बुटीक होटल की अजब-गजब कहानी: मालिक, मैनेजमेंट और बिजली का बिल!
होटल में काम करना वैसे तो मज़ेदार लगता है, लेकिन जब आप बड़े-बड़े कॉर्पोरेट चेन से निकलकर किसी छोटे, बुटीक होटल में पहुँचते हैं, तो ज़िंदगी सचमुच फ़िल्मी हो जाती है। सोचिए, समंदर किनारे बना खूबसूरत होटल, लेकिन अंदर से ऐसी गड़बड़झाला कि हर दिन किसी नए ड्रामे की शूटिंग चल रही हो। यही हुआ हमारे एक होटल कर्मचारी मित्र के साथ, जिनकी कहानी आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ – और यकीन मानिए, ऐसी अफरातफरी आपने शायद ही कहीं देखी हो।
जब मालिक और मैनेजमेंट में ही नहीं बनती
हमारे कहानी के नायक ने एक जाना-माना कॉर्पोरेट होटल छोड़कर, एक बुटीक होटल में काम करना शुरू किया। बुटीक होटल – यानी छोटा, स्टाइलिश, और अपने तरीके का। पर यहां तो सबकुछ उल्टा-पुल्टा था! होटल का नाम एक पक्षी के नाम पर था (नाम बताना मना है), लेकिन उड़ते-उड़ते होटल की हालत पंचर बस जैसी हो गई थी।
सोचिए, जीएम (जनरल मैनेजर) महज 50 दिनों में निकाल दिया गया, क्योंकि मालिक को उनका चेहरा पसंद नहीं आया! मालिक और मैनेजमेंट कंपनी दोनों को ये तक नहीं पता कि बिल कहाँ भेजना है – नतीजा ये कि पानी-बिजली कई बार कट चुकी है। कभी-कभी तो 2-3 महीने तक बिल गायब! अब बताइए, भारत में ऐसा हुआ होता तो मोहल्ले के पंडित जी तक को खबर लग जाती – "अरे शर्मा जी, होटल के पानी का बिल नहीं भरा!" लेकिन यहाँ किसी को कुछ पता ही नहीं।
होटल इंडस्ट्री में 'अनाड़ी मालिक' – नयी बीमारी
एक मजेदार कमेंट में किसी ने लिखा – "अच्छी मैनेजमेंट कंपनी मिलना, जैसे सूई के ढेर में सोना ढूंढना!" सच में, जब मालिक को होटल चलाने का कोई तजुर्बा नहीं और वो एक के बाद एक होटल खरीदने लगें, तो क्या होगा? हमारे हिंदी मोहल्ले में इसे कहते हैं – "आँख बंद करके कुएं में कूदना।" कहानी के नायक ने बताया कि मालिक ने होटल बनवाने के तीन हफ्ते बाद ही दूसरा होटल भी खरीद लिया, और उन्हें एफओएम (फ्रंट ऑफिस मैनेजर) होते हुए बारह हफ्ते तक जीएम की जिम्मेदारी निभानी पड़ी।
एक और पाठक ने तो चुटकी ली – "ऐसे लोग होटल को डुबो देंगे, फिर आधे दाम पर बेच देंगे और क्रेडिटर्स से बचने के लिए कंपनी का नाम बदल लेंगे!" भारत में इसे 'घोटालेबाज' कहेंगे – हर बार नया नाम, नया खेल!
कर्मचारियों की जुगाड़ और मालिकों की कंजूसी
अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसी गड़बड़ी सिर्फ पश्चिम में होती है, तो ज़रा अपने आस-पास देखिए। एक पाठक ने कमेंट किया – "हमारे होटल में भी मालिक अपने दो और रिसोर्ट्स में कर्मचारियों को बिना एक्स्ट्रा पैसा दिए भेज देते हैं, और जब होटल में कोई चीज़ कम पड़ती है, तो दूसरे रिसोर्ट से उठा लाते हैं।" भैया, ये तो वही हुआ – "रामू काका, पड़ोसी से चीनी मांग लाओ!"
और ट्रेनिंग? अरे, यहां तो हाउसकीपिंग वाले को भी ठीक से सिखाया नहीं जाता। कोई भी कभी भी बिना बताए गायब – यानी 'एडवांस में छुट्टी'! भारत में इसे कहते हैं – "चलो, बिना बताए घर चले गए!"
बुटीक होटल की मस्ती और मसान
अब आप सोच रहे होंगे, इतना सिरदर्द क्यों झेलते हैं लोग? कहानी के नायक कहते हैं – "मज़ा भी है, क्योंकि अब नया जीएम आ गया है, तो सारी टेंशन अकेले की नहीं रही, अब सब मिलकर निपटाते हैं!" वैसे भी, हमारे यहाँ कहते हैं – "बांट के खाने में ही स्वाद है।" होटल का माहौल मजेदार है, स्टाफ अच्छा है, और हर दिन एक नई चुनौती – ये भी तो जिंदगी का स्वाद है।
एक पाठक ने तो मजाकिया अंदाज में लिखा – "भैया, तुम्हारे होटल की कहानी तो 'होटल हेल्ल' में आ सकती है!" सच में, कभी-कभी लगता है, ये होटल नहीं, कोई टीवी सीरियल है – आज किसका बिल कटेगा, किसकी नौकरी जाएगी, और किसकी ड्यूटी कब बदल जाएगी!
निष्कर्ष: आपके मोहल्ले वाला होटल या विदेशी बुटीक – मस्ती तो दोनों में!
कहानी से यही सीख मिलती है – चाहे भारत का छोटा होटल हो या न्यू इंग्लैंड का बुटीक होटल, जब मालिक अनाड़ी हों और मैनेजमेंट में गड़बड़ी हो, तो तमाशा हर जगह एक जैसा है। फर्क बस इतना है कि यहाँ 'पानी-बिजली काट दी' तो मोहल्ला खबर कर देगा, और वहाँ कर्मचारी रेडिट पर किस्से सुना देंगे!
क्या आपके साथ भी कभी ऐसी अजीब होटल या ऑफिस की घटना हुई है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए – क्योंकि मस्तीभरी कहानियाँ तो सबको पसंद आती हैं!
मूल रेडिट पोस्ट: Boutique hotel craziness