दादी की मिठास और पापा की शरारत: जब फार्ट मशीन ने बना दिया सबको हँसी का पिटारा
हर घर में एक दादी-नानी होती हैं, जिनका प्यार कभी-कभी मीठा जहर भी साबित हो सकता है। खासकर जब बात पोते-पोतियों को मिठाई, चॉकलेट या बिस्किट खिलाने की आती है, तब तो उनके आगे किसकी चलती है! माता-पिता लाख मना करें, लेकिन दादी-नानी के प्यार की मिठास बच्चों के पेट तक ज़रूर पहुँचती है। आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जहां एक बेटे ने अपनी सासू माँ की मीठी जिद का अनोखा, मजेदार और शरारती जवाब दिया—एक फार्ट मशीन के ज़रिए!
दादी का 'मिठास प्रेम' बनाम माता-पिता की सख्ती
कहानी अमेरिका के एक परिवार की है, लेकिन आप इसे किसी भी भारतीय घर में आसानी से घटित होते देख सकते हैं। यहाँ भी वही समस्या—दादी माँ अपने पोते को सुबह-सुबह बिस्किट, आइसक्रीम जैसी चीज़ें खिलाने पर आमादा। बेटा और बहू लाख समझाएँ कि "माँ, नाश्ते में केला और दही खिला दीजिए", लेकिन दादी का जवाब—"अरे, दादी हूँ, मुझे जो चाहूँ खिलाने दो! बच्चे को जीने दो ज़रा!"
अब सोचिए, सुबह-सुबह 3.5 साल के बच्चे को बिस्किट मिल जाए, तो वह किसकी सुनेगा? और दादी भी वही, जो खुद अपने पोते की मुस्कान के आगे सब भूल जाती हैं। वैसे तो दामाद अपनी सासू माँ की तारीफों के पुल बाँधते थकते नहीं, लेकिन पोते के खानपान की सीमाओं की बार-बार अनदेखी उन्हें अखरती थी।
शरारती बदला: फार्ट मशीन की एंट्री
अब यहाँ पर कहानी में आता है ट्विस्ट। एक दिन परिवार समुद्र किनारे घूमने गया। बाजार में घूमते हुए पापा को एक 'फार्ट मशीन की-चेन' दिख गई। वहीं किसी ने मजाक में कहा—"भला कौन ऐसी चीज़ खरीदेगा?" लेकिन पापा के दिमाग में तुरंत बिजली कौंध गई—"बस, यही चाहिए!"
दरअसल, दादी माँ को 'पोटी ह्यूमर' यानी टट्टी-पेशाब और पाद के मजाक से सख्त नफरत थी। दूसरी ओर, तीन साल के बच्चे के लिए फार्ट की आवाज सबसे मजेदार चीज़! पापा ने फौरन फार्ट मशीन खरीदी और घर आकर बेटे को दे दी।
अगला दृश्य बड़ा ही मजेदार था—बच्चा फार्ट मशीन दबा-दबा कर हँसी से लोट-पोट हो रहा था, और दादी मुँह बनाकर बड़बड़ा रही थीं—"क्या बेहूदा चीज़ है, उम्मीद है जल्दी टूट जाए!" लेकिन अब दादी क्या बोलें? बच्चा तो उछल रहा है, और पापा मुस्कुरा कर वही दादी वाला डायलॉग दोहरा रहे हैं—"अरे, जीने दो ज़रा!"
कम्युनिटी के तड़के: बड़ों की चुटकी, बच्चों की हंसी
रेडिट पर इस मजेदार किस्से को हज़ारों लोगों ने पसंद किया। एक यूज़र ने लिखा, "अगर इसमें फार्ट की बदबू भी होती, तो मज़ा डबल हो जाता!" किसी ने सलाह दी, "अगली बार दादी के लिए लहसुन की बेक्ड बीन्स ले जाओ, असली फार्ट मशीन बन जाएगी घर!"
एक और कमेंट बड़ा दिलचस्प था—"मेरी भांजी को फार्ट वाली किताब दिलाई थी, माता-पिता परेशान, लेकिन बच्ची और मैं हँसी से लोटपोट!" खुद पोस्ट लिखने वाले ने भी माना, "गाड़ी में बेटे के साथ रास्ता भर फार्ट मशीन बजती रही, हर कार को पार करते हुए फार्ट की आवाज़ और उसके बाद ठहाके!"
किसी ने तो यहाँ तक कह डाला, "पापा, इस मशीन के दो-तीन और खरीद लो, एक टूट जाए तो दूसरा तैयार रहे!" जबकि एक अन्य यूज़र ने भारतीय माता-पिता के दृष्टिकोण से सलाह दी—"अगर आपकी सीमाएँ बार-बार तोड़ी जा रही हैं, तो उनका पालन करवाना भी आपकी ज़िम्मेदारी है।"
क्या कहते हैं हमारे घरों के अनुभव?
अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसी खटपट सिर्फ पश्चिमी देशों में होती है, तो ज़रा याद कीजिए—घर में कितनी बार दादी-नानी ने बच्चों को छुप-छुप के मिठाई, बर्फी या बिस्किट खिला दिए? और माँ-पापा ने माथा पकड़ लिया! कई लोगों ने कमेंट किया—"जब बच्चों को हर समय टॉफी या चॉकलेट मिलती है, तब उनका मोह भी कम हो जाता है। लेकिन कुछ बच्चे तो गजब के होते हैं—एक बार में पूरा केक या पूरी टोकरी मिठाई चट कर जाएँ!"
कई पाठकों ने यह भी कहा कि बच्चों की हँसी और शरारत ही असली जीवन है। एक पाठक ने लिखा, "बच्चे सिर्फ एक बार छोटे होते हैं, उनकी मासूमियत और हँसी में ही जिंदगी का सच्चा मजा है।"
निष्कर्ष: शरारत में भी छुपी है सीख
इस कहानी से हमें एक प्यारा सा संदेश भी मिलता है—घर की छोटी मोटी खटपट में भी खूब सारी हँसी, सीख और अपनापन छुपा होता है। कभी-कभी अपने ही दिए डायलॉग का जवाब मिल जाए, तो चुप रहना पड़ता है!
तो अगली बार जब आपकी दादी-नानी या सासू माँ बच्चों को मिठाई खिलाने पर ज़ोर दें, तो आप भी कोई ऐसी ही प्यारी सी शरारत सोच सकते हैं—मजाक में, प्यार में, क्योंकि आखिरकार, परिवार में मीठी तकरार और हँसी-ठिठोली ही तो जिंदगी का असली स्वाद है।
आपके घर में भी ऐसे मजेदार किस्से हुए हैं? नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर कीजिए! और हाँ, अगर फार्ट मशीन या ऐसी कोई शरारती चीज़ ट्राय की हो, तो उसके किस्से भी बताइए—कौन जाने, अगली कहानी आपकी हो!
मूल रेडिट पोस्ट: Overzealous MIL doesn't respect food boundaries, gets hit with a fart machine