पड़ोसी की ढिठाई और 300 डॉलर का सबक: मेरी पार्किंग, मेरा हक!
हमारे देश में तो मोहल्ले और पड़ोस का रिश्ता बड़ा ही अनोखा होता है। कभी त्योहार में मिठाई आती है, तो कभी बच्चों की शरारतों पर मिलकर डांट पड़ती है। लेकिन जब बात अपने हक की आ जाए, जैसे कि घर के बाहर की पार्किंग, तो मामला बड़ा दिलचस्प हो जाता है। आज की कहानी ऐसी ही एक जिद्दी पड़ोसी की है, जिसने "मेहमान-नवाज़ी" के नाम पर हद ही पार कर दी। लेकिन हमारी नर्स बहन ने भी उसे ऐसा सबक सिखाया कि पूरे मोहल्ले में उसकी चर्चा हो गई!
जब पड़ोसी ने समझ लिया पार्किंग मतलब 'फ्री-फॉर-ऑल'
सोचिए, आप एक साधारण सी कॉलोनी में रहते हैं। आपके घर के बाहर दो गाड़ियों की जगह है – एक आपकी, एक आपके जीवनसाथी की। सब कुछ बढ़िया चल रहा है, लेकिन एक दिन पड़ोसी (मान लीजिए उसका नाम जैक है) अपने भाई की गाड़ी आपके ड्राइववे में लगा देता है। आप सोचते हैं – चलो, गलती से हुआ होगा, एक बार बर्दाश्त कर लेते हैं। फिर वही दोहराव – कभी उसका दोस्त, कभी रिश्तेदार... हर बार वही बहाना, "बस दो मिनट के लिए है।"
हमारे यहाँ भी अक्सर लोग कहते हैं, "भई, मोहल्ले में सब अपना-सा है, क्या फर्क पड़ता है?" लेकिन फर्क तब पड़ता है जब आप थके-हारे, 12 घंटे की शिफ्ट के बाद घर लौटें और अपनी ही पार्किंग में घुस ना पाएं। ऊपर से हाथ में भारी-भरकम किराने के थैले, और सामने खड़ी है किसी और की SUV – वो भी पूरे रौब के साथ।
'बस दो घंटे' – किसकी दो घंटे की जिंदगी?
असली खेल तब शुरू हुआ जब एक रात हमारी नर्स बहन, जो वाकई दिनभर मरीजों की सेवा कर के लौटी थीं, भूखी-प्यासी, ठंडी-ठंडी खाने की पुड़िया लिए अपने घर आईं... और ड्राइववे पूरी तरह जाम! जैक से बात करो तो वही रटा-रटाया जवाब, "अरे, मेरे ससुराल वाले हैं। बस दो घंटे की बात है, सड़क पर पार्क कर लो, क्या फर्क पड़ता है?"
यहाँ एक मजेदार कमेंट Reddit पर आया – "अगर ये नर्स भारत में होती तो शायद पड़ोसी को कहती – 'भैया, आपके मेहमान की गाड़ी है या आपकी ससुराल का दहेज? सड़क पर क्यों नहीं रखते!'"
सब्र का बाँध टूटा, और आई 'टो ट्रक' की बारात
इस घटना के बाद सब्र का बाँध टूटना लाजिमी था। नर्स बहन ने कोई बहस नहीं की, सीधे टो ट्रक को फोन लगाया। अमेरिका की तरह भारत में भी कई सोसाइटियों में यह नियम है कि कोई आपकी प्राइवेट पार्किंग में बिना इजाजत गाड़ी खड़ी करे तो आप उसे हटवा सकते हैं।
जैसे ही टो ट्रक आया, SUV हवा हो गई – और हमारी नर्स बहन ने चैन से अपने फ्रेंच फ्राइज़ खत्म किए! एक घंटे बाद जैक अपने रिश्तेदारों के साथ गुस्से में लाल-पीला होता दरवाजा पीटता है – "इतना बड़ा मसला बना दिया!" जवाब मिलता है, "आपने कहा था – कोई बड़ी बात नहीं, मैंने भी कोई बड़ी बात नहीं समझी।"
Reddit पर एक कमेंट बड़ा ही मजेदार था – "भैया, किसी नर्स को 12 घंटे की शिफ्ट के बाद परेशान करोगे, तो 300 डॉलर का इंजेक्शन तो लगेगा ही!"
मोहल्ले की अदालत: कमेंट्स और सीख
इस कहानी ने Reddit पर तो धूम मचा दी। एक कमेंट था – "जैक को अब समझ आ गया होगा कि पड़ोसी की पार्किंग कोई टाइमशेयर का हिस्सा नहीं है!" वहीं, किसी ने लिखा – "नर्सों में न सिर्फ पेशेंस (धैर्य) होता है, बल्कि मरीज भी होते हैं। अब जैक खुद ही मरीज बन गया!"
कई लोगों ने यह भी कहा – "आपने बहुत सब्र दिखाया, मैं होता तो दूसरी बार ही टो ट्रक बुला लेता।" भारत में भी ऐसे कई अनुभव मिलेंगे – कोई घर के बाहर गाड़ी खड़ी कर जाता है, नोट लगा दो – 'अगली बार गाड़ी दिखी तो गायब मिलेगी!' एक पाठक ने तो लिखा – "अगर इस पड़ोसी ने मेरे साथ ये किया होता, तो मैं अपनी गाड़ी उसके गेट के सामने खड़ी कर के 'बस दो मिनट' बोलकर निकल जाता!"
एक और कमेंट, जो दिल को छू गया – "कुछ लोग दूसरों की अच्छाई को कमजोरी समझ लेते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि अपने हक के लिए खड़े हों।"
आपकी गली, आपके नियम!
तो भाइयों और बहनों, इस कहानी से यही सीख मिलती है – चाहे अमेरिका हो या भारत, अपने हक की रक्षा करना जरूरी है। "थोड़ी देर के लिए", "बस दो मिनट", "कोई फर्क नहीं" – ये सब बहाने आखिरकार तभी रुकते हैं जब आप ठान लें कि 'अब बस!'
कभी-कभी पड़ोसी को सिखाना पड़ता है कि मोहल्ले की मर्जी से नहीं, नियमों से गली चलती है। और अगर कोई बार-बार आपकी सहनशीलता का फायदा उठाए, तो एक कड़ा कदम उठाना ही पड़ता है। हाँ, कोशिश करें कि मामला शांति से सुलझ जाए, लेकिन जब हद हो जाए तो टो ट्रक (या भारत में 'क्रेन वाले भैया') को बुलाने में हिचकिचाइए मत!
निष्कर्ष: आपके अनुभव क्या कहते हैं?
अब आपकी बारी – क्या आपके साथ भी कभी किसी ने ऐसी 'जगहदारी' की? आपने कैसे निपटा? नीचे कमेंट में अपने मजेदार या जिद्दी पड़ोसियों की कहानी जरूर साझा करें! क्योंकि पड़ोसी चाहे जैसे भी हों, हमारी कहानियाँ उन्हें हमेशा याद दिलाती हैं – "ये घर है हमारा, गाड़ी भी हमारी!"
शुभकामनाएँ और अगली बार कोई भी 'बस दो मिनट' बोले तो मुस्कुराइए... और जरूरत पड़े तो एक्शन में आइए!
मूल रेडिट पोस्ट: Neighbor kept treating my driveway like free parking, so I taught him a $300 lesson