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बॉस ने कहा 'तीन महीने पहले एड तैयार करो' – कर्मचारियों ने दिखाया मज़ा

तीन महीने पहले विज्ञापनों की योजना बनाते ग्राफिक डिज़ाइनर का सिनेमाई दृश्य, जो रचनात्मकता और टीमवर्क को दर्शाता है।
इस सिनेमाई चित्रण में, एक अनुभवी ग्राफिक डिज़ाइनर आगे की योजना बनाने की शक्ति को प्रदर्शित करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रभावशाली विज्ञापन तीन महीने पहले से तैयार हों। डिज़ाइन की दुनिया में रचनात्मकता और सहयोग की यात्रा में शामिल हों!

ऑफिस में ऐसे बॉस तो आपने भी देखे होंगे जिनका काम है हर छोटी-बड़ी चीज़ पर नज़र रखना, हर कदम पर टोका-टोकी करना और अपनी मनमानी करवाना। लेकिन क्या हो अगर कर्मचारी भी उनकी चाल में उनकी ही तरह चाल चल दे? आज की कहानी है एक ऐसे ग्राफिक डिज़ाइनर की, जिसने अपने माइक्रोमैनेजिंग बॉस को "तीन महीने पहले एड तैयार करो" की सलाह इतनी शिद्दत से मानी कि बॉस की हालत पतली हो गई!

ऑफिस की रामायण: एक बॉस, एक डिज़ाइनर और PMS का चक्कर

हमारे नायक पिछले पाँच साल से एक कंपनी में सीनियर ग्राफिक डिज़ाइनर हैं। शुरू में उनके साथ एक मार्केटिंग मैनेजर और एक एक्जीक्युटिव थे, लेकिन दोनों ने बॉस की हरकतों से तंग आकर कंपनी छोड़ दी। अब अकेले यही सज्जन बचे थे, जिन पर पूरे एडवर्टाइजिंग शेड्यूल को संभालने की जिम्मेदारी थी।

कंपनी का VP, यानी बॉस, खुद को ऑफिस का सिकंदर समझता था। उसकी सबसे बड़ी शौक़ थी – हर काम की "अप्रूवल प्रक्रिया"। PMS (Project Management System) में हर एड को दर्ज करो, हर प्रोडक्ट मैनेजर और प्रूफरीडर की राय लो, फिर फाइनल अप्रूवल के लिए राजा साहब के दरबार में पेश करो। अजीब बात ये थी कि बॉस हर नोटिफिकेशन पर कॉपी में रहना चाहता था, लेकिन जब तक सब लोग देख न लें, वो खुद कुछ नहीं बोलता था। और जब आखिर में उनके पास एड पहुँचता, तो कई बार बिना वजह रिजेक्ट भी कर देता था।

बॉस की ‘तीन महीने पहले’ वाली फरमाइश – और कर्मचारी की चालाकी

एक दिन जब ग्राफिक डिज़ाइनर ने बोला कि ये सब बहुत थकाऊ है, तो बॉस ने बेफिक्री से कह दिया, "तीन महीने पहले एड रेडी कर लो!" अब भाई की हालत वैसे ही पतली थी – अकेले ही सब एड, सब डिजाइन, सब बदलाव, और हर बार कुछ नया। हर साल नया डिज़ाइनर माँगा जाता, लेकिन बजट का बहाना बना दिया जाता।

जब पानी सिर के ऊपर चला गया, तो कर्मचारी ने HR मीटिंग में साफ कह दिया – "सर, ये सब अकेले नहीं संभाला जाएगा।" यहाँ बॉस का जवाब सुनिए – "क्या सच में कंपनियों में एक से ज्यादा ग्राफिक डिज़ाइनर होते हैं?" भाई, भारत में तो हर छोटे-बड़े ऑफिस में एक जुगाड़ वाला बंदा होता है, पर वहाँ तो हद ही कर दी!

आखिरकार नए साल में एक और डिज़ाइनर रख लिया गया। अब बॉस ने ताना मारा – "अब तो तीन महीने पहले एड तैयार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए!" कर्मचारी ने मन में सोचा, "ठीक है सर, अब आपको असली मजा दिखाता हूँ!"

नोटिफिकेशन्स की बाढ़ – बॉस की नींद हराम

अब दोनों डिज़ाइनर ने मिलकर PMS में धड़ाधड़ एड बनाना शुरू किया। हर एड, हर बदलाव, हर अप्रूवल – बॉस को हर एक अपडेट का नोटिफिकेशन मिलता। जब बॉस काम को लटका देता, तो ऑटोमेशन सेट कर दिया – हर घंटे बॉस को पिंग, "सर, अप्रूवल दीजिए!" ऊपर से हर हफ्ते प्रगति रिपोर्ट भेजना और बार-बार लिखना, “हमारा लक्ष्य – तीन महीने पहले एड तैयार करना है।”

यह तो वही बात हो गई जैसे कोई पड़ोसी हर आधे घंटे पर घंटी बजा-बजा कर पूछे, "चाय पियोगे?" अंत में तो इंसान तंग आ ही जाता है! एक कमेंट में किसी ने लिखा, "अगर आप अपना काम एक दिन में कर दें और बॉस को हफ्ता लग जाए अप्रूवल देने में, तो देरी आपकी नहीं, उनकी है।" एक और मजेदार टिप्पणी थी, "सोमवार को काम खत्म करो, फिर छह दिन की छुट्टी मनाओ!"

अंत भला तो सब भला – बॉस को मिली सीख

पाँच महीने बाद बॉस ने खुद ही ऐलान कर दिया – अब से एड शेड्यूल की जिम्मेदारी नए मार्केटिंग मैनेजर पर होगी, और उन्हें कोई नोटिफिकेशन मत भेजो, क्योंकि अब उनके पास वक्त नहीं है! जैसे ही बॉस ने कदम पीछे खींचे, सबकी सांस में सांस आई। नए मैनेजर बड़े कूल निकले, काम समय से पहले हो रहा है, और टीम में दो और नए लोग जुड़ गए। ऑफिस की फिज़ा बदल गई।

ओरिजिनल पोस्टर ने भी साफ कहा – "मैं खुद मैनेजर बनना नहीं चाहता, क्योंकि मुझे टीम के साथ काम करने में ही मजा आता है।" भारत में भी कई लोग यही सोचते हैं – हर किसी को बॉस बनना जरूरी नहीं, कई बार सपोर्टिंग रोल में ही असली खुशी मिलती है।

पाठकों के लिए सीख और हंसी के कुछ पल

इस पूरी कहानी में छुपा है एक बड़ा सबक – जब कोई बॉस अपनी मनमानी पर अड़ जाए, तो कभी-कभी उसकी ही चाल में उसे उलझा देना सबसे बढ़िया तरीका होता है! एक यूज़र ने तो इसे "कॉर्पोरेट कू" (Passive Aggressive Coup) ही कह दिया।

भारत के ऑफिसों में भी ऐसी घटनाएँ आम हैं – कभी HR की नोटिफिकेशन, कभी चायवाले की आवाज, कभी बॉस की मीटिंग्स की भरमार। अगर कभी कोई बॉस आपको हद से ज्यादा परेशान करे, तो उसकी ही पॉलिसी को इतना सीरियसली फॉलो करो कि उसे खुद ही पीछे हटना पड़े!

आप क्या सोचते हैं?

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा बॉस रहा है? क्या आपने कभी किसी "मालिशियस कंप्लायंस" का मजा लिया या दिया है? अपने अनुभव जरूर कमेंट में साझा करें, और अगर कहानी पसंद आई हो तो दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!


मूल रेडिट पोस्ट: You want these ads done 3 months in advance? No problem, boss.