शिकायत करते हैं, कुछ चुप रहते हैं, और कुछ जैसे u/clairenoiree, उसी अंदाज़ में जवाब देते हैं।
कई बार ऐसे हल्के बदले से सामने वाला समझ जाता है कि दूसरों की परेशानी क्या होती है। जैसे हमारे यहाँ कहावत है, "जैसा बोओगे, वैसा काटोगे।" या फिर, "दूसरे की चप्पल पहन के तो देखो!"
निष्कर्ष: मोहल्ले की शांति बनाए रखना – सबकी ज़िम्मेदारी
इस कहानी में हँसी-मज़ाक तो है ही, लेकिन साथ में एक सीख भी है – मोहल्ले की शांति बनाए रखना सबकी ज़िम्मेदारी है। अगर पड़ोसी के शोर से दिक्कत हो, तो पहले प्यार से समझाएँ। अगर न माने, तो कभी-कभी उनकी ही भाषा में जवाब देना भी बुरा नहीं। लेकिन ध्यान रहे, बात बढ़े नहीं – वरना सीधा पुलिस स्टेशन और कोर्ट-कचहरी!
आपके मोहल्ले में भी अगर कोई "शोरगुल वाला मिस्त्री" है, तो इस कहानी को ज़रूर शेयर कीजिए। और कमेंट में बताइए, क्या आपने कभी ऐसे किसी पड़ोसी को उसी की दवा चखाई है?
मिलते हैं अगली मज़ेदार कहानी के साथ!
मूल रेडिट पोस्ट: Petty revenge to noisy neighbor