दो बार फोन काटा, फिर मुझे ही बदतमीज़ कह दिया – होटल रिसेप्शन की सच्ची कहानी

फोन पर बात कर रही एक महिला की एनीमे चित्रण, होटल चेक-इन के दौरान हंगामे के बाद निराशा व्यक्त कर रही है।
इस जीवंत एनीमे दृश्य में, हम महिला की निराशा को देख सकते हैं जब वह व्यस्त होटल चेक-इन के दौरान झूठी अलार्म के हंगामे पर प्रतिक्रिया देती है। उसकी भावनाएँ एक अनपेक्षित फोन कॉल के लिए एक जंगली अनुभव की सार्थकता को दर्शाती हैं!

कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसे पल आ जाते हैं जब आप सोचते हैं – "क्या सच में मुझसे ये हो गया?" होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करना वैसे भी आसान नहीं, ऊपर से ऐसे-ऐसे मेहमान मिल जाएं कि मामला मसालेदार बन जाए! तो चलिए, आज मैं आपको सुनाता हूँ एक ऐसी ही झन्नाटेदार घटना, जिसने मेरी शिफ्ट का स्वाद ही बदल दिया।

बात कुछ महीनों पहले की है – होटल में फायर अलार्म की वजह से अफरा-तफरी मची हुई थी। वैसे तो ये भी झूठी निकली, लेकिन माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इसी बीच एक परिवार – माँ, बेटी, दामाद और उनके तीन शरारती बच्चे – होटल में चेक-इन करने आए। सब ठीक-ठाक चल रहा था, परिवार ने भी अपने कमरे ले लिए। मैंने भी मन ही मन सोचा – "चलो, एक और दिन बीत गया।"

लेकिन किस्मत को शायद मेरी शांति पसंद नहीं आई। करीब आधे घंटे बाद होटल की घंटी बजी। फोन उठाया, सामने वही माँ जी थीं। मैं बहुत विनम्रता से बोला – "क्या आप एक पल होल्ड पर रह सकती हैं? अभी थोड़ा बिजी हूँ।" उन्होंने सीधा मना कर दिया – "नहीं!" अब भाई, ये तो शिष्टाचार की बात है, लेकिन कुछ लोगों को शायद विनम्रता का मतलब ही नहीं पता।

माँ जी सीधे रिफंड मांगने लगीं। मैंने नाम पूछा, फिर दो मिनट के लिए होल्ड पर रखा ताकि बाकी जरूरी काम भी निपटा सकूं। लौटकर देखा तो पता चला, असली मेहमान तो उनकी बेटी थी, माँ सिर्फ "प्रॉक्सी" बनकर बात कर रही थीं! मैंने समझाने की कोशिश की – "अगर आप लोग होटल छोड़ देते हैं, तो रिफंड संभव है, वरना हम आपको रोज़ाना नाश्ता या लॉयल्टी पॉइंट्स दे सकते हैं।" लेकिन माँ जी को मेरी बातों से ज्यादा, मेरी "बेबसी" खटक रही थी।

बातचीत के बीच-बीच में बार-बार मेरी बात काटती रहीं, और दो बार बिना सुने ही फोन काट दिया। और तो और, उल्टा मुझे ही "रूड" यानी बदतमीज़ बोल दिया! अब बताइए, खुद दो बार फोन काटना और फिर मुझे ही दोष देना – वाह! ऐसे लोगों के लिए तो हमारे यहाँ कहावत है – "ऊँट के मुंह में जीरा!"

इस पूरे किस्से पर Reddit पर भी कम्यूनिटी के लोगों ने खूब मज़े लिए। एक यूज़र ने तो लिखा – "ये ‘Karen’ टाइप लोग हर जगह मिल जाते हैं, जो अपने हिसाब से सबको नाम देते हैं – और अगर उनकी मर्जी न चले तो सामने वाले को बद्तमीज़ कह देते हैं।" (यहाँ ‘Karen’ पश्चिमी देशों में उन लोगों के लिए बोला जाता है, जो हर बात में शिकायत करते रहते हैं)।

एक और कमेंट ने दिलचस्प बात कही – "अच्छी कस्टमर सर्विस का मतलब ये नहीं कि ग्राहक जो बोले, वही हो। असली सेवा है – इज्जत, ईमानदारी और न्याय।" सच बात है! हमारे देश में भी कई बार ग्राहक सोचते हैं कि बस ‘ग्राहक देवता’ बनकर हर डिमांड पूरी होनी चाहिए – पर भाई, हर मांग जायज़ नहीं होती।

एक और मज़ेदार अनुभव किसी ने शेयर किया – "कई बार ग्राहक खुद ही बदतमीज़ी करते हैं, और जब आप नियम से काम करें तो उल्टा आपको ही दोषी बना देते हैं।" सच पूछिए तो, ऐसे लोगों के लिए वही पुरानी बॉलीवुड लाइन फिट बैठती है – "गलती किसकी है? उनकी या हमारी?"

खास बात ये भी है कि कई बार होटल मैनेजमेंट ऐसे मेहमानों को खुश करने के लिए अपने ही कर्मचारियों की डांट-डपट कर देते हैं। एक कमेंट में किसी ने लिखा – "ज्यादातर मैनेजर ऐसे बर्ताव को तवज्जो दे देते हैं, जिससे ये लोग और बढ़ जाते हैं।" वैसे, हमारे यहाँ भी कई दफ्तरों में ‘ग्राहक को हमेशा सही’ का नारा चलाया जाता है, चाहे वो कितना भी गलत क्यों न हो।

कुछ लोगों ने रिसेप्शनिस्ट की हिम्मत की भी तारीफ की – "भैया, आपने तो धैर्य का परिचय दिया। ऐसे मौके पर तो कई लोग आपा खो देते।" और सच माने, ऐसे अनुभव हर नौकरीपेशा के साथ कभी न कभी जरूर होते हैं।

किस्सा यहीं खत्म नहीं हुआ – रात को जब मैं ड्यूटी से घर जा रहा था, वही परिवार होटल छोड़कर जा रहा था। जाते-जाते ऐसी नज़रों से देखा, जैसे मैंने उनका पाप कर दिया हो! मन में सोचा – "भई, मैंने तो बस अपना काम किया।"

अगर आप भी किसी सर्विस इंडस्ट्री में हैं, तो ऐसे अनुभव आपके लिए भी आम होंगे। कभी-कभी ग्राहकों की अपेक्षाएँ आसमान छूती हैं, और जब पूरी न हों तो दोष भी कर्मचारी के सिर। लेकिन याद रखिए – विनम्रता से डटे रहना और नियम अनुसार काम करना ही सबसे बड़ी सेवा है।

तो दोस्तों, क्या आप भी कभी ऐसे ‘कस्टमर’ के पाले पड़े हैं? अपनी कहानी नीचे कमेंट में जरूर शेयर करें। याद रखिए, हर ग्राहक देवता नहीं होता – और हर रिसेप्शनिस्ट का भी दिल होता है!


मूल रेडिट पोस्ट: She Hung Up on Me TWICE and Then Called Me Rude