नाइट ऑडिट की ड्यूटी: हर किसी के बस की बात नहीं!
होटल में काम करने वाले लोग अक्सर कहते हैं – "रात की ड्यूटी, दिन के मुकाबले ज्यादा थका देती है!" लेकिन जब बात नाइट ऑडिट शिफ्ट की आती है, तो ये सिर्फ नींद और थकावट की नहीं, बल्कि दिल-दिमाग की भी परीक्षा बन जाती है। आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ एक ऐसी रात की कहानी, जिसे सुनकर आप भी सोचेंगे – भाई, ये काम तो सच में सबके बस का नहीं!
होटल की रातें: बाहर सन्नाटा, अंदर हंगामा
होटल की नाइट शिफ्ट यानी वो समय, जब बाहर सब सो रहे होते हैं, लेकिन भीतर होटल के रिसेप्शन पर एक अलग ही दुनिया चल रही होती है। ग्राहक आते-जाते रहते हैं, कोई कमरे की चाबी भूल जाता है, कोई रात को दो बजे चाय मांगता है, तो कोई बस बातें करने चला आता है। पर उस रात जो हुआ, वो शायद ही कोई भूले।
नया ऑडिटर, नई उमंग – और एक अजीब रात
मेरे साथ एक नया लड़का आया था, जिसे नाइट ऑडिट ट्रेनिंग देनी थी। दिन में दो हफ्ते ट्रेनिंग लेकर आया और अब रात की असली परीक्षा थी। दूसरी रात थी उसकी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक करीब 1 बजे एक अजीब सा आदमी रिसेप्शन पर आया। चलने में लड़खड़ा रहा था, पसीना-पसीना, आंखें ऐसी जैसे किसी ने तेज़ टॉर्च मार दी हो। पहली नज़र में लगा शराबी है, पर न कोई महक, न शराब की बोतल। उसकी पुतलियाँ बिल्कुल छोटी – यानी कोई और ही नशा!
वो बोला, "मुझे अपने कमरे की चाबी चाहिए।" चेक किया, नाम और कमरा नंबर सही, पर नाम रजिस्टर में नहीं था। कमरे में फोन लगाया, कोई जवाब नहीं। अब वो बेचैन होने लगा, सांस तेज़, पसीना बहता जा रहा था। नया लड़का बोला, "आप बैठ जाइए," और उसे मेरे सामने की ऊँची कुर्सी पर बैठा दिया! मन में सोचा – अरे भाई, उसे लॉबी के दूरवाले सोफे पर बैठाते, पर क्या कर सकते थे, अब तो सामने बैठा था।
नाइट शिफ्ट की असली परीक्षा – 'हड्डियाँ मत ले जाना, मुझे उड़ना है!'
अब उस आदमी की हरकतें अजीब होती जा रही थीं। मुँह से अजीब आवाज़ें निकाल रहा, आँखें फटी की फटी। अब मुझे लगा, मामला मेरे बस का नहीं – तुरंत 112 पर कॉल कर दी। फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस, पुलिस – सब दो मिनट में पहुँच गईं। सबने देखा, वो ज़रूर किसी नशे में है। EMT उसे स्ट्रेचर पर बिठाने लगे, तभी वो ज़ोर से चिल्लाया – "मेरी हड्डियाँ मत ले जाना! मुझे उड़ने के लिए चाहिए!" और फिर ऐसी आवाज़ें निकालने लगा, जैसे कोई भूतिया फिल्म चल रही हो।
तीन EMT और दो पुलिसवाले मिलकर उसे काबू कर पाए। आखिरकार उसे अस्पताल भेजा गया। उसके जाते ही मैंने नए लड़के से पूछा – "सब ठीक है?" उसने सिर हिलाया, पर उसका चेहरा बता रहा था – कुछ तो टूट चुका है अंदर।
'मैं ये नौकरी नहीं कर सकता!' – सच्ची हिम्मत की पहचान
बीस मिनट बाद वो लड़का बोला, "मैं ये नहीं कर सकता।" मैंने सोचा, शायद किसी काम में अटक गया है, पर वो बोला – "मेरा मतलब ये नौकरी ही नहीं कर सकता!" उसकी हालत देख कर मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। खुद उसने कबूल किया था कि बहुत 'शेल्टर्ड' यानी सुरक्षित माहौल में पला-बढ़ा है। ये घटना उसके लिए जैसे किसी डरावनी फिल्म की तरह थी।
मैंने उसे समझाया कि कम से कम मैनेजर को मेल कर दे, ताकि सबको पता रहे। वो भी सिर झुकाकर निकला और दोबारा कभी नहीं लौटा। मैंने बाकी शिफ्ट पूरी की, और अगली सुबह मैनेजर ने CCTV चेक किया क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कोई नया बंदा आधी शिफ्ट में ही भाग गया!
होटल के किस्से: कभी हंसी, कभी डर – लेकिन सीख सबको मिलती है
इस घटना पर Reddit पर चर्चा भी खूब हुई। एक यूजर ने लिखा – "आठारह साल की उम्र में मैंने भी ऐसा ही कुछ झेला था, एक बुज़ुर्ग हर रात खुद को 'ईसा मसीह' बताकर कॉफी मांगने आ जाता था। पहली बार तो डर के मारे पापा को फोन कर दिया!"
दूसरे यूजर ने मज़ाक में लिखा – "‘मेरी हड्डियाँ मत ले जाना, मुझे उड़ना है!’ – भाई, ये लाइन सुनकर तो हँसी छूट गई।" सच कहें तो ऐसे डायलॉग्स पर हंसी आना लाज़िमी है, वरना इतनी टेंशन कौन झेले?
कुछ अनुभवी कर्मचारियों ने सलाह दी – "अगर पहली बार ऐसी घटना देखी हो, तो शिफ्ट छोड़ना गलत नहीं, मगर तुरंत नौकरी छोड़ देना भी समझदारी नहीं। कम से कम ध्यान से सोचकर फैसला लेना चाहिए।" एक ने तो कहा – "नाइट ऑडिट की शिफ्ट या तो सबसे शांत होती है, या फिर सबसे पागलपन वाली!"
एक और मजेदार कमेंट था – "कुछ लोग बोरियत भी बर्दाश्त नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें घड़ी देखकर तनख्वाह मिलना भी भारी लगता है।"
अंत में – नाइट ऑडिट सबके बस की बात नहीं!
इस पूरी कहानी के बाद मैं बस यही कहूँगा – होटल की रातें जितनी बाहर से शांत लगती हैं, अंदर से उतनी ही तूफानी हो सकती हैं। किसी ने सही कहा, "नाइट ऑडिट हर किसी के बस की बात नहीं!" ये काम वही कर सकता है, जिसके पास मज़बूत दिल, ठंडा दिमाग और कभी-कभी 'चुटकुले सुनाने' की कला हो।
अगर आपके पास भी होटल या नाइट शिफ्ट की कोई रोचक कहानी है, तो कमेंट में ज़रूर बताइएगा। और हाँ, अगली बार होटल जाएँ, तो रिसेप्शनिस्ट को 'सलाम' करना न भूलें – कौन जाने, पिछली रात उसने क्या-क्या झेला हो!
मूल रेडिट पोस्ट: Night Audit Isn't for Everyone