दस मिनट की पेशाब: होटल रिसेप्शन पर धैर्य की परीक्षा
क्या कभी आपने ऐसा महसूस किया है कि जैसे ही आप किसी जरूरी काम के लिए अपनी जगह छोड़ें, उसी समय कोई आपको ढूंढने आ जाता है? यही हुआ एक होटल के रिसेप्शन पर, जहाँ एक साधारण सी पेशाब, एक महा-घटना में बदल गई! इस घटना ने न सिर्फ रिसेप्शनिस्ट की धैर्य परीक्षा ली, बल्कि पढ़ने वालों को भी हँसी से लोटपोट कर दिया। तो चलिए, जानते हैं 'दस मिनट की पेशाब' वाली ये मजेदार कहानी, जिसमें अतिथि सत्कार के साथ-साथ ‘अतिथि के नखरे’ भी देखने को मिले।
होटल की रातें और रिसेप्शन पर अकेलापन
होटल में काम करना दिखने में जितना आसान लगता है, असल में उतना ही चुनौतीपूर्ण होता है। खासकर जब आप नाइट शिफ्ट में अकेले हों, तो ये जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। हमारे कहानी के नायक एक ऐसे ही होटल में अकेले रिसेप्शन संभाल रहे थे। रविवार की रात थी, होटल लगभग खाली, कोई नया मेहमान नहीं आने वाला, और चारों ओर सन्नाटा था। ऐसे माहौल में किसी भी भारतीय कर्मचारी को यही लगता – "अब तो चैन की साँस ले सकते हैं!"
जैसे ही रिसेप्शनिस्ट को अपनी प्राकृतिक आवश्यकता महसूस हुई, उन्होंने 'Be Right Back' वाला बोर्ड लगाया (जो हमारे यहाँ 'अभी आता हूँ' जैसा होता है) और बगल के वॉशरूम चले गए। अब, भाई, पेशाब करने में तो पुरुषों को वैसे भी ज्यादा वक्त नहीं लगता – यही बात उन्होंने मजाक में भी कही – "अगर यकीन नहीं हो, अपने पापा या भाई से पूछ लेना!"
अतिथि का ‘दस मिनट’ वाला कमाल
अब असल मजा तब आया, जब रिसेप्शनिस्ट बाहर निकले और घंटी की झंकार सुनाई दी। सामने एक महिला, उम्र करीब चालीस, खड़ी थीं, और उनका चेहरा गुस्से से लाल! रिसेप्शनिस्ट ने तुरंत मुस्कुराकर माफी माँगी – “माफ़ कीजिए, बस ज़रूरत से गया था, तुरंत आ गया।” लेकिन, जैसे ही उन्होंने बात पूरी करनी चाही, महिला ने तेज़ आवाज़ में बोल दिया, "अच्छा हुआ, आप आ ही गए। मैं यहाँ दस मिनट से घंटी बजा रही हूँ!"
अब सोचिए, बंदा मुश्किल से डेढ़-दो मिनट के लिए वॉशरूम गया, और मैडम को लगा कि पूरा दस मिनट बीत गया! इसे हमारे यहाँ ‘शनि की दशा’ भी कह सकते हैं – बुरा वक्त आता है, तो टाइम स्लो हो जाता है! कई बार हमारे देश के रेलवे स्टेशन या बैंक में भी ऐसे दृश्य दिख जाते हैं, जहाँ ग्राहक दो मिनट इंतजार करके भी दस मिनट का हंगामा कर देते हैं।
‘अतिथि देवो भवः’ और ‘अतिथि के नखरे’ – दोनों का संगम
रिसेप्शनिस्ट ने फिर माफी माँगी, लेकिन इस बार महिला ने उन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया – "फ्रंट डेस्क पर हमेशा कोई होना चाहिए! आपको अपनी ड्यूटी का ध्यान नहीं है!" अब यहाँ कई भारतीयों को अपने ऑफिस या रेलवे स्टेशन की याद आ गई होगी, जहाँ ग्राहक हमेशा यही उम्मीद करते हैं कि कर्मचारी कभी टॉयलेट भी न जाएँ!
यहाँ Reddit के एक यूज़र ने कमाल की बात कही – "तो आप कह रहे हो कि यूरिन (Urine) की वजह से ही आपकी मुसीबत हो गई?" इस पर दूसरे ने जवाब दिया, "कम से कम ज्यादा देर तक पिस्सी नहीं रहे!" ऐसे ही मजेदार कमेंट्स वहां खूब आए। एक और ने लिखा, “अगर कोई कहे कि वो घंटों से वेट कर रहा है, तो CCTV दिखा दो – देखो, सारा सच सामने आ जाएगा!” हमारे यहाँ भी कई बार CCTV की धमकी से लोग सीधे हो जाते हैं!
यही नहीं, रिसेप्शनिस्ट ने भी ‘अतिथि के नखरे’ के बदले ‘अतिथि टैक्स’ लगा दिया – रूम का रेट 20 डॉलर बढ़ा दिया! इसे वहाँ ‘Asshole Tax’ और हमारे यहाँ ‘बदतमीजी टैक्स’ कहा जा सकता है। एक मजेदार कमेंट था – “कई बार ऐसे मेहमानों को रोकने का यही तरीका है – या तो वो खुद ही चले जाएँ, या फिर उनकी खीझ के बदले थोड़ा फायदा ही हो जाए!” यह बात हमारे देश के छोटे शहरों के गेस्ट हाउस वाले भी खूब समझते हैं।
धैर्य, हास्य और भारतीयता की सीख
इस पूरी घटना में एक बात साफ है – होटल रिसेप्शन पर काम करने वालों के लिए धैर्य सबसे बड़ा गुण होता है। Reddit पर एक और यूज़र ने मजेदार सुझाव दिया, "अगर कोई कहे कि आप हमेशा डेस्क पर रहें, तो उनसे पूछो – ‘फिर पेशाब कहाँ करूँ, यहीं डेस्क पर?’” ऐसी बातें तो हमारे यहाँ गाँव के हकीम भी मजाक में बोल देते हैं!
एक और टिप्पणी दिलचस्प थी – “जब कोई कहे कि घंटी बजा-बजा कर थक गए, तो बेल ही हटा दो!” किसी ने तो लिखा, “मिल जाए तो टाइमर चला लो, फिर जो बोले – CCTV और टाइमर दोनों दिखा दो!” ये तरीके भारतीय जुगाड़ से कम नहीं।
हमारे समाज में ‘अतिथि देवो भवः’ की भावना गहरी है, लेकिन कभी-कभी अतिथि भी अपनी सीमाएँ भूल जाते हैं। ऐसे में भारतीय मेज़बान की खासियत यही है कि वो मुस्कुराकर सेवा करता है, लेकिन जरूरत पड़े तो थोड़ा मजाक, थोड़ा जुगाड़ और थोड़ा ‘बदतमीजी टैक्स’ भी लगा देता है।
निष्कर्ष: क्या आपके साथ भी हुआ है ऐसा?
तो दोस्तों, होटल रिसेप्शन की ये कहानी हमें बताती है कि हर जगह धैर्य, समझदारी और थोड़ी-सी हंसी जरूरी है। अगर अगली बार आप कहीं होटल जाएँ और रिसेप्शनिस्ट वॉशरूम गया हो, तो ‘दस मिनट की पेशाब’ वाली कहानी जरूर याद करिएगा – और अपने इंतजार को थोड़ा हल्के-फुल्के अंदाज में लीजिएगा!
आपके साथ भी ऐसी कोई मजेदार घटना हुई हो, तो कमेंट में जरूर बताइए। क्या आपने कभी ग्राहक, अधिकारी या अतिथि की अधीरता का सामना किया है? आपके अनुभव हमारे पाठकों के लिए प्रेरणा और हँसी का कारण बन सकते हैं!
मूल रेडिट पोस्ट: The Ten Minute Piss