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बॉस के झटके ने उड़ा दिए ऑफिस के फ्यूज़: एक इंजीनियर की चतुर चाल

एक तनावपूर्ण कार्यालय बैठक का सिनेमाई दृश्य, जिसमें बॉस के आश्चर्यचकित चेहरे को दिखाया गया है।
एक रोमांचक सिनेमाई पल में, हमारा नया बॉस यह सीखता है कि लिखित पुष्टि मांगने सेUnexpected surprises आ सकते हैं। इस यादगार कार्यालय की मुलाकात में घटित चौंकाने वाली घटनाओं का पता लगाएं!

ऑफिस में नया बॉस आते ही माहौल में एक अलग सी हलचल आ जाती है। सबको लगता है कि अब तो कुछ नया और बड़ा होने वाला है। लेकिन कभी-कभी ये नया जोश और खुद पर जरूरत से ज्यादा भरोसा सभी के लिए सिरदर्द बन जाता है। आज की कहानी एक ऐसे ही ऑफिस की है, जहाँ एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ने अपने "ज्ञानी" बॉस को सबक तो सिखाया, पर किस्मत की ऐसी तिकड़ी लगी कि पूरा ऑफिस ही हिल गया।

जब बॉस की डिग्री बन गई मुसीबत

साल 2010 की बात है। एक नई कंपनी में नया बॉस आया - जनरल साइंस और एमबीए की डिग्रियों से लैस। हमारे नायक, यानी कि इंजीनियर साहब, के पास इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स थी। बस, यहीं से टकराव की शुरुआत हो गई।

बॉस ने पूछा, "अगर हम दो 120 वोल्ट के लोड्स को 240 वोल्ट की लाइन पर सीरीज में जोड़ दें, तो चलेगा न?"
इंजीनियर साहब ने पूरी ईमानदारी से जवाब दिया, "नहीं सर, या तो 120 वोल्ट की लाइन चाहिए या फिर स्टेप-डाउन ट्रांसफॉर्मर।"
बॉस को ये बात जम नहीं रही थी। उन्होंने और लोगों से पूछा, जब किसी ने 'हाँ' कह दिया, तो बॉस लौटे और आदेश दिया, "जैसा कहा है, वैसा करना है!"

अब ये तो वही बात हो गई – "न खुदा ही मिला, न विसाले सनम"। बॉस को न तो सही सलाह चाहिए थी, न ही उनकी मानना था। मगर, इंजीनियर साहब भी समझदार थे। बोले, "सर, इसके लिए मुझे लिखित ऑर्डर चाहिए।"
बॉस तमतमाए, "ठीक है, मेल करता हूँ!" और भड़ास निकालते हुए मेल भेज दी।

इंजीनियर साहब ने भी चालाकी दिखाई – अपनी चिंता मेल में लिखी, पूरी टीम को CC किया और अपने निजी खाते में BCC भी डाल दी। बॉस बोले, "जस्ट करो, और बहस मत करो!"

जब बिजली का झटका बना सबक

इंजीनियर साहब ने काम शुरू किया। बॉस पास खड़े, ताने मारते हुए हर हरकत देख रहे थे।
इंजीनियर बोले, "सर, एक बार दूर हो जाइए, क्या पता क्या हो जाए।"
बॉस बोले, "बस चालू करो!"

ब्रेक़र ऑन किया गया – और धाँय! ऐसा साउंड आया जैसे कोई लकड़ी का पटरा ज़मीन पर पटका गया हो। ब्रेक़र तुरंत ट्रिप कर गया। पास ही दो UPS से धुआँ निकल रहा था, और नए लोग आग बुझाने में लगे थे। किसी ने फायर अलार्म ही बजा दिया। कुल मिलाकर, ऑफिस में अफरा-तफरी मच गई।

बॉस चिल्लाए, "ये क्या कर दिया तुमने?"
इंजीनियर बोले, "जो आपने कहा, वही किया!"
बॉस का पारा सातवें आसमान पर – "तुमने जानबूझकर गड़बड़ की!"

अब दोनों बाहर खड़े, फायर ब्रिगेड आई, ऑफिस खाली कराया गया। इतने में इंजीनियर साहब ने वह मेल C-लेवल अफसरों और अपने वकील को भी फॉरवर्ड कर दी। कहानी में ट्विस्ट यहीं से शुरू होता है।

जब लिखित आदेश बना सबूत

कुछ देर बाद बड़े अफसर आए, दोनों से सवाल-जवाब हुए। बॉस ने सारी गलती इंजीनियर पर डालने की कोशिश की। एक अफसर ने पूछा, "मेल्स के बारे में क्या कहना है?"
बॉस हक्का-बक्का, "कौन सी मेल्स?"
यही तो असली खेल था – लिखित आदेश का सबूत। बॉस की पोल खुल गई।

इंजीनियर साहब को खास इनाम तो नहीं मिला – "मीट्स एक्सपेक्टेशन" वाली रिव्यू, और बस मामूली वेतन वृद्धि। लेकिन बॉस साहब का ट्रांसफर तीस किलोमीटर दूर हो गया, और नए बॉस आ गए। ऑफिस में फिर से हलचल शुरू हो गई।

कम्युनिटी की प्रतिक्रिया और सीख

रेडिट पर इस किस्से ने खूब धमाल मचाया। किसी ने लिखा, "तुमने बॉस को सही में झटका दे दिया!"
एक और पाठक ने मजाकिया लहजे में कहा, "MBA वाले बॉस को लगता है कि सबकुछ किताबों से आता है, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो ऐसे ही होती है!"

कुछ लोग तकनीकी सवाल भी पूछ बैठे – "दो 120 वोल्ट के लोड सीरीज में जोड़ने से क्या प्रॉब्लम हो गई?"
एक एक्सपर्ट ने समझाया, "भैया, अगर लोड्स रिसिस्टिव (जैसे हीटर) हों तो शायद काम चल जाए, लेकिन UPS, कंप्यूटर जैसी चीजों में यह फार्मूला नहीं चलता। और अगर दोनों डिवाइस की रेटिंग या डिजाइन अलग है, तो एक में ज़्यादा वोल्टेज आ सकता है और वो जल जाएगी।"

कई ने यह भी कहा कि बॉस को हमेशा लिखित में आदेश मांगने पर समझ जाना चाहिए कि मामला गंभीर है।
एक पाठक ने लिखा – "CYA (Cover Your A...) हमेशा करना चाहिए, यानी खुद को बचाने के लिए सबूत रखने में ही भलाई है!"

निष्कर्ष: चाणक्य नीति और ऑफिस की राजनीति

इस कहानी से दो बातें सीखने को मिलती हैं – एक, बॉस हो या कोई भी, बिना पूरी जानकारी के तकनीकी मामलों में टांग न अड़ाए। और दो, जब भी कोई बड़ा जोखिम हो, तो हमेशा लिखित में आदेश लेकर ही आगे बढ़ें। भारत के ऑफिसों में भी ऐसा अक्सर होता है – बॉस की अकड़, और जूनियर्स की समझदारी ही टीम को बचाती है।

तो अगली बार जब आपका बॉस बिना सिर-पैर के आदेश दे, तो "लिखित आदेश" मांगना मत भूलिए – क्योंकि कब कौन सा झटका किसे लगे, ये कोई नहीं जानता!

आपके ऑफिस में भी कभी ऐसा किस्सा हुआ है? या किसी बॉस ने आपको बेतुका आदेश दिया हो? नीचे कमेंट में जरूर बताइए, और इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए – क्या पता, उनके बॉस को भी थोड़ा करंट लग जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: Shocking, Innit.