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जब 50 डॉलर की शर्त बनी 'पैनी' बदला: ईस्टर एग हंट में साला साहब की छुट्टी!

एनबीए प्लेऑफ पर $50 की शर्त के साथ भाई-भाई के बीच तनावपूर्ण पल, यथार्थवादी शैली में।
एक तनावपूर्ण क्षण जो अद्भुत यथार्थवाद में कैद है, जिसमें साले के बीच $50 की एनबीए प्लेऑफ शर्त की दोस्ताना प्रतिद्वंद्विता को दर्शाया गया है। जैसे-जैसे सीजन आगे बढ़ता है, एक भाई की शर्त के बारे में चिंता बढ़ती है, जो खेल की रोमांचकता और दांव को और बढ़ा देती है।

कभी-कभी परिवार में छोटी-छोटी नोकझोंक और शर्तें इतनी मजेदार मोड़ ले लेती हैं कि पूरी ज़िंदगी याद रहती हैं। खासकर जब बात हो साले-बहनोई की, तो तकरार में भी एक अलग ही स्वाद होता है! आज की हमारी कहानी भी ऐसी ही एक पेटी रिवेंज (छोटी मगर तगड़ी बदला) की है, जिसमें 50 डॉलर की शर्त ने पूरे परिवार को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया।

शर्त की शुरुआत: खेल-खेल में बन गई बात

सब कुछ शुरू हुआ एक साधारण सी शर्त से – जैसे हमारे यहाँ क्रिकेट या कबड्डी पर मूंगफली, समोसे या चाय की शर्त लग जाती है, वैसे ही अमेरिका में साहब ने अपने साले साहब से NBA बास्केटबॉल टीम के प्लेऑफ में पहुंचने पर 50 डॉलर की शर्त लगा ली। अब खेल तो खेल, पर साला साहब तो जैसे इस शर्त को अपनी इज्जत का सवाल मान बैठे।

फरवरी आते-आते, भाईसाहब की बेचैनी बढ़ने लगी। हर मुलाकात पर पैसे की मांग, मानो बहनोई जी फ्री में लोन लेकर भागने वाले हों! बहनोई बोले – "भैया, जब तक टीम ऑफिशियली हार नहीं जाती, पैसे नहीं मिलेंगे," पर साले साहब का शक जाता ही नहीं।

'पैनी' बदला: ईस्टर एग हंट में छुपा खजाना

मार्च आते-आते, टीम की हार तय थी, लेकिन पूरी उम्मीद खत्म नहीं हुई थी। इसी बीच, घर में ईस्टर लंच और बच्चों की एग हंट का प्रोग्राम बन गया – कुछ वैसा ही जैसे होली पर बच्चों की पिचकारी में रंग भरना हो।

यहाँ बहनोई जी का दिमाग़ भी खूब चला। सोचा, जब साले साहब पैसे के पीछे ऐसे भाग रहे हैं, तो क्यों न उन्हें ऐसे दिए जाएँ कि याद रह जाए! बस, बैंक से पूरे 50 डॉलर की एक सेंट की 'पैनी' सिक्के ले आए – पूरे पाँच हज़ार! इन्हें सैकड़ों ईस्टर एग्स में भरना, परिवार के लिए वैसा ही अनुभव रहा जैसे दिवाली पर लड्डूओं में सिक्के छुपाना।

बच्चे-बीवी सब मिलकर अंडों में सिक्के भरने लगे, हँसी-ठिठोली चलती रही – "सोचो, जब साले साहब ढूंढ-ढूंढ के पैसे निकालेंगे, क्या हाल होगा!" यहाँ तक कि अंडे फटने लगे और सिक्के गिरने लगे, पर परिवार का उत्साह कम नहीं हुआ।

बदले की होली: जब पार्टी में छिड़ी 'पैनी' की जंग

पार्टी वाले दिन, बच्चों ने बाकायदा अपने दादी के निर्देश पर एग हंट खेली, लंच हुआ और फिर बहनोई जी ने बच्चों की मदद से सारे 'पैनी' वाले अंडे बगीचे में छुपवा दिए।

अब आया असली मज़ा – जैसे ही साले साहब ने फिर पैसे मांगे, बहनोई बोले, "जाते-जाते दे दूँगा।" बेचारे थोड़े निश्चिंत हुए। फिर सबको बगीचे में ले जाकर एक छोटा सा टोकरी साले साहब के हाथ में दी – "लीजिए, आपके 50 डॉलर... ढूंढिए और मज़े लीजिए!" बच्चों की तो हँसी छूट गई, बड़ों ने भी मज़ा लिया, पर साले साहब का पारा सातवें आसमान पर!

हर अंडा खोलते, सिक्के गिरते, टोकरी छोटी पड़ जाती – और ऊपर से किसी ने वीडियो भी बनाना शुरू कर दिया। एक जगह गुस्से में आकर उन्होंने एक अंडा पड़ोसी की गाड़ी पर फेंक दिया, जो वहीं फूट गया, और फिर तो साले साहब ने टोकरी पटक दी और गाड़ी लेकर निकल लिए।

कम्युनिटी की राय: 'दंब बनी', 'पैनी' रिवेंज और पारिवारिक ठिठोली

रेडिट पर इस किस्से को पढ़कर लोगों ने खूब मज़े लिए। एक यूज़र ने बड़े चटपटे अंदाज़ में लिखा, "कोई तो इस साले साहब को 'डंब बनी' कहता!" (जैसे हमारे यहाँ 'बेवकूफ खरगोश' कह दिया जाता है)।

दूसरे ने अपने पिता का किस्सा सुनाया कि कैसे उन्होंने एक मुसाफिर को 49 डॉलर छोटे-छोटे सिक्कों में लौटा दिए थे, जिससे मुसाफिर दोबारा बड़ी रकम लेकर बस में नहीं चढ़ा। एक और टिप्पणी आई – "ऐसा लगता है जैसे साले साहब को पैसे लेने की जल्दी थी, लेकिन अगर खुद देना पड़े तो शायद महीनों टालते।"

कुछ लोगों ने पूछा – "आखिर में टीम जीती या हारी?" जिस पर लेखक ने मज़े से बताया – "टीम इतनी बुरी हारी कि भरोसा ही नहीं हो रहा था!"

सबक और हँसी: शर्त और रिश्तों का तड़का

इस मजेदार घटना से एक बात तो साफ है – परिवार में छोटी-छोटी शरारतें और पेटी रिवेंज (छोटी-बड़ी बदलेबाज़ी) रिश्ता मजबूत भी करती हैं और यादगार भी। अब भले ही सात साल बाद भी इस किस्से का जिक्र किसी ने न किया हो, लेकिन बहनोई और उनके बच्चे हर ईस्टर पर इस घटना को याद कर हँसते हैं।

वैसे, हमारे यहाँ भी ऐसा अक्सर होता है – कोई शर्त हार जाए तो कभी चाय-पकोड़े खिलाने की शर्त, कभी होली के रंग में बदला, कभी शादी-ब्याह के जूते छुपाई की रस्म! असल मज़ा तो इसी में है कि रिश्तों में मसालेदार यादें बनी रहें।

आपकी क्या राय है?

क्या आपको भी कभी किसी दोस्त या रिश्तेदार ने ऐसे अनोखे अंदाज़ में शर्त का पैसा चुकाया? या आपने किसी को पेटी रिवेंज दी हो? अपने मजेदार किस्से नीचे कमेंट में जरूर बताइए – कौन जाने, अगली बार आपका किस्सा यहाँ छप जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: Try to collect a bet before it’s due! Happy Hunting!