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नियम तोड़ने की इजाज़त मांगने वाली मेहमान – होटल रिसेप्शन की अनोखी कहानी

होटल के नियमों के बारे में फोन कॉल पर उलझी हुई महिला की एनीमे-शैली की चित्रण।
इस मजेदार एनीमे चित्रण में, एक चकित महिला एक लंबे समय से रहने वाले मेहमान की अजीब कॉल का सामना कर रही है। आइए, मैं आपको पिछले रात के मजेदार लम्हों के बारे में बताती हूँ, जिन्होंने मुझे सिर हिलाने और हंसने पर मजबूर कर दिया!

होटल की रिसेप्शन डेस्क पर रोज़ाना अजीबो-गरीब किस्से सुनने को मिलते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ मेहमान ऐसे मिलते हैं कि उनकी बातें सुनकर मन में यही सवाल उठता है – ‘भैया, क्या सच में ऐसा भी होता है?’। आज की कहानी है एक ऐसी मेमसाब की, जिन्होंने होटल के नियम तोड़ने की बाकायदा इजाज़त फोन पर मांगी। और जो तर्क दिए, उन्हें सुनकर तो कोई भी रिसेप्शनिस्ट अपना माथा पकड़ ले!

नियम तो नियम होते हैं, भले ही आप ‘VIP’ मेहमान हों!

तो जनाब, बीती रात होटल के रिसेप्शन पर फोन घनघनाया। कॉल करने वाली महिला बड़ी पुरानी और ‘खास’ मेहमान होने का दावा कर रही थीं। उन्होंने बताया कि उनका बेटा पास के कॉलेज में पढ़ता है, और कभी-कभार इसी होटल में रुकता है। पिछले साल जब बेटा 19 साल का था, तब होटल प्रबंधन ने एक बार नियमों में छूट दे दी थी। अब बेटा 20 का हो गया है, लेकिन होटल की नीति है कि 21 साल से कम उम्र के मेहमान नहीं ठहर सकते – क्योंकि होटल के पास शराब बेचने का लाइसेंस है।

रिसेप्शनिस्ट ने बहुत विनम्रता से नियम समझाए, लेकिन महिला और उनके पति (जो बैकग्राउंड से लगातार निर्देश दे रहे थे) अपनी बात पर अड़े रहे – “अरे हमारा बेटा शराब नहीं पीता!”, “हमने तो इतनी बार आपके होटल में ठहरा है!”, “पिछली बार भी तो एक्सेप्शन मिला था, अब क्या दिक्कत है?”। ऐसा लगा जैसे ‘हमारे लिए नियम बदल दो’ उनकी जन्मसिद्ध मांग हो!

‘एक बार छूट मिली, तो अब आदत बन जाएगी’ – होटल कर्मियों की मुश्किल

इस पूरे मामले पर Reddit समुदाय की प्रतिक्रियाएं भी कम दिलचस्प नहीं थीं। एक कमेंट में किसी ने लिखा, “अगर प्रबंधन एक बार छूट दे दे, तो मेहमान को लगता है अब हमेशा यही मिलेगा। और तो और, अगली बार उनके जान-पहचान वाले भी यही मांग करेंगे!”। भारत में भी अक्सर देखा जाता है कि कोई नियम एक बार टूट जाए, तो लोग उसे अपना अधिकार मान लेते हैं – “पिछली बार फलाने जी के कहने पर कर दिया था, अब भी कर दो”।

एक और टिप्पणीकार ने मजेदार अंदाज में कहा, “अगर आप चूहे को एक बिस्किट दे देंगे, तो अगली बार वो पूरा डिब्बा मांग लेगा!”। ऐसा ही होटल में भी होता है – एक नियम में छूट दी, तो मेहमान अगली बार और बड़ी ढील की उम्मीद रखने लगते हैं।

‘नीति है नीति, इसमें मोलभाव नहीं चलता!’

कई कर्मचारियों ने साझा किया कि होटल में नियम केवल दिखावे के लिए नहीं होते, बल्कि सुरक्षा, जिम्मेदारी और कानूनी जोखिम से जुड़े होते हैं। शराब का लाइसेंस हो या मेहमानों की उम्र की सीमा – ये सब होटल की जिम्मेदारी को सीमित करने के लिए बनाए जाते हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि उन्होंने एक बार किसी कंपनी की ओर से आए 19 साल के कर्मचारी को मजबूरी में छूट दी थी, क्योंकि बुकिंग एडवांस थी और गलती कंपनी की थी। लेकिन रात के 1 बजे अगर कोई 20 वर्षीय झुंड लेकर आ जाए, तो साफ मना कर देते हैं।

इसी तरह, एक कमेंट में कहा गया – “अगर होटल में शराब मिलती है, तो 21 साल से कम उम्र वालों को ठहराने में होटल की मुसीबतें बढ़ जाती हैं। नियम तो इसलिए है कि आने-जाने वाले मेहमानों की हरकतों पर पूरी तरह नजर नहीं रखी जा सकती।”

‘हम तो बस आपके होटल में ही सुरक्षित महसूस करते हैं’ – सुरक्षा या बहाना?

महिला बार-बार यही समझाती रहीं कि “हमें आपके होटल में बहुत सुरक्षित महसूस होता है, सामने वाले होटल में तो कभी मजा नहीं आया!”। रिसेप्शनिस्ट को भी इस बात पर हंसी आ गई – ‘अगर बेटा इतना ही नासमझ है कि अकेले होटल में नहीं रुक सकता, तो उसे कॉलेज के हॉस्टल में ही रहने दीजिए!’। वैसे भी, सामने वाला होटल 18 साल की उम्र के बाद मेहमानों को ठहरने देता है, लेकिन यहां बहाना था ‘हमें वहां पसंद नहीं आया’।

कुछ Reddit यूज़र्स ने तो अंदेशा जताया कि शायद बेटे की पिछली हरकतों की वजह से सामने वाले होटल में बैन ही हो गया हो! भारतीय संदर्भ में भी कई बार देखा गया है कि ग्राहक अपनी सुविधा के लिए नियमों को तोड़ने की पूरी कोशिश करते हैं – कभी जान-पहचान का हवाला, कभी ‘हमारे लिए खास छूट’ का तर्क।

निष्कर्ष: नियमों के आगे सब बराबर

तो कुल मिलाकर, होटल के नियम किसी की निजी पसंद या रिश्तेदारी नहीं देखते। जितने भी तर्क या भावनात्मक अपील की जाए, जिम्मेदार कर्मचारी वही करेंगे जो नीति में लिखा है। एक कमेंट ने तो खूब लिखा – “मुझे तो बस सही जवाब देना आता है, चाहे आप जितनी बार पूछ लें – जवाब वही रहेगा!”

होटल, स्कूल, दफ्तर – कहीं भी नियम तोड़ने की इजाज़त मांगना, वो भी तर्क के नाम पर, हमेशा हास्यास्पद ही लगेगा। अगली बार अगर आप भी कभी ऐसी स्थिति में फंसे, तो याद रखिए – ‘नीति है नीति, और इसमें मोलभाव नहीं चलता!’

आपका क्या अनुभव रहा है ऐसे ‘जुगाड़ू’ मेहमानों या कर्मचारियों के साथ? कमेंट में ज़रूर बताइए!


मूल रेडिट पोस्ट: You called me to ask if you could break the rules? 🤨