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बॉस की बदतमीज़ी का अनोखा बदला: 'ग्लिटर' वाला धन्यवाद कार्ड!

एक निराश कर्मचारी, कार्यालय की अव्यवस्था के बीच अपने पिछले कामकाजी संघर्षों पर विचार कर रहा है।
इस फोटो-यथार्थवादी छवि में, एक पूर्व कर्मचारी विषाक्त कार्य वातावरण के भावनात्मक प्रभावों से जूझता हुआ दिखाई दे रहा है, जो अव्यवस्था के बीच दृढ़ता की भावना को कैद करता है।

कभी-कभी दफ्तर की ज़िंदगी ऐसी हो जाती है कि इंसान अपने आप को रोज़-रोज़ कीचड़ में घिरा महसूस करता है। ऊपर से अगर बॉस खुद 'खड़ूसों के सरदार' निकले तो समझ लीजिए कि मानसिक शांति की छुट्टी! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसे बॉस को बदला भी ऐसा मिल जाए कि न कानूनी पचड़ा, न कोई झंझट, बस सीधा-सीधा सालों तक चुभता रहे? आज की कहानी में कुछ ऐसा ही हुआ है—जिसे पढ़कर आप भी सोचेंगे, "वाह, क्या जुगाड़ है!"

जब नौकरी ज़रूरत बन जाए और बॉस 'मिर्ची' का छौंक

हमारे नायक (या कहिए नायिका) Reddit यूज़र u/thatfishbish की तरह बहुत से लोग अपने काम से प्यार करते हैं, लेकिन उन्हें ऐसे बॉस मिल जाते हैं जिनसे हर दिन "सब्र" की परीक्षा होती है। छह साल तक इस नौकरी में टिके रहना आसान नहीं था, क्योंकि बॉस का बर्ताव किसी हिंदी सीरियल के खलनायक से कम नहीं था—नीचा दिखाना, ताने कसना, सूक्ष्म स्तर पर कंट्रोल करना, और अपने फायदे के लिए कर्मचारियों का इस्तेमाल करना।

भारतीय दफ्तरों में भी ऐसे बॉस बहुत मिल जाते हैं, जो हर वक्त 'मैं ही सही' के राग अलापते रहते हैं। लेकिन घर चलाना है, EMI भरनी है—तो ऐसे में बंदा सब कुछ झेल जाता है। हमारे कहानी के नायक ने भी यही किया और काम में इतने माहिर हो गए कि बॉस के सबसे भरोसेमंद कर्मचारी बन गए। लेकिन सम्मान? वो तो 'गोलगप्पे' के पानी की तरह गायब!

विदाई का प्लान: "धन्यवाद" की जगह "भेजा फ्राई"

आखिरकार जब सब्र का बांध टूटा और नौकरी छोड़ने का फैसला हुआ, तो उन्होंने सोचा, "क्यों न बॉस को एक ऐसा तोहफा दूं, जो उन्हें सालों तक याद रहे?" अब सीधे-सीधे लड़ाई मोल लेना खतरे से खाली नहीं था, क्योंकि बॉस का रुतबा ऐसा था कि कोर्ट-कचहरी में भी घसीट सकते थे।

तो फिर आई 'चुटकीभर बदले' की योजना! बाजार से एक शानदार, सबसे ज्यादा चमकदार 'ग्लिटर' वाला धन्यवाद कार्ड खरीदा गया। वो भी ऐसा कि खोलते ही चमकदार कण हर जगह बिखर जाएं—जैसे बचपन में रंगबिरंगे कागज से बनी 'फूलझड़ी' बिखर जाती थी। कार्ड के अंदर और बाहर इतनी ग्लिटर कि अगर सफाईवाला देख ले, तो छुट्टी मांग ले!

बॉस आखिरी दिन ऑफिस में नहीं थे, तो ये 'तोहफा' चुपचाप उनकी टेबल पर छोड़ दिया गया। साथियों से गले मिलकर, अच्छे पलों को याद करते हुए, नायक ने ऑफिस को अलविदा कह दिया—और मन ही मन मुस्कुरा कर निकल गए।

"ग्लिटर"—जुर्म भी, सज़ा भी; और मज़ाक भी!

आप सोच रहे होंगे, इसमें खास बात क्या है? ज़रा सोचिए, ग्लिटर ऐसी चीज़ है कि एक बार चिपक जाए, तो न जाने कितने दिन बालों, कपड़ों, और फाइलों में चमकता रहता है। इसे पश्चिमी देशों में 'क्राफ्ट वर्ल्ड की हरपिस' कहा जाता है—यानि एक बार फैला, तो बस फैलता ही जाता है! Reddit पर एक कमेंट करने वाले ने मस्त तंज कसा, "ग्लिटर क्राफ्टिंग की हरपिस है!" इस पर सब हंस पड़े। किसी ने नाम भी दे दिया—"ग्लरपीज़" (Glitter + Herpes)!

सोचिए, बॉस जब ऑफिस लौटे होंगे और कार्ड खोला होगा, तो उनकी टेबल, चेयर, फाइलें—सब पर 'चमक' ही चमक! शायद वो अब भी कर्मचारियों की मीटिंग में बैठे हों और उनके कंधे या बालों पर कोई छोटा सा ग्लिटर चमक रहा हो। जैसे हमारे यहां शादी में हल्दी लग जाती है, और हफ्तों तक रंग नहीं उतरता, वैसे ही ये ग्लिटर भी दो साल बाद तक ऑफिस में दिखता रहा।

एक और कमेंट में किसी ने लिखा, "ग्लिटर वहीं तोहफा है जो बार-बार मिलता रहता है, और इससे अच्छा बदला क्या हो सकता है!"—यानी बदला भी ऐसा, जिसमें किसी का नुकसान नहीं, बस हल्की-फुल्की चिढ़न!

छोटी-सी जीत, बड़ी खुशी

कई बार हम बड़े-बड़े झगड़ों में उलझ जाते हैं, लेकिन असली जीत वहीं होती है, जहां न कोई बड़ा नुकसान हो और न ही किसी की इज्जत पर आंच आए। Reddit के OP खुद लिखते हैं, "ये मेरी सबसे पसंदीदा छोटी जीतों में से एक है!" और सच कहें तो, ऐसी 'पेटी रिवेंज' (छोटी बदला) की कहानियां हम सबको अपने दफ्तर की 'राजनीति' की याद दिलाती हैं।

बहुत से पाठकों ने अपने अनुभव भी साझा किए—किसी ने लिखा, "क्या हम एक ही बॉस के लिए काम करते थे?" किसी ने ये आइडिया 'चोरी' करने तक की बात कही! एक मजेदार कमेंट में तो किसी ने कहा, "अगर अगली बार करना पड़े तो ग्लिटर के साथ 'क्लिंगी' कंफेटी भी डाल देना!" यानी बदला भी, हंसी भी!

निष्कर्ष: कभी-कभी 'चमक' भी सिखा देती है सबक

तो दोस्तों, आज की कहानी से सीख यही है—अगर कभी जिंदगी में आपको ऐसा बॉस मिल जाए, जो आपको तंग करे, तो बदला लेने के लिए बड़ा हथियार नहीं, बस थोड़ी सी रचनात्मकता चाहिए। जैसे हमारे यहां 'चुटकी भर नमक' से स्वाद बदल जाता है, वैसे ही 'चुटकी भर ग्लिटर' से किसी की जिंदगी में सालों-साल की चिढ़न घोल सकते हैं!

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कुछ हुआ है? या आपके पास भी कोई मजेदार 'पेटी रिवेंज' की कहानी है? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें—शायद आपकी कहानी भी किसी और के चेहरे पर मुस्कान ले आए!


मूल रेडिट पोस्ट: A heartfelt thank you for ruining my mental health - enjoy your ‘decorative herpes’.