पार्किंग स्पॉट की छोटी सी बदला कहानी: शॉपिंग कार्ट्स का कमाल!
कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसी छोटी-छोटी घटनाएँ घट जाती हैं जो हमें अंदर तक खीझ दिला देती हैं, लेकिन बाद में वही किस्से हमारी हँसी का कारण भी बन जाते हैं। सोचिए, आप थक-हार कर शॉपिंग करने जा रहे हों, और कोई आपका पार्किंग स्पॉट ही छीन ले! गुस्सा तो आएगा ही, है ना? लेकिन, कभी-कभी बदला भी ऐसे लिया जाता है कि सामने वाले की बोलती बंद हो जाए और आपकी शाम बन जाए।
पार्किंग स्पॉट की जंग: किसका है हक?
अब ज़रा कल्पना कीजिए – आप अपने घर के पास वाले बड़े मॉल या सुपरमार्केट (यहाँ की तरह Target) के बाहर कार लेकर खड़े हैं। सामने एक कार निकल रही है, आप शांति से इंतज़ार कर रहे हैं। तभी दूसरी तरफ़ से एक गाड़ी तेज़ी से आई और आपकी आँखों के सामने आपकी जगह हथिया ली। ये तो वही बात हो गई, "सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे", पर यहाँ सांप आपकी पार्किंग थी!
इस कहानी में, जैसे ही हमारी नायक (या कहें 'पीड़ित') की पार्किंग छीनी गई, सामने वाली महिला ऐसे देखती है मानो सारी ग़लती उन्हीं की हो। ऊपर से आँखें घुमाना, हाथ हवा में फेंकना – "भैया, मुँह में राम बगल में छुरी" वाली हरकत!
शॉपिंग कार्ट्स का ‘सूटेबल’ बदला
अब यहाँ से शुरू होती है असली हिंदी मसाला कहानी। हमारी नायक को पार्किंग थोड़ी दूर ही सही, मिल गई। शॉपिंग करके जब वापस लौटे, देखा कि वही महिला कार्ट रखने वाली जगह के बगल में अपनी गाड़ी लगाकर गई है। अब तो सोने पे सुहागा! बदला लेने का ऐसा मौका कौन छोड़े?
उन्होंने क्या किया? शॉपिंग कार्ट्स लेकर, एक-एक कर महिला की गाड़ी के चारों ओर ऐसे जमा दिए जैसे कोई शादी में स्टेज घेरता है। कोई रास्ता ही नहीं बचा – गाड़ी आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ, हर ओर कार्ट्स का पहरा! और मज़े की बात, जैसे ही महिला बाहर आई, हमारी नायक अपनी गाड़ी में बैठ चुकी थीं और जाते-जाते खिड़की से ज़ोर से बोलीं, "ऐ, यहाँ कार्ट्स पार्क नहीं करने चाहिए!" अब सामने वाली का चेहरा देखने लायक रहा होगा – गुस्से में लाल-पीला!
कम्युनिटी का तड़का: टिप्स, ट्रिक्स और हँसी-मज़ाक
रेडिट पर इस कहानी को पढ़कर लोगों ने भी खूब मज़ेदार कमेंट्स किए। किसी ने मज़ाक में कहा कि "काश आपके पास ज़िप-टाई भी होती, तो कार्ट्स को बाँध ही देतीं!" (जैसे हमारे यहाँ लोग ठेला या रिक्शा रस्सी से बाँध देते हैं)। एक और पाठक ने तो कहा, "अब से कार में ज़िप-टाई और शार्पी पेन रखूँगा, कभी काम आ जाए!" – जैसे भारत में लोग हर मुसीबत के लिए जुगाड़ रखते हैं।
एक यूज़र ने तो यहाँ तक कह डाला, "अब से जब भी मैं Target जाऊँगा, आपकी यह हरकत याद आएगी और हँसी रोक नहीं पाऊँगा।" वहीं किसी ने कहा, "अगर सामने वाली ने पार्किंग की चोरी नहीं की होती, तो ये सब होता ही नहीं।" यह बिलकुल वैसे ही है जैसे हमारे पड़ोस में अगर कोई बिन बताए स्कूटर खड़ी कर दे, तो अगले दिन उसके टायर में हवा नहीं मिलती!
कुछ लोगों ने बदले के और आइडिया दिए – जैसे किसी ने कहा, "लिपस्टिक से कार के शीशे पर लिखो, जल्दी छूटेगा नहीं!" और एक बुज़ुर्ग ने तो अपनी जवानी का किस्सा सुनाया, "हमारे पास एक कार्ड था, जिसपर लिखा था – 'जैसे तुम पार्क करते हो, वैसे ही... (बाकी आप समझ ही गए होंगे)'। किसी ने कार पर चिपका दिया, फिर उसने जिंदगी भर सीधा पार्क किया!"
भारतीय संदर्भ: पार्किंग का ‘अधिकार’ और बदला
भारत में भी पार्किंग की जंग कोई नई बात नहीं। मोहल्ले की गलियों से लेकर बड़े-बड़े मॉल तक, "भाई, ये मेरी जगह है!" की बहस आम है। कई बार लोग अपनी जगह बचाने के लिए ईंट-पत्थर, डंडा या यहाँ तक कि टूटी कुर्सी डाल देते हैं। और अगर कोई फिर भी पार्क कर दे तो सुबह तक उसकी गाड़ी पर चॉक से "NO PARKING" लिखा मिल जाता है, या फिर बच्चों की साइकिलें उसके चारों ओर घेर लेती हैं।
पर इस कहानी में जो बात सबसे प्यारी है, वो है बदला लेने का तरीका – न हिंसा, न गाली-गलौज, बस थोड़ा मज़ा, थोड़ा तड़का, और सामने वाले के चेहरे पर उड़ती हुई हवाइयाँ! यही है असली 'पेटी रिवेंज' – छोटी सी बदला, बड़ा मज़ा!
निष्कर्ष: आपकी कहानी क्या है?
कभी-कभी छोटी-छोटी बातों में छुपा होता है असली मज़ा। ऐसी हरकतें न किसी को नुकसान पहुँचाती हैं, न ही दिल दुखाती हैं – बस, सामने वाले को हल्की-सी सीख दे जाती हैं। तो अगली बार अगर कोई आपकी पार्किंग छीने, तो आप क्या करेंगे? ज़रूर बताइएगा!
क्या आपके साथ भी कभी ऐसी कोई मजेदार घटना हुई है? नीचे कमेंट में शेयर करें, और हाँ, ऐसे बदले सिर्फ हँसी-मज़ाक के लिए ही रखें – दिल से न लगाएँ!
पढ़ने के लिए धन्यवाद, और पार्किंग करते वक्त सतर्क रहें... क्या पता अगला शॉपिंग कार्ट आपके लिए ही खड़ा हो!
मूल रेडिट पोस्ट: Shopping carts