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बॉस ने कहा – दो बार ऑफिस आओ, मैंने बॉन्डिंग उनके घर ही पहुँचा दी!

ऑफिस का माहौल हो या घर की आरामदायक कुर्सी – आजकल वर्क फ्रॉम होम का जमाना है। लेकिन जब आपके बॉस अचानक कहें कि “अब से हफ्ते में दो बार सबको ऑफिस आना पड़ेगा, क्योंकि टीम बॉन्डिंग ज़रूरी है”, तब क्या होगा? सोचिए, आपकी सुबह की चाय, घर की रोटी, और ट्रैफिक से छुटकारा – सब खत्म! पर इस कहानी में एक कर्मचारी ने बॉस को ऐसा जवाब दिया कि पूरी टीम हँसी से लोटपोट हो गई।

“टीम बॉन्डिंग” का नया फंडा: घर से ऑफिस और फिर...

हमारे नायक, Reddit यूज़र u/Hotchi_Motchi, जिनका नाम सुनकर ही लगता है कि कुछ हटके ही करेंगे, वर्क फ्रॉम होम से बड़ा खुश थे। तभी बॉस ने फरमान जारी किया – “भैया, अब हर हफ्ते दो बार ऑफिस आना पड़ेगा, टीम बॉन्डिंग के लिए!” अब ये ‘टीम बॉन्डिंग’ शब्द सुनते ही अधिकतर भारतीय कर्मचारियों को याद आता है – ऑफिस की वही पुरानी चाय, बासी समोसे, और मीटिंग्स में बैठे-बैठे ऊबना। लेकिन u/Hotchi_Motchi ने सोचा – “क्यों न बॉन्डिंग को ही बॉस के पास पहुँचा दिया जाए?”

तो जनाब, अगली बार जब ऑफिस बुलाया गया, तो ये सज्जन अपने साथ पूरी टीम के लिए घर का बना खाना, चाय, और गिटार लेकर पहुँच गए। लंच ब्रेक में उन्होंने ऑफिस के कॉन्फ्रेंस रूम को मिनी पार्टी हॉल बना दिया। बॉस हैरान, टीम खुश – और असली टीम बॉन्डिंग वहीं हो गई!

“कंप्लायंस” या “मालिशियस कंप्लायंस”: बॉस को भी समझ आ गया सबक

आपने कभी-कभी सुना होगा – “ऊँट के मुँह में जीरा।” कुछ ऐसा ही हाल बॉस का हुआ। बॉस ने सोचा था कि सब लोग ऑफिस आकर सीरियसली काम करेंगे, लेकिन यहाँ तो सबने घर का माहौल ऑफिस में ले आया। बॉस भी टीम के साथ चाय की चुस्की लेते-लेते सोचने लगे – “शायद टीम बॉन्डिंग का यही असली मतलब है।”

Reddit पर एक कमेंट में u/ProDavid_ ने बड़े मज़ेदार ढंग से पूछा – “भैया, ये पोस्ट कहीं से चुराई तो नहीं?” इस पर दूसरे यूज़र ने हँसते हुए कहा – “शायद ये भी किसी बॉट का कमाल है!” देखिए, ऑनलाइन दुनिया में तो सब चलता है, लेकिन असली मज़ा तो तब है जब ऑफिस के नियमों का तोड़ निकालने वाले देसी जुगाड़ू लोग मिल जाएँ।

भारतीय वर्क कल्चर में “टीम बॉन्डिंग” का असली रंग

हम भारतीयों के लिए बॉन्डिंग का मतलब सिर्फ ऑफिस की दीवारों में सिमटा हुआ नहीं होता। याद कीजिए, पुराने दफ्तरों में दोपहर की चाय, गप्पें, कभी-कभी हलवाई के यहाँ जलेबी-सामोसे की पार्टी – यही तो असली टीम बॉन्डिंग थी! आज भी जब बॉस ज़बरदस्ती ऑफिस बुलाते हैं, तो हम देसी लोग माहौल अपने हिसाब से बना ही लेते हैं।

कई बार तो ऐसा होता है कि बॉस के घर के पास ही किसी पार्क में पूरी टीम पिकनिक मना लेती है, या फिर ऑफिस के मीटिंग रूम में अंताक्षरी शुरू हो जाती है। आखिर, जुगाड़ और मस्ती में हम भारतीयों का कोई जवाब नहीं!

क्या हमने कुछ सीखा?

हर दफ्तर में ऐसे बॉस होते हैं जो “कंपनी पॉलिसी” और “टीम बॉन्डिंग” के नाम पर कर्मचारियों को परेशान करते हैं। लेकिन भारतीय कर्मचारियों का जवाब भी कुछ कम नहीं होता – “बॉस, अगर टीम बॉन्डिंग करनी है, तो कर के दिखाएँ!” खैर, इस कहानी से यही साबित होता है कि जब बॉस नियम बनाते हैं, तो कर्मचारी उनमें भी मस्ती ढूँढ ही लेते हैं।

अब आप बताइए – आपके ऑफिस में ‘टीम बॉन्डिंग’ के नाम पर सबसे मजेदार किस्सा क्या हुआ है? नीचे कमेंट में जरूर शेयर करें, और अगर आपको ये किस्सा पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें। आखिर, मस्ती और काम – दोनों साथ-साथ चलें, यही तो असली टीम स्पिरिट है!


मूल रेडिट पोस्ट: My boss said remote workers should come in twice a week for team bonding, so I brought the team bonding to him