ठेकेदारों की नौकरी और ‘दस सेकंड का नोटिस’ – जब बॉस को उन्हीं की भाषा में जवाब मिला
ऑफिस की दुनिया में हर दिन कुछ नया देखने को मिलता है, लेकिन कुछ किस्से ऐसे होते हैं, जिन्हें सुनकर दिल को तसल्ली भी मिलती है और हंसी भी आ जाती है। खासकर जब कोई मामूली सा कर्मचारी अपने बॉस को उन्हीं के “रूल्स” में फंसा दे! आज की कहानी ऐसी ही है, जिसमें एक ठेकेदार ने अपने मैनेजर को ऐसा सबक सिखाया कि पूरा ऑफिस महीनों तक सिर खुजाता रह गया।
“ठेकेदार हैं तो कभी भी निकाल सकते हैं” – ये कैसा कानून?
अगर आप भारत में सरकारी या प्राइवेट दफ्तरों में काम कर चुके हैं, तो ‘ठेकेदार’ या ‘कॉन्ट्रैक्ट वर्कर’ शब्द से भलीभांति परिचित होंगे। पश्चिमी देशों में भी यही हाल है – काम तो पूरा कर्मचारी वाला, लेकिन अधिकार और इज्जत में भारी कटौती! इस कहानी में, एक इंजीनियरिंग टीम थी जिसमें सारे लोग ठेकेदार थे, बस एक मैनेजर परमानेंट था। एक दिन कंपनी ने आदेश दिया – तीन ठेकेदारों को आज ही निकाल दो, बिना किसी पूर्व सूचना के।
अब सोचिए, खुद ठेकेदार टीम लीडर को अपने साथियों को निकालने का हुक्म दे दिया गया! जब उसने और एक और ठेकेदार ने मैनेजर से पूछा कि “कोई नोटिस क्यों नहीं दिया?”, तो जवाब मिला – “इसीलिए तो ठेकेदार रखते हैं, ताकि जब चाहें, एक झटके में निकाल सकें!”
भैया, ये सुनकर तो जैसे हाथों की नसों में बिजली दौड़ गई। सोचिए, कोई आपको आपकी औकात यूं खुलेआम सुना दे – “कभी भी बाहर फेंक सकते हैं!”
पलटवार – जब ठेकेदार ने भी ‘बिना नोटिस’ छोड़ा मैदान
“जैसी करनी, वैसी भरनी” – ये कहावत यहां सच साबित हो गई। जिन ठेकेदारों को निकाला गया, उनके साथी में से एक बहुत तेज़ था। उसने चुपचाप नई नौकरी ढूंढ ली। आखिरी दिन तक किसी को भनक तक नहीं लगने दी। ठीक शाम 5 बजे वो उठा, लैपटॉप और सामान समेटा, सीधा मैनेजर की डेस्क पर पहुंचा – “धन्यवाद, आज मेरा आखिरी दिन है!”
मैनेजर हक्का-बक्का – “अरे ये क्या? नोटिस वगैरह?”
ठेकेदार मुस्कुराकर – “आपने ही तो सिखाया था, ठेकेदार कभी भी जा सकते हैं!”
कसम से, क्या जबरदस्त पलटा मारा! उसके अधूरे काम को समझने में बाकी टीम को महीना लग गया और प्रोजेक्ट पटरी से उतर गया।
कम्युनिटी की प्रतिक्रिया – इज्जत दो, इज्जत लो!
रेडिट पर इस कहानी के नीचे सैकड़ों टिप्पणियाँ आईं, जिनमें से एक बहुत प्यारा संदेश था – “दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो, जैसा अपने लिए चाहते हो।” (हमारे यहां भी तो यही सिखाया जाता है – जैसा बोओगे, वैसा काटोगे!)
एक और पाठक ने इसको और मजेदार अंदाज में कहा – “तलवार से जियोगे, तलवार से मरोगे!” यानी अगर आप दूसरों से बेरुखी से पेश आएंगे, तो वही आपके साथ भी होगा।
भारत में भी ऐसे किस्से खूब होते हैं – अक्सर ठेकेदारों को नौकरी से निकालना बच्चों का खेल समझा जाता है, लेकिन जब वही कर्मचारी बिना नोटिस दिए चले जाते हैं, तो कंपनी वाले अपना सिर पकड़कर बैठ जाते हैं। एक पाठक ने लिखा – “इज्जत दोनों तरफ से चलती है, अगर कंपनी इज्जत नहीं देगी, तो अच्छा कर्मचारी भी साथ नहीं निभाएगा।”
ठेकेदारी और नौकरी का असली सच
कई बार कंपनियाँ सोचती हैं कि ठेकेदार तो सस्ते और आसानी से बदलने लायक हैं। पर ये नहीं समझतीं कि असल में जानकार लोग ही काम को आगे बढ़ाते हैं। जब उन्हीं लोगों को आप ‘डिस्पोज़ेबल’ समझकर ट्रीट करेंगे, तो एक दिन वही आपको बड़ी मुश्किल में डाल सकते हैं।
जैसा कि एक कमेंट में लिखा गया – “ये जो ‘दो हफ्ते का नोटिस’ का रिवाज है, वो बस दिखावे की बात है। कंपनी कभी दो हफ्ते पहले नहीं बताती, तो कर्मचारी क्यों बताए?”
कुछ पाठकों ने अपने अनुभव भी शेयर किए – किसी ने बिना नोटिस दिए नौकरी छोड़ी, तो बॉस ने हाथ-पाँव जोड़ लिए कि “कम से कम एक हफ्ता और रह जाओ, वर्ना मशीन कौन चलाएगा?” लेकिन जवाब वही – “दस साल से आपने बैकअप नहीं बनाया, तो अब मुझसे उम्मीद क्यों?”
भारतीय संदर्भ – ‘मानवता’ और सम्मान की अहमियत
हमारे यहां भी अक्सर ठेकेदारों को दोयम दर्जे का समझा जाता है। सच्चाई ये है कि हर किसी की मेहनत की कदर होनी चाहिए, चाहे वो ठेकेदार हो या स्थायी कर्मचारी। अगर आप अपने कर्मचारियों को सिर्फ ‘यूज़ एंड थ्रो’ समझेंगे, तो एक दिन वो भी आपको उसी अंदाज में अलविदा कह देंगे – बिना कोई नोटिस, बिना कोई एक्स्ट्रा मदद!
तो अगली बार जब ऑफिस में कोई ‘नोटिस पीरियड’ की बात करे, तो ये कहानी जरूर याद रखिएगा – इज्जत दीजिए, इज्जत पाइए। और अगर आप ठेकेदार हैं, तो अपनी अहमियत जरूर समझिए।
आखिर में, आप भी बताइए – क्या आपने कभी बिना नोटिस के नौकरी छोड़ी है या आपको बिना वजह निकाल दिया गया? अपने अनुभव कमेंट में ज़रूर शेयर करें!
मूल रेडिट पोस्ट: My contractor coworker quit with 10 seconds notice after what our manager said about contractors