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जब स्लो लैपटॉप बना कंसल्टेंट्स की कॉफी ब्रेक का बहाना: ऑफिस राजनीति की मज़ेदार कहानी

आजकल के डिजिटल ज़माने में हर ऑफिस वाले का सपना होता है – तेज़ लैपटॉप, फास्ट इंटरनेट और बिना रुके काम। पर सोचिए, अगर आपको जानबूझकर स्लो लैपटॉप मिल जाए और ऊपर से उम्मीद की जाए कि आप रॉकेट की स्पीड से काम करो! यही हुआ एक फार्मा कंपनी के कंसल्टेंट्स के साथ, जिनकी कहानी Reddit पर खूब वायरल हो रही है। भाई, यहाँ तो "काम के बंदर को छड़ी भी ढंग की नहीं दी" वाली कहावत एकदम फिट बैठती है!

कंसल्टेंट्स का दर्द: स्लो लैपटॉप, तेज़ उम्मीदें

कहानी शुरू होती है एक बड़ी फार्मा कंपनी से, जहाँ पर कंसल्टेंट्स घर से काम कर रहे थे—यानि वर्क फ्रॉम होम का मज़ा। दिखने में तो सब बढ़िया था—कंपनी की संस्कृति अच्छी, वहाँ के लोग दोस्ताना, सब मिलजुल कर काम करते थे। लेकिन असली पंगा था लैपटॉप्स को लेकर!

कंपनी के रेगुलर एम्प्लॉयीज़ यानी स्थायी कर्मचारी, एकदम झकास, हाई-स्पीड लैपटॉप पे काम कर रहे थे। पर कंसल्टेंट्स? भाई, उनके हिस्से आईं पुरानी, थकी हुई मशीनें, जिनमें भारी-भरकम सॉफ्टवेयर चलाना पड़ता था। जैसे किसी को हल चलाने भेजो और बैल की जगह बिल्ली पकड़ाओ!

कुल मिलाकर, हर बार कोड में मामूली बदलाव के लिए लोकल सर्वर और कोड को रीस्टार्ट करने में 10-10 मिनट लग जाते थे, जबकि एम्प्लॉयीज़ के लिए यही काम 3 मिनट में हो जाता। सोचिए, दिनभर में कितनी बार ऐसा करना पड़ता होगा!

कंपनी की "पैसे बचाओ अभियान" ने काम का कबाड़ा कर दिया

कंसल्टेंट्स और उनके टीम लीड्स ने मैनेजमेंट को समझाया — "अगर हमें अच्छे लैपटॉप मिलें तो काम जल्दी होगा, बिल कम लगेगा और प्रोजेक्ट टाइम पर होगा।" लेकिन भाई, यहाँ तो "दाने-दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम" की तर्ज़ पर, फाइनेंस टीम यानी "दाल के दीवाने" (bean counters) ने साफ़ मना कर दिया — "कंसल्टेंट्स को हाई-एंड लैपटॉप? नामुमकिन!"

यहाँ एक कमेंट करने वाले ने बड़े मज़ेदार अंदाज़ में कहा, "अगर स्लो लैपटॉप पर रेसिंग के स्टिकर चिपका देते तो शायद डायरेक्टर्स वो ले लेते—क्योंकि दिखने में तेज़ लगते!" एक और ने चुटकी ली, "जैसे कार में स्पीड बढ़ाने के लिए फालतू के मफलर लगा देते हैं, वैसे लैपटॉप पर भी कुछ जुगाड़ कर लो!"

कॉफी ब्रेक का असली मज़ा: स्लो प्रोसेसिंग = लंबी छुट्टी!

अब जब मैनेजमेंट नहीं मानी, तो कंसल्टेंट्स ने भी सोचा—"जैसी करनी वैसी भरनी।" उन्होंने जानबूझकर हर छोटे बदलाव के बाद कोड री-कम्पाइल करना शुरू कर दिया, वो भी बार-बार। और जब भी कोई बिज़नेस टीम वाला पूछता, स्क्रीनशेयर पर लाइव दिखाया जाता—"देखो, कितनी देर लग रही है!"

असल में, जितना टाइम कम्पाइलिंग में लगता, उतना वक्त ये लोग चाय-कॉफी पीते, घर के काम निपटाते। एक कमेंट में किसी ने हंसी-मज़ाक में बोला, "भाई, ये तो ऑफिस के घोंघा राजा बन गए—काम स्लो, मज़ा फुल ऑन!"

आखिरकार कंपनी को आई अक्ल—पर देर कर दी मेहरबान

छह महीने तक प्रोजेक्ट्स डिले, ओवरबिलिंग और शिकायतों के बाद, कंपनी को समझ आया कि "सस्ता रोये बार-बार" वाली गलती कर दी। आखिरकार, सब कंसल्टेंट्स को अच्छे लैपटॉप्स मिले।

मज़ेदार बात ये रही कि जब OP (यानी कहानी सुनाने वाले) ने हेल्पडेस्क कॉल किया, तो वह खुद बोल पड़ा—"पता नहीं ये डायरेक्टर्स और VP लोग क्यों सबसे अच्छे लैपटॉप लेते हैं, जबकि बस वर्ड, एक्सेल और पॉवरपॉइंट ही खोलते हैं। असली काम वाले लोग पुराने लैपटॉप से जूझते हैं।"

कई कमेंट्स में लोगों ने अपने ऑफिस का भी हाल सुनाया—"बॉस को नए लैपटॉप के साथ चमकदार बैग पकड़ा दो, वो पुराना लैपटॉप छोड़ देंगे, पर असल में जो काम करता है, वो पुरानी मशीन पर ही जूझता रहेगा!"

यही है कॉर्पोरेट की राजनीति: दिखावे पर ज्यादा, असलियत पर कम

ये कहानी सिर्फ एक कंपनी की नहीं, बल्कि हर उस दफ्तर की है जहाँ "पद बड़ा तो लैपटॉप बड़ा" का नियम चलता है। जहाँ एम्प्लॉयीज़ और कंसल्टेंट्स के बीच साधन-संसाधन बंटवारे में भेदभाव होता है।

Dilbert जैसी विदेशी कॉमिक्स में भी यह दर्द दिखाया गया, और हमारे यहाँ भी यही हाल है—"बॉस के पास सबसे तेज़ घोड़ा, असली जंग लड़ने वाले पैदल!"

निष्कर्ष: कंसल्टेंट्स की जीत, मैनेजमेंट की सीख

आखिरकार, जब कंपनी को अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने कंसल्टेंट्स को अच्छे लैपटॉप दिए। लेकिन तब तक कॉफी ब्रेक्स की आदत लग चुकी थी! कहानी सुनाने वाले ने भी दो महीने बाद बढ़िया नौकरी पकड़ ली, लेकिन उन लंबे कॉफी ब्रेक्स की याद आज भी दिल में हैं।

तो दोस्तों, अगली बार जब आपके ऑफिस में लैपटॉप बंटे, तो ये कहानी याद रखना—जरूरी चीज़ों पर बचत करना कभी-कभी महंगा पड़ सकता है!

क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है? या आपके ऑफिस में भी "बॉस के लिए सबसे अच्छा, बाकियों के लिए जैसा मिला" वाला सिस्टम चलता है? अपनी मज़ेदार किस्से और राय कमेंट में ज़रूर लिखिए!


मूल रेडिट पोस्ट: Give me a slow laptop coz I am a consultant - expect slower throughput