जब होटल के मेहमान ने शिकायत की धमकी दी, रिसेप्शनिस्ट ने कहा – “कृपया कॉर्पोरेट को कॉल करें!”
होटल के रिसेप्शन पर काम करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। रोज़ाना नए-नए लोग, उनकी अनोखी डिमांड्स और कभी-कभी ऐसी जिद, जिसे देखकर आप सोचने लगते हैं – "भैया, ये क्या ही देखना पड़ रहा है!" आज हम ऐसी ही एक घटना की कहानी सुनाएंगे, जिसमें एक मेहमान अपने ही ब्रांड के बारे में इतनी गलतफहमी में था कि रिसेप्शनिस्ट को कहना पड़ा – "कृपया, कॉर्पोरेट को कॉल कीजिए!"
होटल के काउंटर की रोज़मर्रा की चुनौतियाँ
होटल रिसेप्शन पर काम करने वाले हर शख्स को मालूम है कि हर मेहमान अपने आप को वीआईपी समझता है। 'मैं तो हर साल यहाँ आता हूँ', 'मुझे सब पता है', या फिर 'मेरा रिवॉर्ड पॉइंट जोड़ना न भूलना' — ये डायलॉग्स आम हैं। लेकिन, जब खुद मेहमान अपने ब्रांड और रिवॉर्ड प्रोग्राम में कन्फ्यूजन कर बैठे, तब क्या हो?
एक दिन एक मेहमान चेक-इन के लिए आया। रिसेप्शनिस्ट ने अभी सवाल भी नहीं पूछा था कि जनाब ने अपने मोबाइल पर नंबर दिखा दिया – 'मेरा नंबर ऐड है ना?' रिसेप्शनिस्ट ने देखा, नंबर सर्च किया, पर मिला ही नहीं। तब पता चला, नंबर तो किसी और होटल ब्रांड का था। रिसेप्शनिस्ट ने बड़े शालीन अंदाज में समझाया, "सर, यहाँ हमें BonV नंबर चाहिए, न कि Hhon नंबर।"
बस फिर क्या था! मेहमान का पारा सातवें आसमान पर – "तुम्हें कुछ पता भी है? ये Share a ton, Shil ton की प्रॉपर्टी है, न कि Smarri Ott की!" रिसेप्शनिस्ट ने पीछे लगे बोर्ड और की-पैकेट दिखाए – "सर, देखिए यहाँ साफ लिखा है – Smarri Ott।" मगर मेहमान को तो अपनी ही बात पर भरोसा था। बोले, "गलती सुधारो, नहीं तो मैं कॉर्पोरेट को शिकायत करूँगा!"
"शिकायत कर दो… प्लीज़!" – जब धैर्य की सीमा टूटे
अब सोचिए, जिस पर शिकायत की धमकी दी जा रही है, वही कहे – "सर, प्लीज़! मैं तो खुद चाहता हूँ आप Shil ton कॉर्पोरेट को फोन करें और बताएं कि हम Smarri Ott होटल हैं!" – तो कैसा दृश्य बनेगा! यही तो हुआ।
ऐसे मेहमान, जो अति आत्मविश्वास में गलत जानकारी ले आते हैं, हर काउंटर पर मिल जाते हैं। एक कमेंट करने वाले ने लिखा, "ऐसे लोग सबसे मुश्किल होते हैं – न खुद सीखना चाहते हैं, न दूसरों की सुनते हैं।" किसी ने तो यहाँ तक कह दिया, "मानव मूर्खता की ताकत को कभी कम मत समझो!" (जो कि रॉबर्ट हेनलिन के मशहूर कथन की याद दिलाता है।)
कई बार लोग सिर्फ अपनी गलती मानने से बचने के लिए बहस करते हैं। एक और पाठक ने कहा, "लोग तब तक बहस करते रहेंगे, जब तक उनकी दो बची हुई ब्रेन सेल्स आपस में लड़ती रहें!"
‘ब्रांड’ का झोल और भारतीय संदर्भ
अगर आप सोच रहे हैं, ये सब सिर्फ विदेश में होता है, तो ज़रा सोचिए – आपने खुद कितनी बार किसी रेस्टोरेंट में जाकर गलती से दूसरा ब्रांड ऑर्डर कर दिया है? जैसे, डोमिनोज़ में जाकर पिज़्ज़ा हट की डील मांगना, या हल्दीराम में जाकर बिकानेरवाला के समोसे की फरमाइश करना। लेकिन अगर स्टाफ आपको समझाए, तो आप झगड़ने लगेंगे या मुस्कुरा कर ‘सॉरी’ बोल देंगे?
कई पाठकों ने अपने अनुभव शेयर किए कि कैसे मेहमान बड़बड़ाते रहते हैं, "मुझे तो यहाँ फोर्ड की कार मिलनी चाहिए थी!" या "पिज़्ज़ा हट में क्वार्टर पाउंडर क्यों नहीं है?" असल में, ब्रांड की पहचान और लॉयल्टी के नाम पर लोग अक्सर ऐसी भूल कर बैठते हैं – और अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होते।
शिकायत का डर या समाधान का रास्ता?
होटल की दुनिया में "मैं कॉर्पोरेट को फोन कर दूँगा!" एक आम धमकी है। लेकिन जिन लोगों ने होटल में काम किया है, वे जानते हैं – कई बार यही कंप्लेंट्स मैनेजमेंट को जगाने का तरीका बन जाती हैं। एक पाठक ने बताया, "हम अपने मेहमानों से खुद कहते थे – सर, सर्वे में ज़रूर लिखिए, कॉर्पोरेट को कॉल कीजिए, तभी ऊपर वाले ध्यान देंगे!"
ज़रा सोचिए, जब रिसेप्शनिस्ट खुद कहे – "ये लीजिए मेरा नाम, फोन नंबर, पूरा विवरण – शिकायत ज़रूर करिए!" तो सामने वाला भी हक्का-बक्का रह जाता है। कई बार तो ऐसे ‘शिकायत प्रेमी’ बाहर निकलते ही भूल जाते हैं कि क्या हुआ था।
निष्कर्ष: ग्राहक भगवान है, पर भगवान भी गलत हो सकता है!
हमारे समाज में कहते हैं – "ग्राहक भगवान है।" पर भगवान भी कभी-कभी गलत हो सकता है, और तब ज़रूरत होती है थोड़ी विनम्रता, थोड़े ह्यूमर और ढेर सारे धैर्य की। होटल रिसेप्शनिस्ट की कहानी यही सिखाती है – हर बहस जीतने की ज़रूरत नहीं, कभी-कभी मुस्कुरा कर कह देना चाहिए – "सर, आप सही हैं, पर कॉर्पोरेट को कॉल ज़रूर करिए!"
दोस्तों, क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई मजेदार वाकया हुआ है? क्या आपने कभी किसी काउंटर पर अपनी ही गलती पर बहस की है? अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें।
आखिर में, याद रखिए – ब्रांड कोई भी हो, सम्मान और समझदारी सबसे बड़ा रिवॉर्ड है!
मूल रेडिट पोस्ट: Call corporate on me. Please!