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“ब्लॉक रेट” का चक्कर: होटल में रियायत की जिद और कड़वी सच्चाई

भ्रमित मेहमानों को ब्लॉक दर नीति समझाते हुए फटेहाल होटल प्रबंधक का कार्टून चित्रण।
इस मजेदार 3D कार्टून में, हमारे होटल प्रबंधक को bewildered मेहमानों को ब्लॉक दरों का महत्व समझाने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। जानें कि मानक दरों पर टिके रहना आपके प्रवास के लिए क्यों महत्वपूर्ण हो सकता है!

अगर आप कभी किसी शादी, सेमिनार या बड़े प्रोग्राम में शामिल हुए हैं, तो “ब्लॉक रेट” नाम का शब्द जरूर सुना होगा। ये वही रेट है जो आयोजक अपने मेहमानों के लिए होटल में एडवांस बुकिंग करवा कर तय करवा लेता है – मतलब आम रेट से कम, एक स्पेशल छूट! लेकिन भाई, हमारे यहां भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इस रियायत को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझ बैठते हैं। अब चाहे शादी दो दिन बाद हो या प्रोग्राम खत्म हो चुका हो – “भैया, ब्लॉक रेट ही चाहिए!”

क्या होटल का रिसेप्शनिस्ट कोई जादूगर है? या “मेरा नाम जानता है मैनेजर” का जादू हर जगह चलता है? चलिए, आज इसी पर एक दिलचस्प किस्सा सुनाते हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

“ब्लॉक रेट” है क्या? और क्यों होती है ये किचकिच?

होटलों में ग्रुप इवेंट्स जैसे शादी, कॉन्फ्रेंस, या बड़ा फंक्शन होने पर आयोजक होटल से कहता है – “भैया, पचास कमरे हमें चाहिए, रेट थोड़ा कम कर दो।” होटल इस पर एक खास रेट देता है – जिसे “ब्लॉक रेट” कहते हैं। लेकिन ये रेट सिर्फ उन्हीं कमरों और उन्हीं तारीख़ों के लिए होता है, जितना आयोजक ने तय किया है।

अब दिक्कत तब होती है जब कुछ मेहमान आज-कल का जुगाड़ लगाते हैं – “मैं एक दिन पहले आ रहा हूँ, मुझे भी ब्लॉक रेट दो!” या “मैं दो दिन बाद तक रुकूँगा, रेट वही चाहिए!” और जब ब्लॉक के सारे कमरे बुक हो जाते हैं, तब भी उम्मीद रहती है – “कोई तो उपाय होगा, भाई!”

एक कमेंट में किसी ने बिल्कुल सही लिखा – “लोगों को समझ ही नहीं आता कि हर काम का नतीजा होता है। समय से बुकिंग नहीं की, अब स्टैंडर्ड रेट देना पड़ेगा – इसमें रिसेप्शन वाले की क्या गलती?”

होटल स्टाफ की असली परेशानी: “ग्राहक भगवान” या “ग्राहक ज़िद्दी”?

होटल स्टाफ के लिए ये रोज़ का सिरदर्द है! Reddit पर एक रिसेप्शनिस्ट ने लिखा – “मेरा कोई जादुई बटन नहीं है, जिससे सबको ब्लॉक रेट मिल जाए। न मैनेजर आपको जानती है, न ही उसने मुझे कोई स्पेशल छूट देने को कहा है। अगर ब्लॉक का कमरा खत्म हो गया, तो स्टैंडर्ड रेट देना ही पड़ेगा।”

अब मज़ेदार बात ये है कि कुछ मेहमान तो धमकी पर उतर आते हैं – “तुम्हारा नाम लिखकर शिकायत करूँगा!” या “मैनेजर से बात करवा दो, मेरा जान-पहचान है।” एक कमेंट में किसी ने मज़ाकिया अंदाज में कहा – “लगता है जैसे लोग सोचते हैं कि ‘मैं जानता हूँ मैनेजर!’ बोलने से सब दरवाज़े खुल जाएंगे।”

कुछ मेहमान तो तीसरे पक्ष (third party) वेबसाइट से बुकिंग करते हैं, सस्ता रेट ढूंढते हैं, फिर रिसेप्शन पर आकर कहते हैं – “ब्लॉक रेट में एडजस्ट कर दो।” भाई, जब आपने अपना रास्ता अलग चुना, तो रियायत की उम्मीद क्यों?

समय की कद्र करो, परेशानी से बचो

हमारे यहां एक कहावत है – “समय पर किया गया काम हमेशा फल देता है।” एक कमेंट में कोई लिखता है, “मैं हर साल एक बड़े इवेंट में जाता हूँ, ब्लॉक रेट के कमरे पल भर में बुक हो जाते हैं। मैं जैसे ही बुकिंग खुले, फुल रेट से ही सही, कमरा बुक कर लेता हूँ। बाद में रोने-धोने का कोई मतलब नहीं।”

कई बार तो खुद दूल्हा-दुल्हन ही अपनी बुकिंग भूल जाते हैं! एक कमेंट में बताया गया – “शादी का दिन आ गया, दूल्हा-दुल्हन पहुंचे पर कमरा नहीं! स्टाफ ने बड़ी मुश्किल से कहीं एक कमरा जुगाड़ किया – वो भी बड़ा शानदार नहीं था। अब गलती किसकी?”

होटल वाले भी इंसान हैं, जादूगर नहीं। एक कमेंट में बढ़िया कहा – “आपकी योजना की कमी हमारी मुसीबत नहीं है।”

अच्छे व्यवहार का असर, और जिद की बेवजह कड़वाहट

होटल स्टाफ की ज़िंदगी आसान नहीं है। रोज़-रोज़ की जिद, गुस्सा, धमकी – सबकुछ झेलना पड़ता है। एक कमेंट में किसी ने सलाह दी – “अगर आप शांति से, अच्छे व्यवहार से बात करें, तो कभी-कभी स्टाफ खुद ही मदद करने की कोशिश करता है। लेकिन अगर आप गुस्से में या धमकी देकर बात करेंगे, तो नियम-कायदे एकदम सख्त हो जाते हैं।”

रेडिट पर असली मज़ा तो तब आया, जब किसी ने मजाक में लिखा – “भैया, मैं दस साल पहले मियामी में एक शादी में आया था, अब भी ब्लॉक रेट मिल सकता है क्या? न्यूयॉर्क में ठंड लग रही है!”

निष्कर्ष: नियम सबके लिए बराबर, और समय की अहमियत

हर जगह की तरह, होटल में भी नियम हैं – और वो सबके लिए बराबर होते हैं। कोई “ब्लॉक रेट” की जुगाड़ लगाता है, कोई “मैनेजर का नाम” लेकर आता है, लेकिन हकीकत ये है कि समय से बुकिंग करोगे तो ही फायदा मिलेगा।

तो अगली बार किसी शादी, मीटिंग या प्रोग्राम में जाना हो – बुकिंग समय पर करें, नियम समझें, और होटल स्टाफ के साथ अदब से पेश आएं। आखिरकार, सबकी ज़िंदगी आसान हो सकती है – बस थोड़ी सी समझदारी और इज्जत की ज़रूरत है।

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई अनुभव हुआ है? या आपको भी कभी रिसेप्शन पर ऐसे मोलभाव करने वाले लोग दिखे हैं? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें – आपके किस्सों का इंतजार रहेगा!


मूल रेडिट पोस्ट: No, I cannot give you the block rate if you book outside of it