दफ़्तर का इंतज़ार : जब काम से ज़्यादा 'फीडबैक' का इंतज़ार बड़ा हो गया
"दफ़्तर में काम तो हर कोई करता है, लेकिन अगर आपको सिर्फ बैठ कर 'फीडबैक' का इंतज़ार करना हो तो? सोचिए, सुबह लैपटॉप ऑन करें, मेल देखें, और फिर—बस इंतज़ार करें! जी हाँ, Reddit की r/MaliciousCompliance कम्युनिटी में u/DareAffectionate7725 नाम के एक यूज़र ने अपनी ऐसी ही ऑफिस लाइफ का किस्सा सुनाया, जिसने न सिर्फ हँसाया, बल्कि सोचने पर भी मजबूर कर दिया।"
ऑफिस की 'फीडबैक-लीला': जहाँ आदेश ही सब कुछ है
हमारे देश की सरकारी दफ़्तरों वाली 'फाइल घुमाओ' परंपरा से तो आप वाकिफ़ होंगे, लेकिन Reddit पर इस कर्मचारी ने जो बताया, वो तो उससे भी एक कदम आगे है। कहानी शुरु होती है पिछले साल, जब मैनेजर ने आदेश दिया—"कोई भी काम आगे बढ़ाने से पहले फीडबैक का इंतज़ार करें।" अब साहब, हमारे हीरो ने आदेश को रामबाण मान लिया। न कोई नई पहल, न कोई क्रिएटिविटी—जो लिखा है, बस वही करेंगे!
हर हफ्ते मीटिंग होती, लेकिन न कोई ठोस फीडबैक, न कोई मंज़ूरी। कोई सवाल पूछो, तो वह भी मैनेजर की तरफ़ लौट जाता। और मैनेजर साहब? वो खुद भी कुछ नहीं कहते। 'अभी विचाराधीन है' की तर्ज़ पर सब लटका ही रहता।
जब दफ़्तर बना 'इंतज़ार का कमरा'
धीरे-धीरे दफ़्तर का हाल 'हमीं बैठे हैं उम्मीद-ए-सहर किए' वाला हो गया। एकमात्र साथी सहयोगी ने भी वही रास्ता पकड़ लिया—आदेशों का अक्षरशः पालन! नतीजा, उन्हें निकाल दिया गया। अब जो काम उनके थे, वो भी हमारे हीरो के सिर पर, लेकिन तरीका वही—कोई अस्पष्टता हो, तो वापस भेज दो, और बिना फीडबैक के एक क़दम भी आगे मत बढ़ो।
कुछ महीने बाद नई भर्ती हुई। onboarding यानी ट्रेनिंग का हाल देखना था—कोई ढांचा नहीं, कोई दस्तावेज़ नहीं, बस तैरते रहो इस गड्ढे में! पढ़कर लगा जैसे हमारे यहाँ नया बाबू दफ़्तर में बिना प्रशिक्षण के बैठा हो और बाकी पुराने बाबू उसे सिर्फ चाय की प्याली थमाकर छोड़ दें।
इसी बीच, नियम और कड़े हो गए—कोई भी सूचना ऊपरी अधिकारियों को भेजने से पहले मंज़ूरी चाहिए, यहाँ तक कि साधारण अपडेट भी। अब तो गाड़ी रुक ही गई थी।
फिर आया 'मैनेजमेंट रीस्ट्रक्चरिंग' का ट्विस्ट
कहानी में असली मोड़ तब आया जब प्रबंधन ने विभाग को फिर से 'सुधारने' का फैसला किया। मैनेजर को निकाल दिया गया, न कोई नया मुखिया, न कोई दिशा—बस दो कर्मचारी, और उनके पास करने को सिर्फ़ एक काम: "इंतज़ार करो!"
यहाँ Reddit कम्युनिटी की टिप्पणियाँ भी कमाल की थीं। एक यूज़र ने तंज कसा, "अब तो मैनेजर भी नहीं रहे, फीडबैक आएगा कहाँ से?" वहीं खुद OP ने जवाब दिया—"प्लान B और C तैयार हैं, और A तो पहले से चालू है!" (इशारा था कि वे दूसरे जॉब की तैयारी कर चुके हैं)।
एक और टिप्पणीकार ने कहा—"अगर इतना वक्त है, तो दूसरा जॉब पकड़ लो, डबल सैलरी मिलेगी!" ज़रा सोचिए, हमारे यहाँ तो लोग एक जॉब में ही हाल-बेहाल रहते हैं, और वहाँ 'ओवर-एम्प्लॉयमेंट' यानी एक साथ दो-दो जॉब!
'ऑफिस स्पेस' से लेकर Kafka तक: सबको दिखा अपना अक्स
कई यूज़र्स ने इसे 'ऑफिस स्पेस' फिल्म जैसी स्थिति बताया। किसी ने कहा—"इतने दिनों से कुछ नहीं कर रहे, कंपनी को तो पता भी नहीं चलेगा कि आप हैं भी!" एक अन्य बोले—"अगर टाइम ही टाइम है, तो घर का काम, नई स्किल सीख लो या फिर आराम से ज़िंदगी का मज़ा लो।"
किसी ने सलाह दी—"अब तो खुद ही मैनेजर बन जाओ, सारे पेंडिंग काम खुद ही अप्रूव करो!" लेकिन जैसे हमारे यहाँ नियम बदलने के बाद भी कोई पालन नहीं करता, वैसे ही OP ने चुटकी ली—"नीति वही है, सिर्फ लागू करने वाला नहीं रहा।"
यहाँ तक कि Kafka की किताब 'द ट्रायल' का जिक्र भी हुआ—"आप तो जैसे उसी कहानी में जी रहे हैं!"
दफ़्तर की राजनीति और 'फीडबैक' का घोर अभाव
अंत में, पूरा विभाग जैसे 'स्टैंडबाय' मोड में है। न ऊपर से कोई आदेश, न मंज़ूरी, न कोई काम—बस इंतज़ार। एक यूज़र ने लिखा—"नेतृत्व ने खुद ही ऐसी संस्कृति बना दी कि बिना मंजूरी सब रुका रहे, अब जबकि मैनेजर भी नहीं, तो सारी गाड़ी ठप!"
किसी ने कहा—"कंपनी शायद पूरे विभाग को ही बंद करना चाहती है, इसलिए कोई काम पास ही नहीं कर रही।"
OP का जवाब था—"ऊपर के बॉस से भी बात की, लेकिन वे खुद नए हैं और उन्हें भी कुछ नहीं पता।"
निष्कर्ष: 'फीडबैक' का इंतज़ार—मज़ाक या हकीकत?
तो दोस्तों, नौकरी में 'प्रोएक्टिव' बनने की सीख तो हर जगह मिलती है, लेकिन कभी-कभी आदेशों का पालन भी ऐसा रंग दिखा देता है कि पूरी टीम 'फीडबैक' का इंतज़ार करते-करते जड़ हो जाती है।
कई बार ऐसे ऑफिस दिखते हैं हमारे यहाँ भी, जहाँ 'ऊपर से आदेश आएगा' के नाम पर सबकुछ ठप पड़ा रहता है। Reddit की इस कहानी ने न सिर्फ वेस्टर्न दफ़्तरों की पोल खोली, बल्कि हमारी जानी-पहचानी संस्कृति का आईना भी दिखाया—जहाँ बिना मंजूरी पत्ता भी नहीं हिलता!
आपका क्या अनुभव रहा है ऐसे 'इंतज़ार भरे' दफ़्तरों में? क्या आपको भी कभी सिर्फ 'फीडबैक' का इंतज़ार करते-करते बोरियत महसूस हुई? या फिर आपने ऐसे मौकों का अलग ही फायदा उठाया? अपने विचार कमेंट में ज़रूर लिखें—क्योंकि यहाँ तो हम सब 'फीडबैक' का इंतज़ार कर ही रहे हैं!
मूल रेडिट पोस्ट: Update: Still compliant, still waiting for feedback....