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नई चमचमाती कॉफी मशीनें और होटल की आफतें: एक फ्रंट डेस्क कर्मचारी की कहानी

रसोई के काउंटर पर नया ऑटोमैटिक कॉफी मशीन, इस्तेमाल किए गए फ़िल्टर के साथ, रखरखाव के लिए तैयार।
हमारी नई शानदार ऑटोमैटिक कॉफी मशीन देखें! यह स्वादिष्ट कॉफी बनाती है, लेकिन इसकी देखभाल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जानें कि इसे सुचारु रूप से कैसे चलाना है और इस्तेमाल किए गए फ़िल्टर की समस्याओं से कैसे निपटें!

होटल में काम करना वैसे भी कम सिरदर्द नहीं है, ऊपर से जब अचानक नई ऑटोमैटिक कॉफी मशीनें आ जाएँ और किसी को ठीक से चलाना न आता हो, तो समझिए मिर्ची की जगह मिक्सर में अदरक डाल दी गई हो! यही हाल हुआ एक होटल फ्रंट डेस्क कर्मचारी के साथ, जब रात के सन्नाटे में उसे कॉफी मशीन से दो-दो हाथ करने पड़े। अब सोचिए, पूरा होटल बुक है, सुबह-सुबह सभी को कॉफी चाहिए, और मशीन कह रही है – “भैया, मुझे तो चलाना ही नहीं आता!”

कॉफी मशीन – सुविधा या सिरदर्द?

भई, जब पहली बार नई ऑटोमैटिक कॉफी मशीन आई तो सबने सोचा – वाह! अब तो जिंदगी आसान हो जाएगी। लेकिन सच्चाई ये रही कि किसी को पता ही नहीं था कि इसे साफ कैसे करें, फिटर पेपर कब बदलना है या जब मशीन गड़बड़ाए तो कौन-सा बटन दबाना है। जैसे हमारे यहाँ शादी में नई बहू आती है और सास से लेकर ननद तक उसे ‘घर के रूल्स’ समझाने में हफ्ता लगा देती हैं, वैसे ही यहाँ भी किसी ने ठीक से ट्रेनिंग देना जरूरी नहीं समझा।

एक कर्मचारी ने तो Reddit पर कमेंट किया – “हमारे यहाँ भी ऐसी ही मशीन आई थी, लेकिन सिर्फ एक बंदे को आधा-अधूरा तरीका बताया गया। बाद में मैंने गूगल की मदद से सीखा और सबसे शेयर किया। अब तो आदत हो गई, पर शुरुआत में बड़ा झंझट था।”

अरे भैया, YouTube पर वीडियो देख-देखकर मशीन चलाना सीखना पड़ा! एक सज्जन ने तो लिंक भी शेयर किया – “ये वीडियो देख लो, सब समझ आ जाएगा।” आखिरकार, OP के पति साहब खुद रात में आकर मशीन ठीक कर गए। अब बताइए, ऑफिस में पति-पत्नी की जोड़ी न हो तो शायद अभी तक कॉफी मशीन ठप्प ही पड़ी रहती!

कम्युनिकेशन का झोल – ऑफिस में गुप्तचर कौन?

होटल हो या कोई भी ऑफिस, सबसे बड़ी समस्या है – कम्युनिकेशन यानी जानकारी का आदान-प्रदान। जैसे हमारे देश में पंचायत की मीटिंग में आधी बातें और अड़ोसी-पड़ोसी को पहले पता चल जाती हैं, वैसे ही यहाँ भी मशीन आई, पर शिफ्ट बदलते-बदलते खबर गायब हो गई।

एक कमेंट करने वाले ने लिखा – “रात की शिफ्ट में काम करता हूँ, और ये कम्युनिकेशन वाली दिक्कत हमेशा रहती है। जब भी कोई बदलाव होता है, किसी को ठीक से बताया ही नहीं जाता।” दूसरे ने मजे लेते हुए कहा – “हमारे यहाँ तो वॉट्सऐप ग्रुप था, AGM को भनक ही नहीं लगती थी कि सारी खबरें कैसे फैल जाती हैं।”

कई जगहों पर तो QR कोड या मशीन के पास मैन्युअल चिपका होता है, लेकिन हकीकत में सब गुम हो जाता है। कोई मॉडल नंबर से गूगल करता है, कोई पुराने स्टाफ का ज्ञान ढूंढता है। यहाँ तक कि एक जनाब ने सलाह दी – “मैन्युअल प्रिंट करके मशीन के पास चिपका दो, वरना हर बार नई आफत आएगी।”

होटल के मेहमान और उनकी ‘खास’ सौगातें

अब कहानी में ट्विस्ट यहीं नहीं खत्म होता! एक मेहमान ने पिछले हफ्ते बिस्तर के नीचे इस्तेमाल की हुई सिरिंजें ढूंढ लीं। सोचिए, होटल मेहमानों को जो ‘यादगार’ छोड़कर जाते हैं, उसकी तो कोई सीमा ही नहीं। एक सिरिंज में गहरा रंग था, जिसे देखकर OP की टीम को लगा – शायद नशे के लिए इस्तेमाल हुई है। लेकिन बॉस साहब ने तुरन्त सफाई दी – “अरे, ये तो इंसुलिन है!” अब भाई, इंसुलिन तो पारदर्शी होता है, और इतना महंगा कि कोई मरीज उसे बिस्तर के नीचे फेंककर नहीं जाएगा।

कई कमेंट्स में लोगों ने लिखा – “इंसुलिन तो साफ-सुथरा और ठंडा रखने वाला होता है, काला रंग देखकर तो कोई भी समझ जाएगा कुछ गड़बड़ है।” एक होटल कर्मचारी ने तो बताया – “हमारे यहाँ तो शेल्टर के पास होटल है, रोज ऐसी सिरिंजें मिलती रहती हैं। कभी बिस्तर के नीचे, कभी टीवी के पास!” अब सोचिए, ऐसे ‘रिव्यू’ जब ऑनलाइन पोस्ट होते हैं, तो होटल की इज्जत की तो वाट लग जाती है।

सीख – ऑफिस में ‘जुगाड़’ और टीमवर्क की अहमियत

इस पूरी कहानी से सीख यही मिलती है – चाहे नई मशीन हो, बदलाव हो या कोई और समस्या, सही कम्युनिकेशन और टीमवर्क सबसे जरूरी है। बड़े-बड़े मैनेजर हों या बॉस, अगर सही से ट्रेनिंग और जानकारी नहीं देंगे तो सारा बोझ फ्रंटलाइन कर्मचारियों पर ही आ जाता है। जैसे हमारे यहाँ शादी-ब्याह में ‘जुगाड़’ हर काम का हल होता है, वैसे ही ऑफिस में भी कब कौन किसकी मदद कर जाए, पता नहीं चलता।

और हाँ, कभी-कभी पुराने जुगाड़ – यानी पुरानी कॉफी मशीन – ही सबसे बड़ा सहारा बन जाती है। नई तकनीक आई, लेकिन जब तक टीम को ठीक से समझाया नहीं गया, तब तक पुरानी मशीन का ही सहारा लेना पड़ता है!

निष्कर्ष – आपकी राय क्या है?

क्या आपके ऑफिस में भी ऐसी कोई नई मशीन या सिस्टम आया है, जिसे चलाने में सबको पसीने आ गए? या कभी किसी मेहमान ने होटल में ऐसी कोई चीज छोड़ दी हो, जिसे देखकर सब हैरान रह गए हों? नीचे कमेंट में अपने अनुभव जरूर साझा करें – कौन जाने, आपकी कहानी पर भी कभी ब्लॉग लिखा जाए!

होटल की जिंदगी तो रोज़ नए किस्सों से भरी रहती है, और हर चुनौती के साथ नया जुगाड़ निकल ही आता है। आखिर, “जहाँ चाह वहाँ राह” – ये कहावत ऑफिस और होटल, दोनों जगह फिट बैठती है!


मूल रेडिट पोस्ट: We got new fancy automatic coffee machines!