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दफ्तर में टेक्निकल मदद और 'रिबूट' का जादू – जब सहयोगी ने सब्र की परीक्षा ली

एक निराश व्यक्ति धीमे लैपटॉप का समाधान करने की कोशिश कर रहा है, उसके चारों ओर ऑफिस के उपकरण और कागजात हैं।
इस फोटो में, हम एक व्यक्ति को धीमे लैपटॉप से जूझते हुए देखते हैं, जो कार्यस्थल पर तकनीकी सहायता की चुनौतियों को दर्शाता है। कभी-कभी, सबसे अनिच्छुक मददगार भी सहयोगियों के लिए समाधान करने में लग जाते हैं।

हमारे देश के दफ्तरों में अक्सर कोई न कोई "आईटी एक्सपर्ट" ज़रूर होता है, जो बाकी सबकी तकनीकी परेशानियों का हल निकालता है। चाहे वह असली टेक सपोर्ट टीम का हिस्सा हो या बस अपने ज्ञान के दम पर दूसरों की मदद कर रहा हो, ऐसे लोग हर ऑफिस में मिल जाएंगे। लेकिन कभी-कभी मदद करना भी सिर दर्द बन जाता है – और आज की कहानी कुछ ऐसी ही है।

जब कंप्यूटर स्लो हो जाए, तो किसे बुलाएं?

कहते हैं, "जहाँ चाह, वहाँ राह" – लेकिन ऑफिस में तो "जहाँ कंप्यूटर स्लो, वहाँ आईटी वाला" वाली कहावत ज़्यादा चलती है। हमारे नायक (यहाँ उन्हें 'ड्रैगन' कहेंगे, क्योंकि Reddit पर उनका नाम 'Doragon' था) का काम असल में टेक सपोर्ट नहीं था, लेकिन सहकर्मी जब परेशान हुए तो उन्हें ही बुला लिया गया।

अब समस्या सुनिए – सहकर्मी का लैपटॉप धीमा, Word में टाइप करते-करते झटका, Excel तो जैसे नींद में चला गया, और ऊपर से Chrome में दस-बारह टैब खुले हुए! भाई साहब ने महीनों से लैपटॉप रीस्टार्ट भी नहीं किया था।

रिबूट – भारतीय दफ्तरों की रामबाण दवा

ड्रैगन ने कहा, "सारे फाइल सेव करो, सब विंडोज़ बंद करो, और एक बार लैपटॉप रीस्टार्ट करो।"
लेकिन सहकर्मी बोले, "अगर मैंने सब बंद कर दिया तो काम कैसे करूंगा? फाइल्स कहीं गायब न हो जाएं!"
ड्रैगन का जवाब – "इसीलिए तो सेव करने को कहा है, साहब! अब करो रीस्टार्ट।"

यह सुनकर सहकर्मी बोले, "रहने दो, बाद में कर लूंगा। वैसे लैपटॉप और भी स्लो हो गया है, आपने क्या किया?"
अब ड्रैगन का गुस्सा सातवें आसमान पर! "भाई, तुमने बुलाया था मदद के लिए, अब उल्टा मुझे ही दोष दे रहे हो?"
आखिरकार, ड्रैगन ने तौबा कर ली – "अब से आपकी समस्या, आप खुद संभालिए।"

"रिबूट करो" – यह मंत्र क्यों है इतना कारगर?

ऑनलाइन कम्युनिटी में भी लोग हँसते-हँसते कहते हैं – "आईटी सपोर्ट का पहला सवाल – 'क्या आपने उसे बंद करके फिर से चालू किया?'"
एक कमेंट में एक सज्जन ने बताया कि ब्रिटेन के मशहूर शो 'IT Crowd' में हर बार यही सलाह दी जाती है।
हमारे यहाँ भी, चाहे घर में पंखा अटक जाए या टीवी रुक जाए, दादी-नानी भी कहती हैं – "बेटा, एक बार बंद करके फिर से चालू कर दे, सब ठीक हो जाएगा।"

असल में, कंप्यूटर की मेमोरी में फालतू डेटा, बफर या गड़बड़ी रह जाती है, जो सिर्फ रीस्टार्ट करने पर ही साफ होती है। जैसे बिजली के मीटर को रीसेट करना, वैसे ही सिस्टम को भी ताज़ा सांस लेने का मौका मिल जाता है।

टेक सपोर्ट की मुश्किलें – "समस्या कुर्सी में है, कंप्यूटर में नहीं!"

एक और कमेंट बड़ा मज़ेदार था – "PICNIC: Problem In Chair, Not In Computer" यानी गड़बड़ी कंप्यूटर में नहीं, बल्कि उस पर बैठने वाले में है!
कुछ लोग तो सीधा पूछ लेते हैं, "पावर ऑन है?" एक बार एक सज्जन ने बताया कि उनका कोई दोस्त कंप्यूटर का पावर बार ही खुद में लगा बैठा था!
दफ्तरों में ऐसे लोग मिलते ही रहते हैं, जो बार-बार वही सवाल पूछते हैं, और जब जवाब मिलता है तो मानते नहीं। एक पाठक ने ऐसे लोगों का नाम ही 'ASKHOLE' रख दिया (माफ कीजिए, यह थोड़ा मज़ाकिया शब्द है) – जो पूछते हैं, पर मानते नहीं।

एक अनुभवी नेटवर्क इंजीनियर ने बताया, कई बार तो उन्हें लोगों की शिकायत का अनुवाद करना पड़ता है – कोई डेस्कटॉप को "डेटाबेस" कहता है, कोई राउटर को "रूटर" की जगह "रूटर" बोलता है, और मॉनिटर में "वायरस" ढूंढता है! यानी आधी दिक्कतें टेक्निकल नहीं, बस समझ की हैं।

भारतीय दफ्तरों का सच – मदद चाहिए, पर समझदारी नहीं

हमारे यहाँ भी, जब तक कोई चीज़ अपनी आंखों के सामने न टूटे, लोग मानते नहीं। और जब टेक्निकल सलाह दी जाए, तो अक्सर यही सुनने को मिलता है – "अरे, रहने दो, मैं खुद कर लूंगा।"
लेकिन जब तक खुद फँस न जाएं, तब तक किसी की बात नहीं मानते – और जब फँसते हैं, तो आईटी वाले को ही दोष देते हैं!
जैसे एक पाठक ने लिखा – "मुझे मदद चाहिए।"
"ये लो, समाधान।"
"नहीं, ये नहीं चाहिए, कोई और तरीका बताओ।"
"भाई, फिर मैं क्या करूं?"

निष्कर्ष – टेक्नोलॉजी में सब्र भी चाहिए और समझदारी भी!

तो अगली बार जब आपका कंप्यूटर धीमा हो जाए, तो सबसे पहले आराम से सब फाइल सेव करें, खुली खिड़कियाँ बंद करें, और एक बार रीस्टार्ट ज़रूर करें।
और हाँ, अगर आपके आईटी दोस्त या दफ्तर के "ड्रैगन" ने सलाह दी है, तो उन्हें दोष न दें – आखिरकार, टेक सपोर्ट वाले भी इंसान हैं, भगवान नहीं!
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा वाकया हुआ है? कमेंट में ज़रूर बताइए – और अगर आपको यह लेख पसंद आया हो, तो अपने ऑफिस के दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
आईटी वालों को भी थोड़ा प्यार और शांति देना सीखें – वरना अगली बार आपकी समस्या का हल "रिबूट" नहीं, "रिबूट का इंतजार" ही रह जाएगा!


मूल रेडिट पोस्ट: Sometimes I don't like helping people