वायरलेस' मॉनिटर का जादू: जब बिजली की डोरी ने किया सबको हैरान
ऑफिस में तकनीकी सपोर्ट वाले काम में हर दिन कुछ नया देखने को मिलता है, लेकिन कुछ किस्से ऐसे होते हैं कि बरसों बाद भी याद आते हैं। सोचिए, अगर कोई आपसे कहे कि उसे वायरलेस मॉनिटर चाहिए था—और उसने मान लिया कि अब बिजली की डोरी की भी ज़रूरत नहीं—तो आप क्या करेंगे? यही हुआ हमारे एक टेक्निकल सपोर्ट वाले भाई साहब के साथ।
समझ का फेर: "वायरलेस" का मतलब जादू नहीं!
ये किस्सा है एक आईटी सपोर्ट इंजीनियर का, जिनके पास एक दिन एक बेहद सिंपल टिकट आया— "मॉनिटर ऑन नहीं हो रहा।" अब ऐसे मामलों में जो बेसिक पूछताछ होती है, वही शुरू हुई: "पावर बटन जल रहा है?" जवाब मिला, "बिल्कुल अंधेरा है।"
अगला सवाल—"पावर केबल ठीक से लगी है?" अब सामनेवाले की आवाज़ में उलझन साफ थी, "कौन सी पावर केबल?"
भाई साहब ने धीरज से समझाया कि हर मॉनिटर को बिजली चाहिए, और बिजली के लिए डोरी चाहिए। लेकिन यूज़र तो जैसे जिद पर अड़ गया—"ये तो वायरलेस मॉनिटर है! इसी वजह से माँगा था, मुझे कोई तार नहीं चाहिए।"
यहाँ इंजीनियर साहब को गहरी साँस लेनी पड़ी। बड़े ही शालीन अंदाज़ में बोले, "सर, वायरलेस का मतलब यह है कि वीडियो सिग्नल तार के बिना ट्रांसफर हो सकता है, लेकिन स्क्रीन, रिसीवर, बैकलाइट—ये सब बिना बिजली के नहीं चल सकते।"
यूज़र का जबाब—"फिर तो ये धोखा है! अगर दीवार में प्लग करना ही पड़े तो वीडियो केबल भी लगा लेते!"
अनुभव की दुनिया: तकनीकी भ्रम और हमारी सोच
यह किस्सा सुनते ही मुझे अपने ही ऑफिस की याद आ गई, जहाँ कई लोग वाई-फाई को भी जादुई मान लेते हैं। Reddit पर एक कमेंट था—"लोग वाई-फाई वाले लैपटॉप को लेकर इंटरनेट कनेक्शन ही कटवा देते थे, सोचते थे अब इंटरनेट हर जगह मिल जाएगा।"
एक और कमेंट में किसी ने लिखा था, "कोविड के समय जब लोग घर से काम कर रहे थे, तब बहुतों को पता ही नहीं था कि घर में काम करने के लिए इंटरनेट खुद खरीदना पड़ेगा।"
यहाँ तक कि कई लोगों ने तो यह भी मान लिया कि "वायरलेस" यानी बिल्कुल बिना किसी डोरी, बिना किसी झंझट के सब चलता रहेगा। एक सज्जन ने तो लिखा, "मेरे दादाजी ने 'वायरलेस' राउटर खरीदा—सोचा था उसे बस टेबल पर रख दो, बिना किसी तार के इंटरनेट आ जाएगा!"
देसी जुड़ाव: 'जुगाड़' बनाम समझदारी
हमारे यहाँ तो 'जुगाड़' का बड़ा नाम है, लेकिन तकनीक के मामले में जुगाड़ से ज़्यादा ज़रूरी है सही जानकारी। एक बार की बात है, मेरे एक रिश्तेदार ने नया टीवी लिया। टीवी 'स्मार्ट' था, लेकिन समझ 'स्मार्ट' नहीं थी। बोले, "वाई-फाई है, तो बस ऑन करो—इंटरनेट अपने-आप चल जाएगा!" अब उन्हें कौन समझाए कि वाई-फाई तो है, पर इंटरनेट के लिए कनेक्शन भी चाहिए, और टीवी को बिजली भी।
एक Reddit यूज़र ने बड़े मज़ेदार अंदाज़ में लिखा—"ये वायर-लेस है, वायर-फ्री नहीं! यानी तार कम हैं, पर पूरी तरह गायब नहीं।"
सोचिए अगर सच में ऐसा जमाना आ जाए जहाँ हर चीज़ बिना तार के, बिना बिजली के चले—तो क्या मज़ा आ जाए! लेकिन फिलहाल तो हकीकत यही है—"बिजली का बिल भी देना पड़ेगा और डोरी भी लगानी पड़ेगी।"
टेक्नोलॉजी और आम ज़िंदगी: जादू नहीं, विज्ञान है
शायद कई बार हम तकनीक को लेकर इतना उत्साहित हो जाते हैं कि उसे जादू समझ बैठते हैं। Reddit पर किसी ने लिखा—"आर्थर सी. क्लार्क का नियम है: कोई भी उन्नत तकनीक आम आदमी को जादू जैसी ही लगती है।"
कई बार तो लगता है जैसे 19वीं सदी के लोग सीधे 21वीं सदी में आकर बस गए हों!
एक और कमेंट में कहा गया, "कुछ लोग इतनी आत्मविश्वास से गलत बातें बोलते हैं कि मन करता है उनसे वही आत्मविश्वास उधार ले लूँ!"
ये किस्सा हमें यह भी सिखाता है कि तकनीक में थोड़ा-बहुत भ्रम होना आम बात है, लेकिन गलतफहमी को दूर करने के लिए जिज्ञासा और सीखने का जज्बा होना चाहिए।
निष्कर्ष: क्या आपके साथ भी हुआ है ऐसा?
अब आप बताइए—क्या आपके ऑफिस या घर में कभी ऐसी कोई मज़ेदार तकनीकी ग़लतफहमी हुई है? क्या किसी ने कभी 'वायरलेस' डिवाइस को सचमुच बिना बिजली के चलाने की कोशिश की है?
अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें—शायद अगली बार आपकी कहानी इस ब्लॉग में जगह बना ले!
आखिर में, टेक्नोलॉजी जादू नहीं—बस थोड़ी समझ और धैर्य की ज़रूरत है। और हाँ, अगली बार कोई 'वायरलेस' मॉनिटर मांगे, तो बिजली की डोरी मत भूलिएगा!
मूल रेडिट पोस्ट: A user insisted their 'wireless' monitor was broken because it needed a power cord.