बॉस ने कहा 'निर्देशों का पालन करो', कर्मचारी ने कर दिखाया कुछ ऐसा कि सब हैरान रह गए!
ऑफिस की दुनिया भी क्या कमाल की जगह है! यहां कभी-कभी छोटे-छोटे नियम-कानून इतने उलझे हुए होते हैं कि सिर खुजलाना पड़ता है। ऐसे में अगर बॉस कह दे – "जो लिखा है, वही करो", तो कभी-कभी नतीजा इतना दिलचस्प निकलता है कि खुद बॉस भी सोच में पड़ जाएं! आज की कहानी एक ऐसे ही कर्मचारी की है, जिसने अपने मैनेजर की "बिल्कुल वैसा ही करो" वाली बात को इतना गंभीरता से लिया कि पूरी ऑफिस ही गुदगुदा उठी!
जब चेकलिस्ट बनी सिर दर्द – और कर्मचारी बना ‘होनहार’
ये किस्सा Reddit की r/MaliciousCompliance कम्युनिटी से है, जहां एक यूज़र (u/Big_Personality2332) ने अपने ऑफिस के अनुभव को साझा किया। हुआ यूं कि उनकी कंपनी में नया क्लाइंट ऑनबोर्डिंग चेकलिस्ट लागू हुआ, जिसमें एक-से-एक फालतू स्टेप्स थे – जैसे कि ऐसी फॉर्म्स को प्रिंट करना जो पहले से ही डिजिटल थीं! ऊपर से बॉस ने आदेश दिया – "जैसा लिखा है, वैसा ही करो – एक भी स्टेप मिस न हो।"
अब कर्मचारी ने भी ठान लिया कि "ठीक है, बॉस! जो हुक्म, मेरे आका!" बस फिर क्या था – हर फॉर्म को प्रिंट किया, खुद साइन किया, स्कैन किया, ईमेल किया… और ये सब हर फॉर्म के साथ बार-बार! क्लाइंट बेचारा हैरान भी, और थोड़ी देर बाद इस बेमतलब की डिटेलिंग से इंप्रेस भी। लेकिन असली मज़ा तब आया जब बॉस ने खुद देखा कि ये सब कितना बेवजह है।
"अब चेकलिस्ट बनाओ!" – कम्युनिटी के मज़ेदार तंज
Reddit के कमेंट्स में लोगों ने इस किस्से का भरपूर मज़ा लिया। एक यूज़र (u/cricketriderz) ने चुटकी ली – "अब तुम्हें ही पूरी चेकलिस्ट दुबारा लिखनी पड़ेगी!" तो दूसरे ने (u/slice_of_pi) हँसते हुए कहा – "रुको, पहले चेकलिस्ट रीराइट करने की खुद एक चेकलिस्ट बनाओ, फिर उस पर मीटिंग करो!"
एक और कमेंट (u/JeanWhopper) तो बिल्कुल देसी दिमाग जैसा था – "मेरे पुराने ऑफिस में एक मैनेजर था, वो जब भी कोई बेकार रूल आता, तुरंत लागू कर देता। ताकि सबको तकलीफ हो और ऊपर वालों को जल्दी पता चले कि रूल बेकार है।" सोचिए, दफ्तरों में ये जुगाड़ हर जगह चलता है!
जब नियमों पर सवाल उठाना बना सिरदर्द, और सीख मिल गई
बहुत से पाठकों ने बताया कि उन्होंने भी पुराने ऑफिस में खराब डॉक्युमेंटेशन या बेमतलब के स्टेप्स बताने की कोशिश की थी, लेकिन मैनेजमेंट ने उनकी अक्ल पर भरोसा ही नहीं किया। एक ने लिखा – "ऐसा करने से अच्छा है चुप रहो, वरना सारा झंझट तुम्हारे सिर आएगा!" कुछ-कुछ हमारे सरकारी दफ्तरों जैसी फीलिंग आ गई, है न?
एक अन्य ने (u/AJourneyer) कमाल की लाइन शेयर की – "किसी खराब प्रोसेस को सुधारने का सबसे अच्छा तरीका है – उसे वैसे ही फॉलो करना!" यानी, जब तक आप किसी बेमतलब नियम को पूरी ईमानदारी से नहीं आजमाएंगे, तब तक ऊपर वालों को उसकी बेकारियां समझ में नहीं आतीं।
दफ्तरों के ‘फॉर्मल’ ड्रामे और देसी हास्य
हमारे देश में भी कुछ कम नहीं; कितनी बार हम सरकारी या प्राइवेट दफ्तरों में फॉर्म-फॉर्म का झंझट, साइन-साइन का ड्रामा और एक ही जानकारी को बार-बार भरने का मज़ा (!) उठा चुके हैं। एक Reddit यूज़र (u/trashpanda692) ने तो हद कर दी – "हमारी कंपनी के फॉर्म्स में लिखा था – पेन या टाइपराइटर से भरिए। मैंने 10 फॉर्म प्रिंट किए, दो दिन टाइपराइटर पर बैठकर भरा, फिर स्कैन कर भेजा!"
सोचिए – कभी-कभी ये नियम इतने पुराने हो जाते हैं कि नई तकनीक का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। जैसे दादी-नानी के ज़माने की चिट्ठी, आज के व्हाट्सएप पर भेजना चाहें!
निष्कर्ष – कभी-कभी ‘हुक्म का गुलाम’ बनना भी फायदेमंद
इस कहानी से एक बड़ी सीख मिलती है – कभी-कभी नियमों का अक्षरशः पालन करना ही सबसे बड़ा बदलाव लाने का जरिया बन सकता है। जब आप हर स्टेप, चाहे वह बेकार ही क्यों न हो, पूरे जोश से करते हैं, तो मैनेजमेंट की आंखें खुल ही जाती हैं। क्या पता, अगली बार से आपको ही नई चेकलिस्ट बनाने को कह दें!
और हाँ, अगली बार जब आपके बॉस कहें – "जैसा लिखा है, वैसा ही करो", तो थोड़ा देसी मसाला डालें, और देखिए कैसे पूरा ऑफिस मुस्कुरा उठता है!
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई मज़ेदार दफ्तरी किस्सा हुआ है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए – हो सकता है अगली कहानी आपकी ही हो!
मूल रेडिट पोस्ट: Boss Said “Follow the Instructions Exactly,” So I Did