लेकिन... लेकिन... हिल्टन!': होटल रिसेप्शन पर गजब का तमाशा
भारत में अगर आप कभी रेलवे स्टेशन या बस अड्डे के पास बने सस्ते होटलों में रुके हों, तो आपको पता होगा कि वहाँ के रिसेप्शन पर क्या-क्या नज़ारे देखने को मिलते हैं। लेकिन आज मैं आपको एक विदेशी होटल में घटी ऐसी घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें एक मेहमान ने होटल के स्टाफ को ‘हिल्टन’ (Hilton) का सपना दिखा-दिखा कर परेशान कर डाला!
तो जनाब, हुआ यूँ कि हमारे कहानीकार, एक होटल के रिसेप्शनिस्ट, रात की शिफ्ट में थे। ये होटल शहर का सबसे कम रेटिंग वाला होटल था – यानी जो हमारे देश में ‘तीसरे दर्जे’ के होटल होते हैं, वैसा ही कुछ समझ लीजिए। होटल का आधा हिस्सा नवा-नवेला और आधा हिस्सा ऐसा कि दीवारें भी 40 साल पुरानी। लेकिन चूंकि ये शहर यात्रियों का पड़ाव है, इसलिए बिज़नेस चलता ही रहता है।
शाम का वक्त था, होटल में बहुत कम मेहमान आने वाले थे। दो सज्जन और एक बच्चा चेक-इन के लिए पहुँचे। बुकिंग उनकी माँ ने की थी, और कार्ड भी उन्हीं के पास था। सब इंतज़ार करते हैं, माँ आती हैं, चेक-इन पूरा होता है। मेहमानों ने थोड़ी देर लॉबी में इंतज़ार किया था, इसलिए रिसेप्शनिस्ट ने बढ़िया कमरा दे दिया, जो असल में ऑडिट के लिए रिज़र्व था।
अब असली कहानी शुरू होती है। एक घंटे बाद वही माँ रिसेप्शन पर आती हैं, मुस्कान के साथ कहती हैं, "मेरा मतलब गुस्सा करने का नहीं है, लेकिन..." रिसेप्शनिस्ट तुरंत 'ग्राहक सेवा' मोड में आ जाते हैं। माँ कहती हैं, "हमने ये कमरा पति की कंपनी के जरिए 90 डॉलर में बुक किया, लेकिन हम जहाँ दूसरी जगह रुके थे, वहाँ हिल्टन था, सिर्फ 85 डॉलर में... वहाँ तो कमाल की सुविधा थी!"
अब रिसेप्शनिस्ट सोच रहे – अरे भई, हमारे होटल की रेटिंग ही सबसे कम है, और आपने सबसे सस्ता रेट भी पा लिया, फिर भी शिकायतें जारी हैं! माँ आगे बोलती हैं, "हिल्टन पेट-फ्रेंडली था, लेकिन हम वहाँ अपने डॉग्स नहीं ले जा सकते थे, इसलिए यहाँ आना पड़ा। अब मेरे बेटे अलग होटल में हैं, और यहाँ का रेट ज़्यादा है, आप कुछ कर सकते हैं क्या? मैं अपने बेटों के साथ रहना चाहती थी…"
मतलब, खुद ही दोनों होटलों में बुकिंग की, खुद ही बेटों को सस्ते होटल में भेजा, और अब रिसेप्शनिस्ट को ताने – "हिल्टन तो इससे कहीं बेहतर है, समझ नहीं आता!" बेचारा रिसेप्शनिस्ट कहता है – "मैडम, अगर डिस्काउंट चाहिए तो सुपरवाइज़र को मेल कर दीजिए, लेकिन कुछ बदलने वाला नहीं।" मैडम बिना मेल किए चली जाती हैं।
फिर दो घंटे बाद लौटती हैं, और जाते-जाते दो टूक कह जाती हैं – "आपने हिल्टन देखा है? उससे तो ये कहीं भी नहीं टिकता!"
अब रिसेप्शनिस्ट सोचते हैं – "मुझे हिल्टन से कोई मतलब नहीं…"
यहाँ कहानी खत्म नहीं होती। Reddit पर इस पोस्ट को पढ़कर कई लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। एक टिप्पणीकार ने लिखा – "भैया, हर कोई रिसेप्शन पर आकर कहता है, 'फलाने होटल में ये सुविधा है, वहाँ चले जाइए!' – तो वहाँ चले क्यों नहीं जाते?" बिल्कुल वही हाल हमारे देश में भी है – कई लोग रेलवे कैंटीन में जाकर कहते हैं, "भाई, CCD वाला कॉफी बना दो!"
एक और ने लिखा – "क्रिसमस की रात को एक गेस्ट कह रहा था, 'कैश ले लो, क्रेडिट कार्ड क्यों चाहिए?' भई, नियम तो नियम है!" हमारे यहाँ भी शादियों में लोग कहते हैं, "भाई, पैसे बाद में दे देंगे, अभी कमरा दे दो।" कुछ तो ऐसे भी हैं जो कहते हैं, "हम तो कभी इनसिडेंटल चार्ज नहीं देते!" – जैसे पहले कभी होटल में ठहरे ही न हों!
एक मज़ेदार टिप्पणी में लिखा था – "ये वही लोग हैं, जो McDonald’s में जाकर Whopper मांगते हैं!" यानी अपने-अपने ब्रांड की बातें लेकर हर जगह उलझन खड़ी कर देते हैं। हमारे यहाँ भी लोग कभी-कभी सिनेमा हॉल में जाकर पानीपुरी ढूंढते हैं!
कुछ लोगों ने यह भी कहा कि ऐसे मेहमान बार-बार तुलना करते हैं ताकि सामने वाला स्टाफ इंप्रेस हो जाए और एक्स्ट्रा सुविधा दे दे। लेकिन भाई, हर जगह अलग नियम हैं, और हर होटल का अपना तरीका है। जैसे कोई कहे, "पड़ोस वाले शर्मा जी के यहाँ तो मिठाई फ्री मिलती है!" – तो क्या हर हलवाई वही देगा?
मूल लेखक (OP) ने भी हैरानी जताई – "मैडम ने खुद अपने बेटे और खुद के लिए दो होटलों में बुकिंग की, फिर आकर हमारी ही क्लास लगा दी कि बेटे दूर क्यों हैं!"
एक और रोचक किस्सा आया – एक गेस्ट रिसेप्शन पर आकर बहस करने लगा, "मुझे दूसरी चाबी दो, मेरी बीवी का कमरा है!" लेकिन चूंकि नाम बुकिंग में नहीं था, रिसेप्शनिस्ट ने मना कर दिया – "यह आपकी सुरक्षा के लिए है, भले ही आप दोनों साथ आए हों।"
असल बात यह है कि होटल का किराया, सुविधा, जगह, सब कुछ कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसे हमारे यहाँ शादी के सीजन में होटल के कमरे आसमान छूने लगते हैं, वैसे ही विदेशों में भी रेट बदलते रहते हैं। कोई होटल हिल्टन जितना महंगा, कोई सस्ता – लेकिन हर जगह अपनी-अपनी खूबियाँ और कमियाँ हैं।
अंत में, आपसे सवाल – क्या आपने कभी ऐसी अजीब शिकायतें सुनी हैं, या खुद कभी होटल, ढाबे, या किसी सर्विस सेंटर पर इस तरह की तुलना की है? नीचे कमेंट में अपने अनुभव जरूर साझा कीजिए। और हाँ, अगली बार जब आप होटल जाएँ, तो रिसेप्शनिस्ट से ‘हिल्टन’ की उम्मीद ना करें – क्या पता, वो भी मन ही मन यही सोच रहे हों, "मुझे हिल्टन से कोई मतलब नहीं!"
मूल रेडिट पोस्ट: but, but, but the Hiltin