टिकट दिखाओ, तभी सेवा पाओ!' – आईटी सपोर्ट की असली कहानी
ऑफिसों में आईटी सपोर्ट वालों की जिंदगी सुनने में जितनी आसान लगती है, असलियत में उससे कहीं ज्यादा रंगीन और मजेदार होती है। सोचिए, आप किसी सरकारी दफ्तर के काउंटर पर लाइन में खड़े हैं और अचानक कोई पीछे से आकर कहता है, “भैया, मेरा काम जरा जल्दी कर दो, बस एक मिनट लगेगा!” कुछ ऐसा ही हाल टेक्निकल सपोर्ट टीम के साथ भी होता है, फर्क बस इतना है कि यहां टिकट लाइन लगती है – डिजिटल टिकट!
टिकट का खेल: बिना टिकट न मिलेगा खेल
कहानी की शुरुआत होती है एक सीनियर ऑफिस की रिसेप्शन से, जहां एक महिला कर्मचारी अपनी आईटी समस्या लेकर बैठी थीं – वो भी पूरे नियम से, टिकट डालकर! जैसे ही आईटी सपोर्ट की बुआजी (जिन्होंने ये कहानी Reddit पर साझा की) वहां पहुंचती हैं, दो और एडमिन असिस्टेंट्स लपककर बोल पड़ती हैं – “अरे, आप आ गए! हमें भी आपसे बहुत काम हैं।”
आईटी सपोर्ट बुआजी मुस्कुराकर पूछती हैं – “क्या आपने टिकट लगाया है?” जवाब मिलता है – “अरे, ये सब कौन करता है!” बस यहीं बुआजी ने क्लास लगा दी – “देखिए, वो बैठी हैं जिन्होंने टिकट लगाया है, इसलिए मैं उनकी मदद करने आई हूं।”
काम निपटाकर बुआजी बिना किसी और की तरफ देखे निकल गईं। मन ही मन सोच रही थीं – ‘वाह, क्या सुकून मिला!’
बिना टिकट के काम – जैसे बिना टोकन के मेट्रो में चढ़ना
हमारे देश में भी लोग शॉर्टकट के शौकीन हैं। लाइन तोड़ना, सीधे काउंटर पर जाना, बिना टोकन के मेट्रो में घुसने की कोशिश – सबको लगता है, “भैया, बस एक मिनट का काम है।” लेकिन आईटी सपोर्ट की दुनिया में ये ‘एक मिनट’ अक्सर घंटों का सिरदर्द बन जाता है।
रेडिट पर एक कमेंट करने वाले सज्जन ने मजेदार बात कही – “मैं तब ही लौटूंगा जब अपने सारे टिकट खत्म कर दूं।” दूसरे ने जोड़ा – “अगर टिकट खत्म भी हो जाएं, फिर भी बिना टिकट वाले का नंबर नहीं आएगा। जब तक टिकट नहीं, तब तक इंतजार कीजिए।”
एक और यूज़र ने लिखा – “हर आईटी सपोर्ट वाले की जेब में एक अदृश्य टिकट रहता है – ‘बाकी सब काम पहले निपटाओ, इनका नंबर बाद में!’”
टिकट क्यों ज़रूरी? – मापदंड, जिम्मेदारी और इंसाफ
हमारे यहां अक्सर लोग सोचते हैं कि आईटी वाला तो बैठा ही है, जब चाहे पकड़ लो, पर टिकट सिस्टम सिर्फ सुविधा के लिए नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए भी है। एक कमेंट में कोई कहता है – “हमारी डिपार्टमेंट की फंडिंग टिकट के आंकड़ों से तय होती है। अगर लोग टिकट नहीं डालेंगे, तो हमारा बजट कैसे बनेगा?”
इससे न सिर्फ काम ट्रैक होता है, बल्कि सबको बराबरी का हक मिलता है। सोचिए, अगर कोई बिना टिकट घुस जाए और दूसरों की कतार तोड़ दे, तो बाकी लोग क्या सोचेंगे? एक और कमेंट में किसी ने सही कहा – “अगर इतना जरूरी है, तो टिकट डाल दो, मैं जैसे ही फ्री होता हूं देख लूंगा। वरना आप लाइन में सबसे पीछे हो!”
मजेदार किस्से – “बस दो मिनट का काम है!”
हमारे आईटी सपोर्ट वाले भाई-बहन रोजाना ऐसे दर्जनों किस्से सुनते हैं – “भैया, ये तो बस दो मिनट का काम है!” एक कमेंट ने तो कमाल कर दिया – “अगर वाकई दो मिनट का है, तो टिकट डालने में भी दो मिनट लगेंगे।”
किसी ने बताया – “कोई ऑफिस में आते ही बोलता है – ‘ये मशीन महीनों से खराब है, अब जल्दी ठीक कर दो।’ तो भाई, जब खराब हुई थी तब टिकट क्यों नहीं डाला? अब तो मेरी प्राथमिकता उन्हीं के लिए है जिनके पास टिकट है।”
कुछ दफ्तरों में तो बॉस भी बड़े समझदार होते हैं। जैसे एक कमेंट में लिखा – “हमने पॉलिसी बना दी – बिना टिकट कोई काम नहीं होगा। एक बार फिर भी किसी ने कोशिश की, तो बॉस ने कहा – ‘टिकट नहीं तो काम भी नहीं!’ उसके बाद किसी ने लाइन तोड़ने की कोशिश नहीं की।”
आईटी सपोर्ट का दर्द – सबको खुश रखना आसान नहीं
आईटी सपोर्ट वालों के लिए सबसे मुश्किल काम है – सबको खुश रखना। एक कमेंट में किसी ने दिल की बात कह डाली – “कभी-कभी जिन लोगों से हमारा अच्छा संबंध है, उनका छोटा-मोटा काम कर देते हैं, लेकिन शर्त ये कि बाद में टिकट जरूर डालना पड़ेगा। वरना अगली बार सीधे लाइन में पीछे जाना पड़ेगा।”
कुछ ने ये भी बताया कि ऑफिस असिस्टेंट्स को साथ रखना फायदेमंद भी हो सकता है – कभी-कभी वही लोग चाय-नाश्ते का जुगाड़ करा देते हैं! लेकिन कहानी की बुआजी का कहना है – “अगर किसी के पास कामों की लिस्ट है, तो टिकट डालना ही पड़ेगा। वरना जो इज्जत टिकट वालों को मिलती है, वो आपको नहीं मिलेगी।”
निष्कर्ष – टिकट डालिए, सम्मान पाइए!
तो साथियों, अगली बार जब आईटी वाले को ऑफिस में देखें, तो याद रखिए – “टिकट दिखाओ, तभी सेवा पाओ!” ये नियम सिर्फ आईटी के लिए नहीं, बल्कि हर जगह लागू होता है – अस्पताल, रेलवे, बैंक, सरकारी दफ्तर – बिना टोकन, बिना टिकट, बिना नंबर सब बेकार है।
आपका क्या अनुभव रहा है? कभी किसी सर्विस के लिए टिकट सिस्टम का सामना किया हो? कमेंट में जरूर बताइए! और हां, अगली बार जब आईटी वाले को देखिए, तो मुस्कुराकर कहिए – “टिकट डाल दिया है, अब आपकी सेवा का इंतजार है!”
मूल रेडिट पोस्ट: Ticket, please