बॉस की 'अंग्रेज़ी ज्ञान' पर ऐसा पड़ा ग्रहण कि ऑफिस में सब हँसी से लोटपोट हो गए
ऑफिस की दुनिया में एक कहावत बहुत मशहूर है – "ऊँट के मुँह में जीरा!" लेकिन जब बॉस खुद ही अपने ज्ञान का झंडा लेकर सब पर हावी हो जाए और फिर खुद ही गड्ढे में गिर जाए, तो मज़ा ही कुछ और है। ऐसी ही एक घटना एक टेम्प एजेंसी में घटी, जहाँ नए-नवेले भर्ती अफसर ने अपने माईक्रोमैनेजर मैडम की ऐसी क्लास लगाई कि वह आज भी ‘passed’ और ‘past’ के चक्कर में उलझी होंगी।
जब बॉस बनीं "सर्वज्ञानी" – हर मेल पर निगरानी
कहानी शुरू होती है एक टेम्प एजेंसी के ऑफिस से, जहाँ नई-नई नौकरी शुरू करने वाले हमारे नायक को एक ऐसी बॉस मिलीं, जिनका काम सिर्फ सब पर नज़र रखना था। जरा सोचिए, ऑफिस की हर छोटी-बड़ी मेल जाने से पहले मैडम की अदालत में पेश होती थी। कोई भी बाहरी मेल भेजनी हो, तो पहले बॉस को दिखाओ, फिर CC में भी उन्हीं का नाम डालो।
यानी, "ना रहेगा बाँस, ना बजेगी बांसुरी!" लेकिन यहाँ बाँसुरी बजती थी, वो भी बेसुरी।
एक दिन, एक सहकर्मी को उसके भेजे गए मेल पर क्लाइंट से तारीफ मिली। बॉस ने तुरंत "Reply All" दबाया और सारी वाहवाही खुद ले ली – "मैं ही सब मेल देखती हूँ, मेरी ही वजह से सब अच्छा हुआ।" स्टाफ मीटिंग में भी उन्होंने ऐलान कर दिया – "कोई भी तारीफ मिले, उसका श्रेय मुझे ही है, क्योंकि मैं ही सब मेल पढ़ती हूँ।"
अंग्रेज़ी ज्ञान का भूत – 'Past' या 'Passed'?
अब असली मज़ा आया, जब बॉस का अंग्रेज़ी ज्ञान उनके ही गले की हड्डी बन गया। एक दिन हमारे नायक ने क्लाइंट के लिए एक मेल तैयार की – "मुझे लगता है कि फलां व्यक्ति आपके पद के लिए उपयुक्त है, उसके past experience के आधार पर।"
बॉस जी आईं, मेल देखकर बोलीं – "यहाँ 'past' नहीं, 'passed experience' लिखो।" अब हमारे नायक ने विनम्रता से समझाया कि 'past experience' सही है, लेकिन मैडम का अहंकार सातवें आसमान पर था – "मुझे सब पता है, तुम लिखो 'passed experience'।"
अब भला कौन बहस करे! इसलिए मेल में बॉस की बताई गलती डाल दी और CC में उनका नाम भी जोड़ दिया।
जब क्लाइंट ने पढ़ाया बॉस को अंग्रेज़ी का पाठ
मेल गई, तो अगले दिन क्लाइंट (जो खुद प्रिंटेड लिटरेचर की कंपनी चलाते थे) का जवाब आया – "आपको बताना चाहेंगे कि सही शब्द 'past experience' है, न कि 'passed experience'।"
अब असली "मालिशियस कंप्लायंस" यहीं हुआ – हमारे नायक ने 'Reply All' में धन्यवाद लिखा, और साथ में जोड़ा, "हमारी मैनेजर जी को फीडबैक बहुत पसंद है, और चूँकि वही सारी मेल्स प्रोफरीड करती हैं, तो ये गलती भी उन्हीं की है।"
इतना कहना था कि अगले दिन बॉस ने घोषणा कर दी – "अब से मैं कोई भी मेल प्रोफरीड नहीं करूँगी, और ना ही मुझे CC में डालना!"
कम्युनिटी के मज़ेदार ताने – "Passed" से "पस्त" हो गईं मैडम
रेडिट कम्युनिटी ने इस किस्से पर खूब चटकारे लिए। एक यूज़र ने लिखा, "अब तो मैडम जब भी 'past' या 'passed' पढ़ेंगी, उन्हें अपनी बेइज्जती याद आ जाएगी!"
एक और ने चुटकी ली – "शायद अब वो इस बात से 'passed' हो जाएँगी!" किसी ने तो यहाँ तक कह दिया, "अब से हर मेल में 'past (and/or passed)' ही लिखो, ताकि उन्हें हमेशा याद रहे।"
एक और कमेंट यादगार था – "ऐसी मैनेजर के लिए तो बस यही कहना है – सबका अनुभव 'past' होता है, 'passed' नहीं!"
और एक पाठक ने तो यह तक सुझाव दे डाला – "अब मैडम को एक सांत्वना मेल भेज दो – 'their/they're/there, सब गलती करते हैं, आप भी इस गलती से गुजर जाएँगी!'"
हिंदी दफ्तरों में ऐसा क्यों होता है?
हमारे देश में भी ऐसे बॉस खूब मिल जाते हैं, जो खुद की गलतियों को कभी स्वीकार नहीं करते। "मैं बॉस हूँ, मुझे सब आता है" – यही सोच उन्हें नाक कटवा देती है। अक्सर बड़े अफसर छोटे कर्मचारियों की बात को नज़रअंदाज़ करते हैं, और जब खुद मुसीबत में फँसते हैं, तो सारा ठीकरा किसी और के सिर फोड़ देते हैं।
ऐसी घटनाएँ इस बात का जीता-जागता सबूत हैं कि ज़रूरी नहीं कि ऊँचा पद, ऊँचा ज्ञान भी दे दे। कभी-कभी जूनियर का अनुभव और समझदारी, बॉस की "passed experience" पर भारी पड़ जाता है।
निष्कर्ष – आपकी कहानी क्या है?
तो दोस्तों, इस मज़ेदार कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि घमंड का सिर हमेशा नीचा होता है। ज्ञान बाँटने से बढ़ता है, न कि छुपाने से या दूसरों पर थोपने से।
क्या आपके ऑफिस में भी कभी ऐसा कोई "passed experience" हुआ है? आप भी ऐसे किसी बॉस या सहकर्मी के कारनामों से गुज़रे हैं? नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी कहानी जरूर लिखिए – और हाँ, अगली बार मेल भेजने से पहले "past" और "passed" के फर्क को जरूर याद रखें!
मूल रेडिट पोस्ट: Boss looked like a fool courtesy of me