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पड़ोसी के बदतमीज़ कुत्तों का दंड – जब मैंने पूरी कॉलोनी को सच्चाई बताई

तीन प्रशिक्षित कुत्ते पट्टे पर, चिंतित मालिक के साथ, पड़ोस के कुत्तों के बीच टकराव को दर्शाते हुए।
इस फोटो में, एक जिम्मेदार कुत्ता मालिक अपने आज्ञाकारी पालतू जानवरों को पड़ोस के आक्रामक कुत्तों से दूर खींचते हुए दिखाया गया है, जो पड़ोस के पालतू जानवरों के बीच तनाव को उजागर करता है।

अगर आपके पड़ोस में कोई ऐसा रहता है, जिसके कुत्ते हमेशा आपके पालतू जानवरों पर हमला करने की फिराक में रहें, तो क्या करेंगे आप? भारत में तो लोग अक्सर ‘चलो छोड़ो, पड़ोसी है’ वाली सोच में ही चुप रह जाते हैं, पर कभी-कभी चुप्पी तोड़नी ज़रूरी हो जाती है। आज की कहानी है एक ऐसे ज़िम्मेदार कुत्ते के मालिक की, जिसने अपने पड़ोसी की बदतमीज़ी को सबके सामने लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी—वो भी बड़े ही मज़ेदार और चटपटे अंदाज़ में!

जब पड़ोसी की हरकतें हद से गुजरने लगीं

हमारे नायक का दावा है कि वे अपने तीनों कुत्तों की ट्रेनिंग और अनुशासन को लेकर बहुत गंभीर हैं। जैसे ही उनके कुत्ते ज़रा भी भौंकते, फौरन उन्हें अंदर बुला लेते। दूसरी तरफ़ उनके नए पड़ोसी के पास भी तीन कुत्ते थे, लेकिन उनका आलम – "आ बैल मुझे मार" वाला था! न कुत्तों पर कोई काबू, न कोई ज़िम्मेदारी। जब पड़ोसी ने देखा कि हमारे नायक के कुत्ते कितने अच्छे से रहते हैं, तो जलन होना लाजिमी था। पड़ोसी ने उल्टा-सीधा बोलना शुरू कर दिया – “कुत्ते तो ऐसे ही होते हैं, इन्हें करने दो जो कर रहे हैं!” यानी अपनी बेरुखी को जायज़ ठहराना।

कहावत है, “दूध का जला, छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है।” हमारे नायक ने अपने महंगे फेंस (बाड़) पर और भी खर्चा कर दिया, उसमें प्राइवेसी बैकिंग लगाई और 15 झाड़ियां भी लगा दीं कि शायद कुत्ते एक-दूसरे को देख नहीं पाएंगे। पर पड़ोसी तो पड़ोसी, पति ने मज़ाक उड़ाया – “ये सब बेकार है, कुत्ते सुन तो सकते हैं!” और वाकई, कुत्ते भौंकना बंद नहीं हुए।

जब बर्दाश्त की सीमा टूट गई

कहानी यहीं खत्म नहीं होती! जब सब्र का बांध टूटा, तो हमारे नायक ने बड़े सभ्य तरीके से पड़ोसी को मैसेज किया—सलाह भी दी, समाधान भी सुझाया और शांति बनाए रखने की बात भी कही। मगर उधर से उल्टे ही जवाब आए—पड़ोसी की पत्नी बोली, “आपने तो मेरा हफ्ता ही खराब कर दिया, मुझ पर कितना तनाव डाल दिया!” और उल्टा नायक से माफ़ी मांगने की मांग कर डाली।

फिर क्या, पड़ोसी ने गैर-कानूनी ऊंचाई की 6 फुट की फेंस लगा दी ताकि अब दोनों पड़ोसी एक-दूसरे की शक्ल भी न देखें। हमारे नायक को भी अब इनसे दूर रहना ही बेहतर लगा। मगर समस्या ज्यों की त्यों—कुत्तों को बिना पट्टे के खुल्ले में छोड़ना, गार्डन में घुस जाना, सड़कों पर दौड़ना।

अब तो पानी सिर से ऊपर जा चुका था। नायक ने सुरक्षा कैमरे लगवाए और सबूत इकट्ठे करने शुरू किए – कुत्तों का फेंस तोड़ना, गार्डन में घुसना, सड़कों पर दौड़ना; सब रिकॉर्ड हो गया। जब पड़ोसी ने बदतमीज़ी की हद पार कर दी, तो पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस वाले ने भी कहा, “अब हर वीडियो भेजते रहिए, जुर्माना लगाते रहेंगे।”

‘पेटी’ रिवेंज – जब पूरी कॉलोनी ने ली बदला

अब आती है असली मसालेदार बात! एक रात पड़ोसी अपने कुत्ते को सामने के वाइल्डलाइफ रिज़र्व में घुमा रहे थे। कुत्ते ने वहाँ गंदगी की, और पड़ोसी ने उसे साफ़ तक नहीं किया। पूरे मोहल्ले में ‘कुत्ते का मल’ कौन नहीं उठाता, इस पर चर्चा होती रहती थी। इस बार हमारे नायक ने वीडियो अपने कॉलोनी लीडर को भेज दी—और कहा गया कि इसे कॉलोनी के फेसबुक ग्रुप पर डाल दो, साथ ही सारी कॉलोनी को ईमेल भी कर दो।

अब पूरे मोहल्ले को पता चल गया कि असली गुनहगार कौन है—कुत्ते को बिना पट्टे के छोड़ना, आक्रामक कुत्ते को दूसरों पर छोड़ना, और सफ़ाई न करना। कई पड़ोसी बोले कि अब तो वे अपने ब्लॉक पर चलना भी छोड़ चुके थे, क्योंकि डर लगता था। कॉलोनी लीडर भी खुद जाकर पड़ोसी को शर्मिंदा करके आए, और पुलिस में भी शिकायत ले जाने की बात कह दी। अब पूरा मोहल्ला एकजुट हो गया—‘संख्या में शक्ति है’ वाली कहावत सच साबित हो गई!

कम्युनिटी की राय: भारतीय मोहल्लों की याद दिलाती कहानी

इस पोस्ट पर Reddit कम्युनिटी ने भी धुआंधार प्रतिक्रियाएँ दीं। एक यूज़र बोला, “यही वजह है कि मुझे लोग पसंद नहीं!” तो किसी ने उकसाने वाले अंदाज में लिखा, “शुरू मत करो, वरना भुगतना पड़ेगा!” एक और टिप्पणीकार ने सही कहा, “कुत्तों का व्यवहार कई बार कंट्रोल में नहीं भी आता, लेकिन मालिक की जिम्मेदारी है कि वह स्थिति को संभाले।”

बहुतों ने यह भी कहा कि ऐसे गैर-जिम्मेदार मालिकों की वजह से असली नुकसान बेचारे कुत्तों को ही होता है—“बेचारे कुत्ते, ऐसे मालिक डिज़र्व नहीं करते!” एक सदस्य ने सलाह दी, “अगर कुत्ता आक्रामक है, तो उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए, मालिक को भी शर्मिंदा किया जाना चाहिए।”

सबसे रोचक टिप – किसी ने अपने मोहल्ले का किस्सा सुनाया, जहां हर कुत्ते के मल का डीएनए टेस्ट होता है! अगर कोई गंदगी करता है, तो जुर्माना पक्का। सोचिए, अगर भारत में ऐसा हो जाए तो मोहल्ले के हर नुक्कड़ पर पोस्टर लगे मिलेंगे—‘लापरवाही का अंजाम भुगतो!’

अंत में: पड़ोसी हो तो ऐसा!

यह कहानी सिर्फ एक शरारती पड़ोसी और समझदार मालिक की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की है जो अपने अधिकारों के लिए, अपने और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाता है। भारत में अक्सर लोग कहते हैं, “क्या फर्क पड़ता है, छोड़ो न!” लेकिन जब बात घर और परिवार की सुरक्षा की हो, तो ‘पेटी’ रिवेंज भी कभी-कभी ज़रूरी है।

तो अगली बार अगर आपके पड़ोसी की वजह से आपका चैन-सुकून खराब हो, तो आवाज़ उठाइए, सबूत जुटाइए, और पूरे मोहल्ले की ताकत को अपने साथ जोड़ लीजिए। आखिर, “एक और एक ग्यारह” होते हैं!

आपके मोहल्ले में भी ऐसा कोई किस्सा हुआ है? नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए, और अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!


मूल रेडिट पोस्ट: Neighbor’s aggressive dogs kept attacking mine… so I went full neighborhood tattletale