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जब होटल का मेहमान बना 'मुगल आक्रमणकारी': एक रात की हैरतअंगेज़ दास्तान

कॉलेज फुटबॉल खेल रात से पहले उत्साहित मेहमानों से भरा होटल लॉबी।
हमारे जीवंत होटल लॉबी का एक सिनेमाई दृश्य, जहाँ उत्साही मेहमान एक अविस्मरणीय कॉलेज फुटबॉल वीकेंड के लिए तैयार हो रहे हैं। सभी के बीच उत्साह की लहर है, जैसे वे बड़े खेल रात की तैयारी कर रहे हैं!

होटल की रौनक़ और शांति में खलल डालने वाले मेहमानों की कहानियाँ अक्सर सुनने को मिलती हैं। लेकिन कभी-कभी कुछ किस्से इतने अजीब होते हैं कि लगता है जैसे किसी फ़िल्म की स्क्रिप्ट हो। सोचिए, एक शांत रात, होटल के गेट पर अचानक शोर मचता है और कोई मेहमान सामान की ट्रॉली को रामबाण की तरह इस्तेमाल कर, दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश करता है! जी हाँ, आज की कहानी कुछ ऐसी ही है – होटल में घुसपैठ की एक हास्य-त्रासदी, जिसमें शराब, दोस्ती और बर्बादी का तड़का भी लगा है।

फुटबॉल मैच, होटल और 'मिलिट्री' अंदाज़ वाला नशेड़ी

जिस शहर की बात हो रही है, वहां कॉलेज फुटबॉल का मैच हो तो पूरी रात होटलें गुलजार रहती हैं। ऐसी ही एक रात, होटल पूरी तरह बुक थी और रिसेप्शन पर तैनात कर्मचारी (जिसे वहाँ 'नाइट ऑडिटर' कहते हैं) अपनी ड्यूटी निभा रहा था। उसकी जिम्मेदारी थी कि होटल के गेराज में खड़े गाड़ियों की जांच करे – कहीं कोई बाहरी तो नहीं!

रात के दो बज रहे थे, और भाईसाहब जब ऊपर लौटे तो अचानक लिफ्ट के दरवाज़े खुलने से पहले ही 'ठक-ठक-ठक' की जबरदस्त आवाज़ आई। पहले तो लगा, कोई शराबी मेहमान अपनी चाबी भूल गया होगा। लेकिन नज़ारा देखकर तो होश ही उड़ गए – एक साहब सामान की ट्रॉली को दरवाजे पर पटक-पटककर, जैसे रामायण के मेघनाथ की सेना दरवाज़ा तोड़ रही हो, भीतर घुसने की कोशिश कर रहे थे। दरवाज़े की हालत ऐसी, कि काँच चकनाचूर, रोलर्स ज़मीन पर बिखरे – पूरा दरवाज़ा एक फुट चौड़ा हो चुका!

"मैंने कुछ गलत नहीं किया!", और दोस्ती की असली परीक्षा

जब रिसेप्शनिस्ट ने साहब को टोका तो झल्लाकर बोले, "मैं पूरी रात इंतज़ार कर रहा था, मेरा कमरा है, मैंने कुछ गलत नहीं किया!" बाद में CCTV फुटेज देखने पर पता चला, जनाब ने सिर्फ़ 6 मिनट ही इंतज़ार किया था! पुलिस आई, जनाब को गिरफ्तार किया गया, और जो क्रेडिट कार्ड होटल के रिकॉर्ड में था – उस पर ₹1.5 लाख (लगभग $2000) का बिल ठोक दिया गया।

मज़े की बात ये रही कि कमरे में उनके दोस्त भी ठहरे थे, जिनमें से एक ने 'इन्सिडेंटल चार्ज' के लिए अपना कार्ड जमा किया था। अब नुकसान का पैसा तो उसी दोस्त के खाते से कट गया! बेचारे दोस्त – वो तो खुद उस रात बड़े शरीफ बनकर लौटे थे, और सुबह होटल मैनेजर से गुहार लगाई कि हमें अलग कमरा दे दो, बस ये साहब दोबारा लौटें ना।

यहाँ पर एक पाठक ने बढ़िया टिप्पणी की – "अपने दोस्तों को संभालो, या फिर ऐसे लोगों को घर ही छोड़ दो!" सच है, जब दोस्ती की असली परीक्षा आती है, तो पता चलता है कौन किसका कितना सच्चा है!

होटल की दुनिया के और किस्से: जब जश्न मना 'पूल' बना जंग का मैदान

इतना ही नहीं, कम्युनिटी में एक और सदस्य ने अपने अनुभव साझा किए – 90 के दशक में उनके होटल के छत पर स्विमिंग पूल था, जिसमें रात 11 बजे के बाद एंट्री बंद हो जाती थी। एक बार चार लोगों का ग्रुप जिद पर उतर आया और दरवाज़ा तोड़कर, शराब लेकर अंदर झूमने लगे। नशे में एक महिला का पैर कट गया और खून से पूरे पूल एरिया में 'तौलिया पैरों' के निशान बन गए। पुलिस आई, सबको निकाल दिया गया, और कंपनी के खाते में ₹3 लाख का बिल भेजा गया!

सबसे मज़ेदार बात – अगली सुबह वही महिला, पैर पर पट्टी बांधकर, नया रूम कार्ड माँगने आ गई, उसे पता ही नहीं था कि उसे होटल से निकाल दिया गया है। लगता है, शराब और मासूमियत का मेल बड़ा खतरनाक होता है!

भारतीय संदर्भ में: होटल स्टाफ की जद्दोजहद और मेहमानों की हरकतें

हमारे यहाँ भी शादी-ब्याह या त्योहारों के सीजन में होटल स्टाफ को ऐसे 'महमूदी' मेहमान खूब मिलते हैं, जो कभी दरवाज़ा तोड़ने पर उतर आते हैं तो कभी सुबह चार बजे पोहे की फरमाइश कर देते हैं। कई बार तो मेहमान कह देते हैं, "ग्राहक भगवान होता है", लेकिन भगवान बनने के चक्कर में अगर होटल का दरवाज़ा ही तोड़ दें, तो भगवान को भी पुलिस पकड़ सकती है!

एक और पाठक ने बड़ी शानदार बात कही – "अगर आपके दोस्त ऐसी हरकतें करते हैं, तो उनके लिए आपको ही जवाबदेह होना पड़ता है।" पश्चिमी देशों में तो कई बार कंपनी की तरफ से बुक किए गए कमरों में ऐसी हरकतें हो जाएं, तो नौकरी भी चली जाती है! और सोचिए, अगर किसी ने दोस्त की जगह अपनी सीजन टिकट गंवा दी, वो भी ताउम्र के लिए – तो दोस्ती की कसम खाने वाले भी दोबारा सोचेंगे!

निष्कर्ष: होटल की रातें, दोस्ती और 'रामबाण' मेहमान

तो भैया, अगली बार अगर आप किसी होटल में जाएँ और देर रात लौटें, तो दरवाज़ा खुलवाने के लिए 'रामबाण' या 'मुगल आक्रमण' का सहारा मत लीजिए। होटल स्टाफ भी इंसान है, और दोस्ती का असली मतलब है – जिम्मेदारी निभाना, न कि मुसीबत मोल लेना।

क्या आपके साथ भी कभी होटल में कोई मजेदार या अजीब घटना घटी है? अपनी कहानी नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें और बताइए, सबसे 'क्रेज़ी' मेहमान आपने कब देखे हैं!


मूल रेडिट पोस्ट: When a guest wants to siege the hotel