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जब IT डिपार्टमेंट की प्रक्रियाओं ने मचाया हड़कंप: एक 'जुगाड़ू' कर्मचारी की कहानी

अराजक आईटी ऑफिस का एनीमे-शैली में चित्रण, प्रक्रिया की चुनौतियों और तकनीकी परियोजनाओं में टीम की घबराहट को दर्शाता है।
इस जीवंत एनीमे-प्रेरित दृश्य में, हम एक आईटी ऑफिस की उन्मत्त ऊर्जा को देखते हैं जो प्रक्रियाओं के बजाय परिणामों से जूझ रहा है। यह चित्रण मेरे सफर का सार है—एक पुनर्गठन की जटिलताओं और आईटी और व्यवसाय के लक्ष्यों को संरेखित करने में आने वाली अप्रत्याशित चुनौतियों का।

ऑफिस की दुनिया में कुछ चीजें तो हर जगह एक जैसी होती हैं—चाहे दिल्ली का सरकारी दफ्तर हो या कोई मल्टीनेशनल कंपनी का चमचमाता ऑफिस। एक तरफ काम करने वाले लोग जो हमेशा परिणाम (results) पर ध्यान देते हैं, तो दूसरी तरफ वो अफसर या मैनेजर जिनका दिल प्रक्रियाओं (processes) पर अटका रहता है। आज की हमारी कहानी Reddit की मशहूर r/MaliciousCompliance कम्युनिटी से आई है, जहां एक समझदार कर्मचारी ने कंपनी की 'प्रक्रियाओं' की धज्जियां उड़ाते हुए सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।

टिकट सिस्टम: काम से ज्यादा जरूरी प्रक्रिया!

अब आप सोचिए, अगर आपके ऑफिस में हर छोटी-बड़ी बात, हर सवाल, हर सुझाव—यहां तक कि "चाय कब मिलेगी?" का जवाब भी—सिर्फ तभी मिलेगा जब आप "टिकट" बना दें! ज़रा सोचिए, कोई सीनियर क्लाइंट, जिसे तुरंत जवाब चाहिए, अगर वो मेल करे और आप कहें—"सर, पहले टिकट बनाइए, फिर बात करेंगे"—तो क्या होगा? यही हाल Reddit पोस्ट के लेखक (u/AlienAnimaReleased) का था।

कंपनी ने उन्हें बिजनेस से IT डिपार्टमेंट में भेज दिया, जहां हर काम बिना टिकट के संभव ही नहीं था। पुराने जमाने के सरकारी दफ्तरों की तरह—"फाइल आगे बढ़ती है, तभी काम होगा!"

जब प्रक्रिया बनी सिरदर्द

कहानी में ट्विस्ट तब आया जब लेखक को कंपनी के सबसे बड़े क्लाइंट के CFO (Chief Financial Officer) का मेल आया। आमतौर पर, वो खुद 2 घंटे में जवाब दे देते थे। लेकिन अब, बॉस की सख्त हिदायत थी—"बिना टिकट कोई काम मत करो।" लिहाजा, उन्होंने बॉस और PM (Project Manager) को CC कर दिया और विनम्रता से कहा—"टिकट बना दीजिए, फिर काम शुरू होगा।"

कुछ दिन बीत गए, CFO ने फिर मेल किया—"हमें शुक्रवार तक जवाब चाहिए।" लेखक ने फिर सबको CC कर जवाब दिया—"माफ़ कीजिए, टिकट बनने का इंतजार कर रहा हूं।"

अब बॉस की हालत छाछ जैसी पतली! खुद ही हर मेल में CC थे, फिर भी पूछ रहे—"तुमने CFO को जवाब क्यों नहीं दिया?" लेखक ने बड़ा ही शातिराना जवाब दिया—
1. आपने ही कहा था बिना टिकट काम मत करना।
2. आप हर मेल में CC हैं।
3. अब PM से पूछिए, टिकट कहां अटका है।

कुछ पल के लिए ऑफिस में ऐसी चुप्पी छा गई, जैसी गर्मियों की दोपहर में बिजली चली जाए। आखिरकार बॉस ने हथियार डाल दिए—"ठीक है, अगली बार अगर कोई बड़ा अधिकारी मेल करे तो जवाब दे देना, बाद में टिकट बना लेना।"

कम्युनिटी का चटपटेदार तड़का

Reddit कम्युनिटी में इस कहानी ने खूब धमाल मचाया। एक यूज़र ने मजाक में कहा, "अगर ऐसी टीम हो तो उसका नाम 'पैनिक एट द सिस्को' (Panic at the Cisco) रख देना चाहिए!" किसी ने तो इसे "Server, she wrote" भी कहा। एक और कमेंट था—"ये मेरी जिंदगी का सबसे गुस्से वाला लाइक है!"

कुछ लोगों ने लिखा कि IT में टिकट सिस्टम इसलिए जरूरी है क्योंकि काम के हिसाब से बोनस-इंक्रीमेंट बँटते हैं। लेकिन, जैसा एक अनुभवी यूज़र ने कहा—"प्रक्रिया तबतक ठीक है, जबतक वो काम में बाधा न डाले।" कई लोग बोले—"हमारे यहां भी यही हाल है—छोटी सी चीज़ के लिए भी हफ्तों का इंतजार!"

एक और मजेदार कमेंट था—"सरकारी दफ्तर में भी फाइलें ऐसे ही घूमती थी, बस अब ऑनलाइन हो गया है।"

नतीजा: प्रक्रिया भी जरूरी, लेकिन जुगाड़ और समझदारी सबसे ऊपर

इस कहानी में सबसे बड़ी सीख ये है कि ऑफिस में प्रक्रिया (process) और परिणाम (results) दोनों का संतुलन जरूरी है। अगर हर चीज़ में कागजी कार्रवाई ही करते रहेंगे, तो जरूरी काम लटक जाएंगे और ग्राहक नाराज होकर निकल लेंगे।

लेखक ने दिखा दिया कि जब "प्रक्रिया" किसी के सिर पर चढ़ जाती है, तो 'जुगाड़' और 'सीधी बात' ही असली समाधान है। अंत में, बॉस मान ही गए—"जरूरी मेल का तुरंत जवाब दो, टिकट बाद में बना लेना।"

जैसा कि एक कम्युनिटी मेंबर ने लिखा—"कभी-कभी नियमों पर चलना ही सबसे बड़ा विरोध होता है!" (इसे अंग्रेजी में कहते हैं—Work to Rule)

आपकी राय क्या है?

क्या आपके ऑफिस में भी ऐसी बेमतलब प्रक्रियाएं हैं? या कभी आपको भी बॉस की 'प्रक्रिया-प्रेम' के कारण परेशानी उठानी पड़ी हो? नीचे कमेंट में जरूर बताइए—शायद आपकी कहानी भी किसी दिन वायरल हो जाए!

और हां, अगली बार जब कोई बॉस बोले—"प्रक्रिया फॉलो करो!" तो उन्हें यह कहानी सुना दीजिएगा। कौन जाने, बुद्धि ठिकाने आ जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: IT wanted process over results. I gave them process — and panic.