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जब साफ-सफाईवाले ने अमीर मालिक को टॉयलेट में पाठ पढ़ाया

एक फिल्मी दृश्य जिसमें एक निराशCleaner घमंडी ग्राहकों का सामना कर रहा है, एक आलीशान घर के माहौल में।
इस फिल्मी प्रस्तुति में, हम एक Cleaner की कहानी में गोता लगाते हैं जो बिगड़े हुए ग्राहकों की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस असाधारण कथा में गरिमा और सहनशीलता के तनाव और प्रतिशोध की परतों को खोजें।

हमारे देश में कहावत है, "जैसा करोगे, वैसा भरोगे।" लेकिन जब बात नौकर-मालिक के रिश्ते की आती है, तो कई बार मालिक अपने कर्मचारियों को इंसान नहीं, मशीन समझ लेते हैं। आज की कहानी है ऐसे ही एक अमीर और घमंडी दंपति की, जिन्हें उनके ही सफाई कर्मचारी ने ऐसा सबक सिखाया कि वो ज़िंदगी भर नहीं भूलेंगे।

अमीरी का घमंड और कर्मचारियों का दर्द

कुछ साल पहले एक घरेलू सफाई कर्मचारी (जो पश्चिमी देशों में 'हाउसकीपर' कहलाते हैं) एक अमीर दंपत्ति के घर काम करता था। ये दंपत्ति न सिर्फ़ पैसे वाले थे, बल्कि घमंड में भी सिर से पाँव तक डूबे हुए। हमारे यहाँ जैसे कई लोग समझते हैं कि नौकर का कोई दिल-इज़्ज़त नहीं होती, वैसे ही ये भी अपने कर्मचारियों को एकदम नज़रअंदाज़ करते थे।

इस सफाईकर्मी का एक दोस्त उन्हीं के फैक्ट्री में पंद्रह साल से सुपरवाइज़र था – मेहनती, ईमानदार और वफादार। लेकिन मालिकों ने उसे अचानक निकाल दिया, और वो भी बिना ठीक से बताए, ताकि उसे बेरोज़गारी भत्ता भी न मिले। सोचिए, इतनी लंबी वफ़ादारी का ये सिला!

दुखी 'आया' और फूट पड़ा गुस्सा

सफाईकर्मी जब अगले दिन घर पहुँचा, तो मालिक तो नहीं थे, पर घर में रहने वाली आया (जिसे पश्चिमी देशों में 'औ पेयर' कहते हैं) रो रही थी। यहाँ हमारे घरों में दाई, आया, या घरेलू सहायिका बच्चों की देखभाल करती हैं – वही काम वो भी कर रही थी। उसने बताया कि मालिक उसके जज़्बातों की कद्र ही नहीं करते, उल्टा बेमतलब के ताने मारते रहते हैं। हद तो तब हो गई जब उसे अपने ही जन्मदिन पर माँ से मिलने भी नहीं जाने दिया।

सफाईकर्मी ने तो सलाह दे दी – "बहन, छोड़ दो ये नौकरी!" और वाकई, आया ने उसी दिन इस्तीफा दे दिया। उसके बाद मालिकिन की चीखें सुनाई दीं, और आया रोती हुई घर छोड़कर चली गई।

टॉयलेट का ‘बदला’ – जब सब्र का बाँध टूट गया

अब असली मजा यहीं से शुरू होता है! मालिकिन ने सफाईकर्मी से कहा – "इस वाले बाथरूम का इस्तेमाल मत करना, इसका टॉयलेट जाम है, प्लंबर दो-तीन दिन बाद आएगा।" सफाईकर्मी ने पूरे घर की सफाई की, अपना मेहनताना लिया और जैसे ही मौका मिला, उसी जाम टॉयलेट में जाकर अपना 'काम' कर आया। फ्लश दबाया, और... टॉयलेट का पानी और बाकी चीज़ें पूरे फ़र्श पर फैल गईं! दिल में ऐसी तसल्ली मिली, जैसे गर्मी में ठंडा आमरस!

मालकिन जब दौड़ती हुई आई तो सफाईकर्मी ने साफ कह दिया – "अब बस! ये मेरी जिम्मेदारी नहीं, खुद साफ कीजिए!" और सीना तानकर घर से निकल गया।

कम्युनिटी की राय: "ऐसा बदला सबको देखना चाहिए!"

सोशल मीडिया पर ये कहानी वायरल हो गई। एक यूज़र ने तो मज़ाक में कहा, "भाई, तुमने तो कमाल ही कर दिया! ऐसे मालिकों को यही हकीकत दिखानी चाहिए।" किसी ने चुटकी ली – "अगली बार 'अप्पर डेकर' ट्राय करना चाहिए था!" (वैसे 'अप्पर डेकर' का मतलब है, टॉयलेट के टैंक में ही गंदगी छोड़ना, ताकि हर बार फ्लश करने पर गंदा पानी आए – हमारे यहाँ तो कोई सोच भी नहीं सकता ऐसा करना!)

एक अनुभवी सफाईकर्मी ने अपनी कहानी शेयर की – "एक बार मेरी क्लाइंट ने टॉयलेट rim तक गंदा कर रखा था। मैंने सिर्फ़ ढक्कन बंद किया, ऊपर नोट चिपका दिया – 'मैं सफाईकर्मी हूँ, प्लंबर नहीं!' उसी दिन मुझे निकाल दिया गया, लेकिन अगले ही दिन नई जगह मिल गई!"

कुछ यूज़र्स ने तो और भी मज़ेदार आइडिया दिए – "अगर दोनों टॉयलेट जाम कर देते, तो मालिकों को असली मज़ा आता और प्लंबर की जेब भी गर्म हो जाती!"

सबक: इंसानियत सबसे बड़ा धर्म

इस कहानी में जितना मजा है, उतना ही बड़ा सबक भी है। ऑफिस हो या घर, अगर आप अपने कर्मचारियों की इज्ज़त नहीं करेंगे, तो एक दिन कोई आपको आपकी औकात दिखा ही देगा। हमारे यहाँ भी कहते हैं – "नौकर को नौकर मत समझो, इंसान समझो!" चाहे सफाईकर्मी हो, आया हो या फैक्ट्री का वफादार कर्मचारी – सबकी मेहनत की कद्र कीजिए। वरना, कभी-कभी ‘बदला’ जले पर नमक छिड़कने जैसा हो सकता है!

तो अगली बार जब आप अपने घर या ऑफिस में किसी कर्मचारी पर चिल्लाएँ, ये किस्सा याद रखिएगा – वरना कहीं आपके टॉयलेट की भी यही हालत न हो जाए!

आप क्या सोचते हैं?

क्या आपको भी कभी ऐसे घमंडी मालिक मिले हैं? या आपके साथ भी किसी कर्मचारी ने कभी कोई मज़ेदार बदला लिया है? अपनी राय और किस्से कमेंट में जरूर शेयर करें – क्योंकि कहते हैं, "बदला मीठा होता है, लेकिन टॉयलेट वाला बदला सबसे मज़ेदार!"


मूल रेडिट पोस्ट: toilet revenge