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महिलाओं को 'ब्रॉड' कहने की भूल – होटल रिसेप्शन की एक हास्यास्पद कहानी!

कैफे में दोस्तों के बीच जीवंत बातचीत का चित्र, हंसी और आश्चर्य के भाव के साथ।
इस जीवंत दृश्य में दोस्त कॉफी के साथ हल्के-फुल्के पल साझा कर रहे हैं, भाषा और संस्कृति के मजेदार पहलुओं पर विचार करते हुए। यह छवि दोस्ती और चतुर टिप्पणी की भावना को दर्शाती है, जो आज की दुनिया में शब्दों के चयन की रोमांचक खोज के लिए माहौल तैयार करती है।

हमारे देश में जब भी कोई होटल जाता है, तो उम्मीद करता है कि रिसेप्शन पर बैठा व्यक्ति बड़े अदब से उसका स्वागत करेगा—"नमस्ते मैडम, आपका स्वागत है!" लेकिन कभी-कभी कुछ मेहमान ऐसे आ जाते हैं कि रिसेप्शनिस्ट का दिन बना भी देते हैं… और बिगाड़ भी देते हैं! आज की कहानी एक ऐसी ही महिला मेहमान की है, जिसका व्यवहार और बात करने का तरीका सुनकर आपको हंसी भी आएगी और हैरानी भी होगी।

पुराने ज़माने की ज़ुबान, आज के ज़माने में बवाल!

कहानी शुरू होती है एक होटल के रिसेप्शन से, जहाँ एक महिला मेहमान आईं और बिना वजह ही अपनी पहचान पत्र (ID) देने से इंकार करने लगीं। हमारे यहाँ तो 'अतिथि देवो भव:' कहा जाता है, लेकिन जब अतिथि ही खुद को शेर समझ बैठे, तो रिसेप्शनिस्ट बेचारा क्या करे? आखिरकार, बहुत मान-मनौव्वल के बाद उन्होंने ID दी, लेकिन मन में कई शिकायतें लेकर।

कुछ घंटों बाद जब रिसेप्शनिस्ट की ड्यूटी बदल गई, तो महिला फिर लौट आईं—इस बार तो जैसे तूफान लेकर आई हों! बोलीं, "मुझे अपने प्रिंटआउट पर एड्रेस बदलवाना है। ये मेरा पता नहीं, मैंने कभी Connecticut में नहीं रहा। ये तो फ्रॉड है!"

रिसेप्शनिस्ट ने बड़ी शांति से समझाया, "मैडम, ये पता उस थर्ड पार्टी एजेंसी का है, जिससे आपने बुकिंग की है। अगर आप चाहें तो सही पता बता दें, मैं बदल दूँगा।"

लेकिन महिला का गुस्सा सातवें आसमान पर था—"मैं तुम्हें अपना पता क्यों बताऊँ? जिन मैडम ने मुझे चेक-इन किया, उनके पास मेरी ID है।" और फिर एक शब्द जो सुनकर रिसेप्शन की हवा बदल गई—"The broad who checked me in..." अब सोचिए, अगर कोई आपके ऑफिस में किसी महिला सहकर्मी को इस तरह 'ब्रॉड' (यानी पुरानी फिल्मों वाला, थोड़ा अपमानजनक, शब्द) बोल दे, तो आपको कैसा लगेगा?

'ब्रॉड', 'चिक' और 'मेमसाहब' – भाषा की मर्यादा

हमारे हिंदी समाज में किसी महिला को 'ब्रॉड' या 'चिक' कहना कुछ वैसा ही है, जैसे किसी मास्टरजी को 'ओए गुरु' कह देना। एक बहुत मज़ेदार कमेंट में किसी ने लिखा—"भाई, ये तो वही बात हो गई कि 'ग्राहक तो हमारे यहाँ हैं, लेकिन असली ग्राहक तो वो एजेंसी है जिसने पैसे दिए हैं। अगर आपको एड्रेस बदलवाना है, तो खुद पेमेंट कीजिए!'"

एक और पाठक ने चुटकी ली—"आजकल कौन किसी महिला को 'ब्रॉड' कहता है? लगता है जैसे 70-80 के दशक की फिल्म चल रही हो, जिसमें डिटेक्टिव विलेन को यही बोलता है!" और सच में, ये शब्द अब ना के बराबर सुनाई देते हैं, और जब भी सुनाई दें तो या तो मज़ाक में, या अपमान के लिए।

कुछ कमेंट्स में ये भी आया कि 'लड़कियों को चिक या ब्रॉड कहना ठीक नहीं।' किसी ने तो यहाँ तक कह दिया—"सिर्फ Frank Sinatra ही 'ब्रॉड' कह सकता था, और वो भी 75 साल पहले!"

ग्राहक का गुस्सा और रिसेप्शनिस्ट का धैर्य

जिस तरह से महिला ने 'फ्रॉड' का इल्जाम लगाया, वैसे तो हमारे यहाँ मोहल्ले की चुगलीबाज आंटियाँ भी शर्मा जाएँ! रिसेप्शनिस्ट ने भी बड़े धैर्य से कहा—"अगर आप पता नहीं देंगी, तो हम कुछ नहीं कर सकते।" और चुपचाप काम में लग गए।

महिला जब दोबारा आईं और रिसेप्शनिस्ट से नाम पूछने लगीं, तो उन्होंने भी बड़ा फिल्मी जवाब दिया—"हमारे नाम तो बता दिए, लेकिन पूरा नाम नहीं।" एक पाठक ने इस पर मज़ेदार तंज कसा—"अरे भई, पूरा नाम मत बताओ, वरना कहीं भूतिया फिल्म की तरह नाम जानकर जादू-टोना न कर दे!"

हिंदी समाज में बातचीत की तहज़ीब

हमारे यहाँ तो सिखाया जाता है—"बात करने से बात बनती है।" लेकिन जब ग्राहक ही उलझे हों, और भाषा में इज्ज़त ना हो, तो फिर चाहे आप दिल्ली के रिसेप्शन पर हों या मुंबई के, माहौल अजीब बन जाता है। एक पाठक ने लिखा—"मैं तो महिलाओं को 'मैम', 'दीदी' या 'मेमसाहब' ही कहता हूँ, ये 'ब्रॉड-मोड' तो बिलकुल नहीं।"

कई बार भाषा के ऐसे शब्द, जो कभी मज़ाक या प्यार में इस्तेमाल होते थे, आज के दौर में अपमानजनक लगने लगे हैं। जैसे 'गर्ली' शब्द कुछ महिलाओं को बच्चों जैसा महसूस कराता है, तो 'चिक' को हल्के में लेने का संकेत देता है।

निष्कर्ष: भाषा में रखें मिठास, वरना बन जाएगी बात बिगाड़!

कहानी से ये सीख मिलती है कि चाहे होटल हो या ऑफिस, सब जगह बातचीत में तहज़ीब जरूरी है। पुराने शब्दों की जगह अब नए, सम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल करें। आखिर, 'अतिथि देवो भव:' सिर्फ रिसेप्शनिस्ट के लिए नहीं, मेहमान के लिए भी है!

आपका क्या अनुभव रहा है होटल या ऑफिस में ऐसी अजीब भाषा सुनने का? कमेंट में जरूर बताइए, और अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो, तो शेयर कीजिए—शायद अगली बार कोई 'ब्रॉड' कहने से पहले दो बार सोचे!


मूल रेडिट पोस्ट: Never call chicks broads