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मास्टरजी से बदला: जब स्कूल की नाक में दम कर दिया

स्कूल की पढ़ाई और टीचर की डांट – इन दोनों का चोली-दामन का साथ है। लेकिन कभी-कभी ऐसे हालात बन जाते हैं कि सीधा-सादा बच्चा भी ‘शरारती’ बनने पर मजबूर हो जाता है। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें एक छात्र ने मास्टरजी की नाक में दम कर दिया… और वो भी सचमुच, बदबू से!

जब मास्टरजी ने लगा दी झूठी तोहमत

यह बात है 1990 की, जब मोबाइल, सीसीटीवी और सोशल मीडिया का कोई नामोनिशान नहीं था। एक नए-नवेले मास्टरजी स्कूल में आए थे। पढ़ाई-वढ़ाई तो सही चल रही थी, लेकिन एक दिन क्लास में बड़ा हंगामा मच गया। क्लास में रखे फायर एक्सटिंग्विशर ने अचानक ‘वेंट’ कर दिया – यानी उसमें से गैस निकलने लगी। असल में, पीछे बैठे एक ‘शरारती’ बच्चे ने अपनी करतूतों से ये कमाल कर दिखाया, लेकिन मास्टरजी ने बिना कुछ सोचे-समझे सामने बैठे छात्र (हमारे कहानी के नायक) पर इल्जाम लगा दिया।

अब भला बताइए, बेगुनाही की सजा कौन चाहता है? बेचारे छात्र को मास्टरजी ने तगड़ी डांट पिलाई, प्रिंसिपल ऑफिस भेज दिया गया, मां-बाप को बुलाया गया, और तो और, गुनाह साबित होने से पहले ही उसे ‘अपराधी’ मान लिया गया। सोचिए, हमारे भारतीय स्कूलों में भी ऐसा ही होता है – मासूम बच्चा तो बस कहता रह जाता है, “सर, मैंने कुछ नहीं किया!”

जब मासूमियत की हुई जीत, पर दिल में रह गई कसक

शुक्र है, एक दूसरे छात्र ने हिम्मत दिखाई और सच को उजागर किया। उसने दूसरे टीचर को असली दोषी का नाम बताया। आखिरकार, मासूम छात्र निर्दोष साबित हुआ और उसे छोड़ दिया गया। लेकिन मन का घाव रह गया – मास्टरजी ने न माफी मांगी, न कोई अफसोस जताया। भाई, हमारे यहां तो कहावत है – “गलती हो गई हो तो माफी मांग लेना चाहिए।” लेकिन मास्टरजी के अहंकार को कुछ और ही मंजूर था।

बदले की महक – जब ‘लाल लोमड़ी’ ने बनाई मास्टरजी की शामत

अब यहां से कहानी में आता है असली ट्विस्ट। चार दिन बाद, उस छात्र ने मास्टरजी को सबक सिखाने की ठान ली। पश्चिमी देशों में शिकारी और ट्रैपर लोग ‘रेड फॉक्स यूरिन’ (लाल लोमड़ी की पेशाब) का इस्तेमाल करते हैं, ताकि जानवर उनकी महक पहचान न सकें। पर हमारे नायक ने इसका इस्तेमाल किया मास्टरजी की क्लास को महकाने में!

शनिवार की रात, जब स्कूल खाली था, लड़के ने चुपके से दो बड़ी बोतलें ‘रेड फॉक्स यूरिन’ की लेकर क्लासरूम के AC/हीटर के वेंट में उड़ेल दी। सोचा – “अब देखता हूं, मास्टरजी किसे दोषी ठहराते हैं!” अगले दिन जब स्कूल खुला, तो पूरी विंग में ऐसी दुर्गंध फैली कि सभी की नाक-भौं सिकुड़ गई। लोगों ने कहा – “भैया, ये कौनसी बला है!” किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये बदले की ‘खतरनाक खुशबू’ है।

कम्युनिटी की राय – जब Reddit पर मचा हंसी का तूफान

इस कहानी को Reddit पर शेयर किया गया, तो वहां भी लोगों की प्रतिक्रिया गजब रही। एक यूज़र ने मजाक करते हुए लिखा – “भई, अंग्रेज़ी तो आपकी कमज़ोर ही रही होगी, शायद ये आपके इंग्लिश टीचर ही थे।” कोई बोला – “लोमड़ी की पेशाब की बदबू इंसान की पेशाब से कहीं ज्यादा जहरीली होती है, इसे हटाना नामुमकिन है!” एक और कमेंट में बताया गया – “बिल्ली के लिटर बॉक्स की बदबू इससे कुछ भी नहीं है, लोमड़ी की पेशाब तो नाक में छाले डाल दे।”

वहीं, कुछ लोग शक भी करने लगे – “भैया, स्कूल में चोरी-छुपे घुसना क्या इतना आसान था?” लेकिन 1990 के जमाने में न सीसीटीवी था, न अलार्म – तो जुगाड़ हो ही गया। भारतीय पाठकों को भी ये बात समझनी चाहिए – उस वक्त हमारे स्कूलों में भी सिक्योरिटी का कोई बड़ा तामझाम नहीं था, चौकीदार साहब भी रात को सो ही जाते थे!

निष्कर्ष: गलती की सजा और बदले की महक

कहानी से जो सीख मिलती है, वो यही है – किसी मासूम पर बिना सोचे-समझे आरोप न लगाएं। कभी-कभी गलतफहमी की सजा बहुत महंगी पड़ सकती है। और हां, बदले की भावना में कुछ भी कर गुजरने से पहले दो बार सोचिए – क्योंकि कभी-कभी ‘महक’ इतनी भयानक हो सकती है कि उसे सालों तक भुलाया नहीं जा सकता!

आपका क्या ख्याल है? क्या आपके स्कूल में भी कभी किसी ने बदले की ऐसी ‘अनूठी’ मिसाल कायम की है? अपनी राय और किस्से नीचे कमेंट में जरूर बताएं – कौन जाने, अगली कहानी आपकी हो!


मूल रेडिट पोस्ट: HS Teacher Pissed Me off