विषय पर बढ़ें

जब होटल वाले ने ग्राहक को तंग किया, तो मिला ‘वेंडिंग मशीन’ वाला बदला!

मियामी बीच में सम्मेलन का दृश्य, गर्मी में शामिल होने वाले लोगों के साथ, पीछे पल्म के पेड़ हैं।
मियामी बीच में जुलाई की भयानक गर्मी के दौरान एक जीवंत सम्मेलन का चित्रण, जहां उपस्थित लोग लहराते पल्म के पेड़ों के नीचे मिलते हैं, अविस्मरणीय मुठभेड़ों और अप्रत्याशित परिणामों के लिए मंच तैयार करते हैं।

अगर आप कभी किसी होटल में रुके हैं, तो आपको फ्रंट डेस्क पर खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करने का तजुर्बा जरूर होगा। लेकिन सोचिए, अगर इसी दौरान आपके सामने किसी मेहमान के साथ होटल कर्मचारी बुरा व्यवहार करे तो? आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें एक मामूली-सी हरकत ने होटल वालों के लिए सिरदर्द खड़ा कर दिया!

मियामी की गर्मी, होटल की बेरुखी और एक छोटी सी 'चोरी'

तीस साल पहले, एक नए-नवेले ग्रेजुएट साहब नौकरी की तलाश में अमेरिका के मियामी बीच पहुंचे। जुलाई का महीना, ऊपर से मियामी की उमस भरी गर्मी—मानो आग बरस रही हो! ऐसे में, एक छोटे होटल में उनका ठिकाना बना। होटल तो वैसे भी हमारे यहां के छोटे शहरों के 'लॉज' जैसा था—जहां सुविधाएं कम और शिकायतें ज्यादा मिलती हैं।

जैसे-तैसे कॉन्फ्रेंस खत्म हुई, तो साहब अपनी मंगेतर के साथ चेकआउट करने पहुंचे। वहां देखा, होटल का रिसेप्शनिस्ट तो वेंडिंग मशीन (वो स्नैक्स वाली मशीन, जिसमें चिप्स-कोल्ड ड्रिंक के लिए पैसे डालने पड़ते हैं) में सामान भर रहा था। इसी बीच, एक महिला (शायद लाइब्रेरियन) कर्मचारी से अपनी शिकायत कर रही थी कि बारिश के कारण उसके कमरे की छत टपक गई थी और सारे कपड़े खराब हो गए। लेकिन रिसेप्शनिस्ट—जैसे हमारे यहां के कई बाबू—बिल्कुल बेरुखा! न माफी, न समाधान, बस 'आज के बाद तो दोबारा दिखेगी नहीं' वाली सोच।

'छोटी बदला' की बड़ी कहानी: चुपचाप मिली सज़ा

अब हुआ ये कि जैसे ही रिसेप्शनिस्ट, महिला को लेकर ऑफिस के अंदर चला गया, वो वेंडिंग मशीन की चाबी लॉक में ही छोड़ गया। साहब की नजर पड़ी, तो मन में खयाल आया—'जो दूसरों को परेशान करता है, उसे भी तो सबक मिलना चाहिए!' और बिना ज्यादा सोचे, उन्होंने वो चाबियों का गुच्छा निकालकर जेब में डाल लिया। एयरपोर्ट पहुंचकर सीधे कूड़ेदान के हवाले कर दिया।

अब सोचिए, होटल वालों का क्या हाल हुआ होगा? वेंडिंग मशीन की चाबी खो जाए, तो न उसमें सामान भर सकते, न उसे ताला मार सकते। ऊपर से, कई चाबियां एक ही गुच्छे में थी—यानि शायद सारी चाबियां गईं! होटल को न सिर्फ लॉक्समिथ बुलाना पड़ा होगा, बल्कि जब तक नयी चाबियां न बनतीं, वेंडिंग मशीन से कमाई भी ठप।

'पेटी रिवेंज' और इंटरनेट के मज़ेदार कमेंट्स

रेडिट पर इस कहानी ने धूम मचा दी। एक कमेंट करने वाले भाई ने तो अपने बिल्डिंग के वॉचमैन की कहानी सुना डाली—कैसे एक बार ट्रक वालों की बद्तमीज़ी का बदला उन्होंने चाबी के गुच्छे को झाड़ियों में फेंककर लिया। उनकी कहानी में भी सीसीटीवी, पुलिस और गुस्साए ट्रक मालिक का तड़का था—बिल्कुल किसी बॉलीवुड फिल्म जैसा ट्विस्ट!

दूसरे पाठक कहते हैं—"कभी-कभी छोटी सी बदमाशी भी जिंदगी का मजा बढ़ा देती है।" वहीं, कुछ ने ये भी जोड़ा कि "ज्यादातर वेंडिंग मशीन की चाबियां एक जैसी होती हैं, होटल वाले ऑफिस से दूसरी ले आते।" लेकिन फिर भी, इतनी टेंशन तो हुई ही होगी!

एक मज़ेदार कमेंट था—"ये तो 'स्नैकडाऊन' हो गया!" (मतलब स्नैक और स्मैकडाउन का मिलाजुला मजाक)। कुछ पाठकों ने ये भी कहा कि 'पेटी रिवेंज' यानी छोटी-छोटी भड़ास निकालना, कभी-कभी दिल को बड़ा सुकून देता है। हमारे यहां तो लोग ऐसे मौके पर कहते—'अरे, ये तो बिल्कुल चुपके से झाड़ू मार गया!'

क्या सही, क्या गलत? नैतिकता की बहस

अब सवाल ये उठता है—क्या इस तरह किसी की प्रॉपर्टी (यानी चाबी) फेंक देना सही है? कई पाठकों ने कहा, "सही किया! होटल वाले को सबक मिलना चाहिए।" वहीं, कुछ ने टोका—"भाई, इतना भी मत करो, सीधे-सीधे शिकायत कर देते, या मैनेजर से बात कर लेते।"

हमारे समाज में भी ऐसे मौके आते हैं, जब कोई दुकानदार या बाबू मनमानी करता है, और ग्राहक को उसकी बात सुननी पड़ती है। कुछ लोग गुस्से में बहस करते हैं, तो कुछ 'जुगाड़' से बदला ले लेते हैं। यहाँ भी, लेखक ने सीधा टकराव नहीं किया, बल्कि एक छोटी-सी चालाकी से होटल वालों को उनकी भूल का अहसास कराया।

नतीजा: छोटी-सी हरकत, बड़ा सबक

इस कहानी में किसी का बहुत बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन होटल वालों को जरूर समझ आ गया होगा कि 'कस्टमर भगवान है' वाली बात सिर्फ बोलने के लिए नहीं, बल्कि मानने के लिए है।

और जो महिला अपने गीले कपड़ों के लिए लड़ रही थी, शायद उसे ये कभी पता न चले कि उसके दुख का हल न सही, लेकिन होटल वालों की परेशानी जरूर बढ़ गई!

अंत में, यही कहा जा सकता है—कभी-कभी जिंदगी में छोटे-छोटे 'पेटी रिवेंज' बड़े-बड़ों की नींद उड़ा देते हैं। तो अगली बार जब कोई आपको तंग करे, हो सकता है आपके पास भी कोई ऐसी 'चाबी' हो, जिससे आप चुपचाप बदला ले सकें!

आपका क्या कहना है—क्या आप भी कभी किसी को ऐसे चुपचाप सबक सिखा चुके हैं? या फिर आपका मानना है कि ये तरीका गलत है? कमेंट में जरूर बताइएगा, क्योंकि हर कहानी के दो पहलू होते हैं, और असली मजा तो बहस में ही है!


मूल रेडिट पोस्ट: You want to treat my fellow convention-attendee like garbage? OK...there will be consequences.