वॉलमार्ट में बदतमीज़ी पर मिली 'प्यारी' सज़ा: जब छोटे बदले ने बड़ा सबक दिया
क्या आपने कभी ऐसे लोगों से पाला पड़ा है जो दूसरों की परेशानियों को समझने की बजाय उन्हें ताने मारते हैं? हमारे समाज में ऐसे लोग अक्सर मिल जाते हैं – बस, मेट्रो, या फिर किसी बड़े मॉल में। आज हम ऐसी ही कहानी लेकर आए हैं, जो अमेरिका के मशहूर सुपरमार्केट वॉलमार्ट की ‘सेंसरी ऑवर’ के दौरान घटी। लेकिन इसमें ट्विस्ट ये है कि बदतमीज़ी का जवाब भी बड़ा मज़ेदार और ‘प्यारे’ अंदाज़ में दिया गया। तो आइए, जानते हैं ये किस्सा, जिसमें नायक कोई हीरो नहीं, बल्कि आम इंसान है, और खलनायक है एक ‘करन’ टाइप ग्राहक!
सेंसरी ऑवर: वॉलमार्ट की अनोखी पहल
पहले थोड़ा समझ लेते हैं कि ये ‘सेंसरी ऑवर’ आखिर है क्या बला। वॉलमार्ट जैसी बड़ी दुकानों में कुछ घंटे ऐसे रखे जाते हैं, जब वहां की रोशनी हल्की होती है, म्यूजिक धीमा या बंद होता है, और माहौल शांत रहता है। ये खासकर उन लोगों के लिए होता है जिन्हें तेज़ आवाज़, भीड़ या हलचल से परेशानी होती है – जैसे ऑटिज्म या किसी और स्पेशल नीड्स वाले बच्चे और उनके माता-पिता। सोचिए, हमारे यहां अगर किसी मॉल या सुपरमार्केट में ऐसे घंटे हों तो कितनों को राहत मिले! वहाँ तो खास स्कूल के बच्चों को काम भी सिखाया जाता है – जैसे शेल्विंग करना, ताकि उन्हें आत्मनिर्भरता की ट्रेनिंग भी मिल सके।
जब ग्राहक बनी ‘विलेन’: दादागिरी की हद
अब असली किस्सा। एक दिन, एक सज्जन (जिन्होंने Reddit पर ये कहानी लिखी) वॉलमार्ट में अपनी खरीदारी के साथ-साथ सुबह-सुबह वॉक भी कर रहे थे। तभी उनकी नज़र पड़ी एक महिला पर, जो हर किसी से उलझ रही थी। वो न सिर्फ कर्मचारियों को ताने मार रही थी – “ये स्पेशल बच्चों के लिए क्या घंटा है, हमें क्या परेशानी कम है!” – बल्कि अपनी बातों में अपशब्द तक इस्तेमाल कर रही थी। उसने जान-बूझकर सामान गिराया, फिर भी कोई पछतावा नहीं! सोचिए अगर हमारे यहां कोई ऐसे बिहेव करे, तो कितने लोग उसे घूर-घूरकर देखते! कमेंट्स में एक पाठक ने लिखा, "ऐसी महिलाओं के लिए तो सीधा मैनेजर को बुलाना चाहिए था, वरना ये लोग सुधरते नहीं, बस और बुरा करते हैं।"
बदतमीज़ी का जवाब: छोटा बदला, बड़ा असर
कहानी का सबसे मजेदार हिस्सा तब आया जब वो महिला अपने कार्ट को आगजनी के दरवाजे (फायरडोर) के सामने छोड़कर बाथरूम भाग गई। दरवाजे पर लिखा था – “फायरडोर के सामने न रुकें।” अब ज़रा सोचिए – ये तो वैसा ही हुआ जैसे कोई दिल्ली की मेट्रो में ‘नो स्टॉपिंग’ जोन में गाड़ी खड़ी कर दे! हमारे नायक ने मौका देखा, अपनी खरीदारी का बैग उठाया और अपने खाली कार्ट को उस महिला के कार्ट के पास खड़ा कर दिया। फिर क्या, महिला का कार्ट उठाया और उसे कस्टमर सर्विस काउंटर के पास बाकी कार्ट्स के साथ खड़ा कर दिया। एक पाठक ने मज़े लेते हुए लिखा, "भैया, अगर मैं होता तो उसके कार्ट से तीन-चार चीज़ें निकालकर अलग रख देता!" तो वहीं एक ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की मां ने लिखा, "ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए आपका धन्यवाद!"
पाठक बोले – ‘ये तो करमा का जवाब है!’
इस घटना पर Reddit पर जबरदस्त चर्चा हुई। कई लोगों को लगा कि ऐसे बदतमीज़ लोगों को सीधे स्टाफ या मैनेजर के पास शिकायत करनी चाहिए थी, ताकि वो और लोगों को परेशान न करे। किसी ने लिखा, "ये तो वैसा ही है जैसे मोहल्ले में कोई बच्चा गली में कूड़ा फेंके और आंटी लोग पूरा मोहल्ला सिर पर उठा लें!" एक पाठक ने मस्ती में कहा, "काश वॉलमार्ट में ‘करन-फ्री ऑवर’ भी होते, जैसे हमारे यहां ‘लेडीज़ स्पेशल’ होती है!"
कुछ पाठकों ने ये भी कहा कि ऐसी छोटी-छोटी हरकतें बड़े बदलाव ला सकती हैं। कई बार बदतमीज़ लोगों को तुरंत जवाब देना ज़रूरी है, वरना वो दूसरों को और परेशान करते हैं। एक ने लिखा, "आप तो जैसे बुरा करमा बनकर उस महिला पर टूट पड़े! बढ़िया किया!"
क्या कहती है हमारी सोच?
हमारे समाज में भी कई बार देखा गया है कि लोग दूसरों की तकलीफ या खास ज़रूरतों को समझने की बजाय ताने मारते हैं। चाहे वह ऑटिज्म से जूझ रहे बच्चे हों या बुज़ुर्ग, सबको थोड़ा सम्मान चाहिए। इस पोस्ट ने ये दिखा दिया कि कभी-कभी छोटा सा बदला या ‘प्यारी’ सज़ा भी बड़ा असर डाल सकती है। अगर हर कोई एक-दूसरे के लिए थोड़ा संवेदनशील हो जाए, तो कई मुद्दे खुद-ब-खुद सुलझ जाएंगे।
निष्कर्ष: आप क्या करते?
अब बताइए, अगर आपके साथ ऐसा हो, तो आप क्या करते? क्या आप भी ऐसे ‘प्यारे’ बदले का रास्ता अपनाते, या सीधे स्टाफ को बताते? या फिर अपने ही अंदाज़ में कोई मज़ेदार जवाब देते? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर साझा कीजिए। और हां, अगली बार जब आप मॉल या सुपरमार्केट जाएं, तो आसपास के लोगों के प्रति थोड़ा और संवेदनशील रहें – क्या पता, आप भी कभी किसी के हीरो बन जाएं!
मूल रेडिट पोस्ट: Petty in Walmart