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जब सहकर्मी को सबक सिखाने के लिए पेट की ‘गैस’ बनी हथियार

ऑफिस या रेस्टोरेंट में काम करते हुए सहकर्मी से उलझना कौन नहीं चाहता! मगर कभी-कभी दिमाग से ज्यादा पेट की गैस काम आ जाती है। आज की कहानी है एक ऐसी होस्टेस की, जिसने अपने घमंडी सहकर्मी को सबक सिखाने के लिए ऐसा तरीका अपनाया, जिसे सुनकर आप भी हँसे बिना नहीं रह पाएँगे।

जब “मैक” बना पेट की गैस का शिकार

कहानी एक बड़े से तीन मंज़िला रेस्टोरेंट की है, जहाँ रोज़ लोगों की भीड़ लगी रहती थी। यहाँ एक बारटेंडर था – मैक! अब हर दफ्तर में एक ऐसा सहकर्मी होता ही है, जो खुद को सबसे होशियार समझता है, और बाकियों को ज्ञान देता रहता है। मैक की भी यही फितरत थी – उसे अपने सेक्शन की सीटिंग को ‘प्राइम’ बताने का इतना शौक था कि हर शिफ्ट से पहले होस्टेस को लेक्चर पिलाता, “जो सबसे अमीर लगते हैं, उन्हें मेरी टेबल पर ही बिठाओ। बाकी सब कहीं और भेजो।” अब बताइए, क्या किसी के कपड़े देखकर उसकी जेब का अंदाज़ा लगाया जा सकता है?

हमारी होस्टेस बहन भी कम नहीं थी। उसने हर बार मैक को हाँ में हाँ मिलाई – “हाँ, ठीक है मैक,” – और फिर लाइन में लगे लोगों को जैसे बैठे वैसे बिठा देती थी। आखिर, इतनी भीड़ में कौन इतना टाइम लगाए! लेकिन मैक को यह बात बहुत बुरी लगती थी। एक बार तो जब कुछ बूढ़ी महिलाएँ उसके सेक्शन में बर्थडे मनाने आईं और सिर्फ खाने का ऑर्डर देकर बिना ड्रिंक्स के चली गईं, तो मैक गुस्से से फट पड़ा – “तुम्हें ये नहीं समझना चाहिए था कि ये लोग पैसे नहीं खर्चेंगी?” अब भला ये भी कोई बात हुई!

जब ‘पेट’ ने दिया दिमाग से बड़ा जवाब

अब कहते हैं न – हर जले पर नमक छिड़कने का अपना ही मज़ा है! एक दिन हमारी होस्टेस के पेट में अजीब सी हलचल थी, कुछ वैसा ही जैसे दिल्ली की सर्दियों में गैस हीटर जलाते वक्त होती है। तभी उसके दिमाग में एक शैतानी आइडिया आया। मैक बार के पीछे काँच धो रहा था और बार के सामने दो सुंदर लड़कियाँ बैठी थीं। होस्टेस बोली, “क्यों न आज मैक की मदद करते-करते एक ‘गैसीला’ तोहफा दे दिया जाए?”

वो चुपचाप बार के पीछे गई, और जैसे ही मैक उसके पीछे कॉकटेल शेक कर रहा था, उसने पेट में छुपी सारी ‘रासायनिक शक्ति’ झोंक दी। मैक के चेहरे की हालत ऐसी हो गई जैसे किसी ने अमरूद के पेड़ के नीचे बम फोड़ दिया हो! बेचारा मैक, लड़कियों के सामने शक्ल संभालने की कोशिश करता रहा, लेकिन उसकी सारी स्मार्टनेस हवा हो गई – और वो भी ‘गंदी’ हवा में!

एक पाठक ने बड़ी मजेदार बात लिखी – “मैक तो तुम्हें सीटिंग की ट्रेनिंग दे रहा था, और तुमने उसको गैस की ट्रेनिंग दे दी! यह तो असली रेस्टोरेंट कर्मा है।” एक और कमेंट था – “कई बार सबसे ठोस बदला गैस के रूप में ही मिलता है!” इस पर एक पाठक ने चुटकी ली – “लेकिन ध्यान रखना, जब गैस बहे, तो मासूमों को न लगे!” क्या खूब कहा!

पेटी बदले की क्रांति — फार्ट की राजनीति और साजिशें

ये ‘गैसीली’ जीत इतनी मजेदार थी कि हमारी होस्टेस ने इसे अपनी आदत बना लिया। अब जब भी पेट में हलचल होती, वो ‘मैक’ की ओर बढ़ जाती। एक दिन तो उसने प्रोटीन से भरा हरा स्मूदी पीकर अपनी ‘ताकत’ और बढ़ा ली। नतीजा यह हुआ कि मैक बार के नीचे की नाली और फ्रिज में दूध के गिरने की बदबू ढूंढता रहा, लेकिन असली ‘बॉम्ब’ तो होस्टेस के पेट से आया था! कमेंट्स में एक पाठक ने तो सलाह दे डाली – “एक दिन उबली हुई गोभी या ब्रॉकली खाकर देखो, फिर देखो बार में कैसे बम गिरते हैं!”

कई पाठकों ने अपनी-अपनी ‘गैसी’ घटनाएँ भी साझा कीं। किसी ने ऑफिस में दोस्त को डेस्क के पीछे फंसा कर सबको भागने पर मजबूर कर दिया, तो किसी ने ट्रक में बैठकर गैस युद्ध लड़ लिया। एक पाठक ने मजाक में लिखा, “मैक-डस्टिंग तो असली पेटी बदला है!” एक और पाठक ने तो यहाँ तक कहा, “इस कहानी को पढ़कर इतनी हँसी आई कि आँसू आ गए, बदला भी और मजा भी।”

गैस, हँसी और ऑफिस की राजनीति: क्या हमने कुछ सीखा?

पश्चिमी देशों में भले ही लोग फार्ट की बातों पर खुलकर हँसते हैं, लेकिन भारत में तो इसे ‘शरम’ से जोड़ दिया जाता है। लेकिन सच्चाई यही है – हर ऑफिस, हर गाँव, हर मोहल्ला, हर घर में एक ‘मैक’ ज़रूर होता है, जो खुद को बड़ा समझता है। और कभी-कभी, उसका घमंड तोड़ने के लिए न कोई भाषण काम आता है, न डांट... काम आती है तो बस पेट की एक हल्की सी ‘धमाकेदार’ हवा!

कई पाठकों ने यही बात कही – “कभी-कभी सबसे अच्छा बदला वही होता है, जो हवा में उड़ जाए, लेकिन जिसे महसूस हर कोई करे!” और एक पाठक ने तो चुटकी ली, “मैक, तुम समझदार फेला बनना चाहते थे, लेकिन असल में तो फार्ट स्मेला बन गए!”

निष्कर्ष: आपकी गैस की कहानी क्या है?

तो साथियों, अगली बार जब आपका कोई सहकर्मी आपको तंग करे, या दफ्तर में कोई आपको हर समय नीचा दिखाने की कोशिश करे, तो दिमाग के साथ-साथ पेट पर भी भरोसा रखिए! कौन जाने, आपके पास भी कोई ‘गैसीला’ बदला छुपा हो!

अगर आपके पास भी ऐसी कोई मजेदार घटना है – चाहे ऑफिस की हो, स्कूल की या घर की – तो कमेंट में जरूर लिखिए। कौन जाने, आपकी कहानी भी किसी दिन ‘गैस’ की तरह वायरल हो जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: Farted on my stupid coworker