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डीज़ल का टैंक खाली, अकड़ दिखाने वाले सेल्समैन की करारी हार!

ईंधन के लिए रुकने की तैयारी कर रहा एक वितरण ट्रक, 90 के दशक की लॉजिस्टिक्स की चुनौतियों को दर्शाता है।
90 के दशक की व्यस्त गोदाम दृश्य का एक यथार्थवादी चित्रण, जिसमें ईंधन के लिए रुकने के लिए तैयार एक वितरण ट्रक है। यह चित्र लॉजिस्टिक्स प्रबंधन की वास्तविकता और उन अप्रत्याशित बाधाओं को दर्शाता है जिनका चालक अक्सर सामना करते हैं, जैसे ईंधन की पहुंच न मिलने पर टो बिल का सामना करना।

ऑफिस की दुनिया में अक्सर छोटे-छोटे झगड़े बड़े झमेले बन जाते हैं। कभी किसी को स्टेशनरी के लिए नोट बनवाना पड़े, तो कभी फ्यूल कार्ड जैसी मामूली चीज़ के लिए बॉस से अनुमति लेनी पड़ती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि छोटी सी जिद कंपनी को कितना बड़ा नुकसान पहुँचा सकती है? आज की कहानी कुछ ऐसी ही है – एक वेयरहाउस मैनेजर, एक अकड़ू सेल्समैन और एक डीज़ल से चलने वाला ट्रक!

जब फ्यूल कार्ड बना अहंकार का मुद्दा

कहानी है 90 के दशक की, जब हमारे नायक वेयरहाउस मैनेजर थे और उनकी जिम्मेदारी में डिलीवरी भी शामिल थी। कंपनी के पास अपना एक 12 फुट का बॉक्स ट्रक और पिकअप वैन थी, जो दिनभर फर्नीचर की डिलीवरी में लगी रहती थी। लेकिन, फ्यूल कार्ड का राज था सिर्फ बॉस के पास – वो भी तिजोरी में बंद!

एक दिन ट्रक के डीज़ल टैंक में बस 1/8 हिस्सा बचा था। जो लोग डीज़ल गाड़ियों से वाकिफ़ हैं, उन्हें पता है कि इतना कम डीज़ल छोड़ना मतलब आफत को न्योता देना! हमारे मैनेजर साहब ने जैसे ही कार्ड मांगा, बॉस तो थे नहीं, सेल्स डिपार्टमेंट के हेड साहब ने अकड़ दिखा दी – "इतना डीज़ल तो काफी है, लौट आओ तब भरवा लेना!"

अकड़ का नतीजा: ट्रक बंद, काम ठप!

अब क्या था, मैनेजर साहब डिलीवरी पर निकल गए। जाते-जाते मन में यही डर, कहीं रास्ते में ट्रक बंद न हो जाए। डिलीवरी तो हो गई, लेकिन लौटते वक्त ट्रक ने धोखा दे दिया। हर एक-दो किलोमीटर पर ट्रक बंद! जैसे-तैसे पेट्रोल पंप तक पहुँचते हैं, वो भी ट्रक को घसीटते-घसीटते। सेल्समैन को फोन लगाते हैं, वो पहले तो चिढ़ता है, फिर एक घंटे बाद किसी को कार्ड लेकर भेजता है।

डीजल तो भर दिया, मगर अब ट्रक चालू ही नहीं होता! डीज़ल इतना कम था कि पाइप में हवा भर गई और पूरी फ्यूल लाइन को 'ब्लीड' करना पड़ा। नतीजा – ट्रक दो दिन गैराज में, सारे डिलीवरी ऑर्डर मिस, टोइंग का खर्चा, नया फिल्टर और ऊपर से किराये की गाड़ी का झंझट!

ऑफिस की राजनीति: "कंट्रोल" के खेल में कंपनी का नुकसान

कई बार ऑफिस में ऐसे लोग मिलते हैं जिन्हें छोटी-छोटी चीज़ों पर कंट्रोल चाहिए, चाहे उससे कंपनी को घाटा ही क्यों न हो। एक कमेंट करने वाले ने बड़ा मजेदार तंज कसा – "कुछ लोगों को बस ताकत दिखाने का शौक होता है, चाहे कंपनी का भट्टा ही क्यों न बैठ जाए!"

इसी तरह एक ने लिखा, "बचत के चक्कर में कई बार नुकसान हो जाता है – पैसा बचाने के लिए डीज़ल नहीं भरवाया, लेकिन टोइंग, मरम्मत और काम बंद होने का खर्चा कहीं ज्यादा निकल गया।"

ऐसी ही एक और कहानी पर चर्चा करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, "हमारे यहां भी एक VP थे जिन्हें लगता था कि हाइब्रिड गाड़ी में पेट्रोल की जरूरत ही नहीं, क्योंकि उसमें इलेक्ट्रिक मोटर है! नतीजा – गाड़ी बार-बार रास्ते में बंद, टोइंग पर खर्चा, आखिरकार सबने गाड़ी चलाना ही छोड़ दिया।"

डीज़ल गाड़ी में डीज़ल खत्म? आफ़त बुला ली!

यह बात तो हर ट्रक ड्राइवर जानता है – डीज़ल गाड़ी को खाली टैंक पर चलाना मतलब खुद मुसीबत बुलाना। एक और कमेंट में किसी ने यही कहा, "अगर डीज़ल खत्म हो जाए तो पूरी फ्यूल लाइन में हवा भर जाती है, और कभी-कभी तो पूरा सिस्टम ही बदलना पड़ता है।"

हमारे मैनेजर साहब तो फिर भी किस्मत वाले थे कि सिर्फ ब्लीड और फिल्टर से काम चल गया। नहीं तो, जैसा उत्तर भारत के ट्रक ड्राइवरों का फेवरेट डायलॉग है – "भैया, गाड़ी में डीज़ल खत्म? समझो पूरा दिन गया!"

ऑफिस की सीख: छोटी सोच, बड़ा नुकसान

इस पूरी घटना के बाद सेल्समैन की खूब क्लास लगी और उसके बाद उसने दोबारा कभी फ्यूल कार्ड के लिए टालमटोल नहीं की। लेकिन स्वभाव तो स्वभाव ही रहता है – जनाब नए-नए बहाने ढूंढते रहे अकड़ दिखाने के लिए।

कई कमेंट्स में लोगों ने अपने ऑफिस के ऐसे किस्से शेयर किए, जहां छोटी-छोटी पावर गेम्स ने कंपनी को नुकसान पहुंचाया। और यही हमारे देश की ऑफिस पॉलिटिक्स में भी खूब देखने को मिलता है – कभी चाय की चुस्की पर, तो कभी स्टेशनरी के रजिस्टर पर लड़ाई!

निष्कर्ष: आपकी कंपनी में भी है कोई ऐसा?

तो दोस्तों, अगली बार जब ऑफिस में कोई छोटी सी चीज़ लेकर बड़ा हंगामा करे, तो यह कहानी याद करिए। कहीं ऐसा न हो कि उसकी जिद से कंपनी को लाखों का चूना लग जाए!

क्या आपके ऑफिस में भी ऐसा कोई 'कंट्रोल फ्रीक' है? या आपने भी कभी फ्यूल कार्ड, स्टेशनरी या किसी छोटी सी बात पर बड़ा तमाशा होते देखा है? अपने किस्से कमेंट में जरूर साझा करें – हो सकता है अगली बार आपकी कहानी पर भी चर्चा हो!


मूल रेडिट पोस्ट: Wont give me the card to get fuel? Enjoy the towing bill